बेटियों की बेहतर शिक्षा और सुरक्षा को बांटे स्मार्ट फोन, खिल उठे चेहरे
बोर्ड परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली 307 मेधावी छात्राओं को स्मार्ट फोन देकर सम्मानित किया गया।
By Edited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 07:21 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। बेटियां सबके नसीब में कहां होती हैं, जो घर भगवान को सबसे अधिक पसंद होता है बेटियां वहां पैदा होती हैं। यह बात महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने बोर्ड परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली 307 मेधावी छात्राओं को स्मार्ट फोन देकर सम्मानित किया। कहा कि इससे छात्राओं को पढ़ाई में मदद मिलेगी और यह सुरक्षा प्रदान भी करेगा।
शुक्रवार को सुभाष रोड स्थित वेडिंग प्वाइंट में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बालिका शिक्षा प्रोत्साहन पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर वर्ष 2018-2019 में उत्तराखंड बोर्ड में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाली मेधावी छात्राओं को स्मार्ट फोन देकर सम्मानित किया गया। स्मार्ट फोन पाकर छात्राओं के चेहरे खिल उठे। इस मौके पर महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि बालिकाओं को स्मार्ट फोन वितरित करने का मुख्य उद्देश्य उनको डिजिटल इंडिया के साथ जोड़ना और उनकी आत्मरक्षा के लिए सशक्त करना है।
इससे वह सूझबूझ के साथ अपनी रक्षा और ज्ञानवर्धन के लिए इस मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा कि बालिका का संघर्ष मां के गर्भ से शुरू हो जाता है। उन्होंने बेटा-बेटी के बीच भेदभाव न करने की अपील की। साथ ही छात्राओं से अत्याचार न सहने और कानून का सहारा लेने को कहा। समारोह में अल्मोडा की 33, बागेश्वर से 15, चमोली से 27, चंपावत से 17, देहरादून से 20, हरिद्वार से 21, नैनीताल से 26, पौड़ी से 40, पिथौरागढ़ से 23, रुद्रप्रयाग से 16, टिहरी से 25, उत्तरकाशी से 22 और उधमसिंहनगर से 22 बालिकाओं को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर विधायक खजान दास, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव सौजन्या, निदेशक झरना कमठान, उपनिदेशक सुजाता, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली, मुख्य परिवीक्षा अधिकारी मोहित चौधरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्रा, परियोजना अधिकारी क्षमा बहुगुणा, सरोज ध्यानी आदि मौजूद रहे।
लैंगिक अनुपात पर जताई चिंता
कार्यक्रम में मंत्री रेखा आर्य ने लैंगिक अनुपात पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज भी राज्य में ऐसे जनपद हैं जहां बालक-बालिकाओं का लैंगिक अनुपात काफी चिंताजनक है। इसलिए विभाग की और से नंदा गौरा योजना चलाई गई है, जिसके अंतर्गत बेटी पैदा होने पर अभिभावकों को 11 हजार रुपये की राशि दी जा रही है। ताकि वह बेटी के जन्म पर निराश होने की बजाय खुशी मनाएं।
शिकायना और वुमनिया बैंड की प्रस्तुति ने मचाया धमाल
इस मौके पर विभाग की ब्रांड एंबेसडर शिकायना मुखिया ने अपने पिता के द्वारा लिखा गाना मुझको जीने दो, मैं हूं तुम्हारी मुझे भी पहचान दो..की प्रस्तुति दी। इसे सुनकर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। शिकायना ने कहा कि हर लड़की स्पेशल है और माता-पिता और समाज को हमेशा उन्हें यह अहसास दिलाना चाहिए। वहीं, विभाग के दूसरे ब्रांड एंबेसडर वुमनिया बैंड ने बैखोफ आजाद है जीना मुझे और ए खुदा तु गुम है कहां..? गाने की प्रस्तुति दी। दोनों ब्रांड एंबेसडर को समृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
1500 बालिकाओं को अपर्णा रजावत ने दिया प्रशिक्षण
इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुख्य प्रशिक्षक अपर्णा रजावत ने 1500 बालिकाओं को भावनात्मक, वित्तीय, शारीरिक, मानसिक, डिजीटल और कानूनी प्रशिक्षण दिया। वह 25 जनवरी को भी इन बालिकाओं को प्रशिक्षण देंगी।
इनकी शख्सियत से मिलती है प्रेरणा
समारोह में सम्मानित होने वाली बालिकाओं में ऐसी बालिकाएं भी शामिल रहीं, जिन्होंने आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कम संसाधनों में पढ़ाई कर टॉप किया। आज हम आपको ऐसी ही बालिकाओं से अवगत करवा रहे हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।
पिता की 312 रुपये दिहाड़ी, बेटी ने किया टॉप
नैनीताल निवासी दिव्या जोशी ने दसवीं में 94.4 अंक हासिल किए हैं। दिव्या जोशी ने बताया कि उनके पिता मजदूर हैं जिनकी दिहाड़ी 312 रुपये प्रतिदिन है। ऐसे में परिवार का खर्चा और पढ़ाई का खर्चा निकालना उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था। पिता की सहायता के लिए दिव्या ने अन्य बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया और अपना और पांचवी कक्षा में पढ़ रही छोटी बहन की शिक्षा का खर्चा उठाया।
ट्यूशन पढ़ाकर उठाया अपनी और बहन की पढ़ाई का खर्चा
टिहरी में ब्लॉक टॉपर मीना आर्य ने बताया कि उनके माता-पिता खेती करते हैं। ऐसे में उनकी पढ़ाई का खर्चा उठाना माता-पिता के लिए बहुत मुश्किल था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बिना ट्यूशन कड़ी मेहनत कर टॉप किया और इंस्पायर स्कॉलरशिप हासिल की। आज उनकी पढ़ाई स्कॉलरशिप के पैसों से हो रही है, जिससे उनके पिता उनकी पढ़ाई के खर्चे से चिंतामुक्त हैं।
मंत्री से की सहायता की अपील
पिथौरागढ़ निवासी पूजा भंडारी ने बताया कि उनके माता-पिता की कमाई इतनी अच्छी नहीं है कि वह उनकी पढ़ाई का खर्च उठा सकें। फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने कड़ी मेहनत कर 88 प्रतिशत अंक तो हासिल कर लिए लेकिन इंस्पायर स्कॉलरशिप पाने से चूक गई। जिसके लिए उन्होंने साइबर कैफे में जाकर फार्म भरवाया था। जो कि वहां के दुकानदार को भरना नहीं आया और उनको स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई। उनके अनुसार उन्होंने दिल्ली तक जाकर अपील की लेकिन कुछ नहीं हो पाया। उन्होंने राज्यमंत्री रेखा आर्य से अपील की कि वह उनकी सहायता करे। ताकि आगे पढ़ाई करने की उनकी इच्छा पूरी हो सके।
आरोपित से ही करवाई जाए शादी
समारोह में राज्यमंत्री रेखा आर्य से मिलने पहुंची हल्द्वानी की एसिड पीड़िता कविता बिष्ट ने उनसे जल्द से जल्द एसिड पीड़िताओं के लिए पेंशन योजना लागू करने की अपील की। जिस पर राज्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह जल्द सभी एसिड पीड़िताओं से मुलाकात करेंगी। इस मौके पर कविता ने कहा कि सरकार पेंशन उन्हें दया के तौर पर न दे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध करने वाले आरोपियों के साथ ही पीड़िताओं की शादी कर देनी चाहिए ताकि वह उनको पाले और उम्र भर उनको देखकर उन्हें अपने द्वारा किए पाप का अहसास होता रहे।
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