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Uttarakhand Assembly Session: उत्तराखंड में आरक्षण 10 वर्ष बढ़ाने पर सर्वसम्मति से मुहर, पढ़िए पूरी खबर

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण दस वर्ष के लिए बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लग गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 09:25 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:44 PM (IST)
Uttarakhand Assembly Session: उत्तराखंड में आरक्षण 10 वर्ष बढ़ाने पर सर्वसम्मति से मुहर, पढ़िए पूरी खबर
Uttarakhand Assembly Session: उत्तराखंड में आरक्षण 10 वर्ष बढ़ाने पर सर्वसम्मति से मुहर, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड विधानसभा ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण दस वर्ष के लिए बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी। मंगलवार को एक दिनी विधानसभा सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष ने संविधान (126 वां संशोधन) विधेयक का सर्वसम्मति से पूर्ण समर्थन किया।

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विधेयक पर चर्चा के दौरान दलगत सियासत और श्रेय लेने की होड़ में सत्तापक्ष और विपक्षी विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सत्तापक्ष के विधायक महेंद्र भट्ट का वक्तव्य सरकार के लिए किरकिरी का सबब बन गया। समाज में आगे बढ़ चुके अनुसूचित जाति-जनजातियों के लोगों से आरक्षण छोडऩे के उनके आह्वान पर सत्तापक्ष और विपक्षी विधायकों ने सख्त आपत्ति जताई। इस वक्तव्य के बाद दोनों पक्षों के विधायकों में तनातनी इतना बढ़ गई कि विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक वेल में आ गए। 

भोजनावकाश के बाद शाम को सदन के पटल पर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने उक्त विधेयक रखा। सत्तापक्ष भाजपा, विपक्ष कांग्रेस और निर्दल विधायकों ने एक सुर में अनुसूचित जातियों-जनजातियों को आरक्षण बढ़ाने का पुरजोर समर्थन किया। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि उक्त विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुका है। विधेयक में आरक्षण आगे दस वर्षों यानी 25 जनवरी, 2030 तक जारी रखने का प्रस्ताव है। बीते 70 साल से आरक्षण जारी रहने के बावजूद अब भी कमजोर और वंचित वर्गों के लिए आरक्षण जरूरी है। नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, गोविंद सिंह कुंजवाल ने आरक्षण की पैरवी करने के साथ बैकलॉग के पदों को जल्द भरने पर जोर दिया। 

सत्तापक्ष के विधायकों देशराज कर्णवाल, शक्ति लाल शाह, मुकेश कोली, चंदन रामदास ने कहा कि आरक्षित वर्गों की सामाजिक स्थिति में अभी सुधार बाकी है। सभी विधायकों ने संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को भी याद किया। सत्तापक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार को आरक्षण की व्यवस्था जारी रखने का श्रेय दिया। विधायक ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि अनुसूचित जाति से भेदभाव  पूरी तरह खत्म होना चाहिए। 

चर्चा के दौरान भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट का वक्तव्य सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों दलों के विधायकों को नागवार गुजरा। कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने तो आरक्षण को लेकर भाजपा की मंशा पर सवाल खड़े किए। उन्होंने प्रदेश में लागू पदोन्नति के नए रोस्टर पर भी आपत्ति की। भाजपा को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश पर सत्ताधारी दल के विधायक खफा हो गए। विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने ममता राकेश के वक्तव्य पर आपत्ति की तो विरोध में कांग्रेस विधायक वेल में आ गए। हालांकि पीठ के हस्तक्षेप के बाद वे अपनी सीट पर लौटे। इसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई। 

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एससी-एसटी को अभी आरक्षण जरूरी: त्रिवेंद्र

 मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 70 वर्षों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों ने काफी प्रगति की है, लेकिन इन समुदायों के कुछ लोग अभी भी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। इसी वजह से उन्हें दस वर्षों तक आरक्षण जारी रखने के संसद से पारित प्रस्ताव को राज्य में लागू करने को सरकार संकल्पित है। राज्य विधानसभा ने उक्त आरक्षण संबंधी प्रस्ताव पर पूर्ण समर्थन जताया है। 

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