Move to Jagran APP

कोरोनाकाल में अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने को छोटे उद्योग बने सहारा, गांवों में जगी रोजगार की आस

Coronavirus outbreak अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सहारा बनकर उभर रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक छोटे उद्योग स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 04:20 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 04:20 PM (IST)
कोरोनाकाल में अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने को छोटे उद्योग बने सहारा।

देहरादून, अशोक केडियाल। कोरोना महामारी से घिरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सहारा बनकर उभर रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक छोटे उद्योग स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। बीते जून माह में केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को कोरोना संक्रमण से उबारने के लिए बीस हजार करोड़ रुपये का जो आर्थिक पैकेज दिया, उसका सूबे के आठ सौ से अधिक एमएसएमई उद्योगों ने लाभ उठाया और अबतक 96.43 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त कर लिया है। 

loksabha election banner

उत्तराखंड के पहाड़ी जिले उत्तरकाशी, टिहरी, चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी जिले में एमएसएमई श्रेणी में आने वाले पंजीकृत 24,220 कुटीर उद्योग हैं। इन उद्योगों में दो से लेकर आठ ग्रामीण तक स्वरोजगार से जोड़े गए हैं। यह घर के समीप जूस, मौसमी फलों, हस्तशिल्प और हथकरघा, मशरूम उत्पादन, जैम, जैली, चटनी, अचार, पहाड़ी दाल, जड़ी बूटियां का उत्पादन, मछली पालन, बागवानी, फर्नीचर उद्योग, फूलों की खेती, दूध उत्पादन, भेड़ पालन, पशुचारा उत्पादन, होम स्टे, पर्यटन, सब्जी उत्पादन आदि से हैं। उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल ने पुष्टि करते हुए कहा कि सूबे में एमएसएमई में बेहतर निवेश हुआ है। उत्तराखंड में एक अक्टूबर, 2020 तक सिडकुल और उद्योग निदेशालय में 63,665 उद्योग पंजीकृत हैं, जिसमें 13350.76 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। साथ ही दो लाख 11 हजार महिला और पुरुषों को रोजगार मिला हुआ है।

बढ़ेंगे उद्योग तो मिलेगा रोजगार

उद्योग विशेषज्ञों और उद्यमियों के मानना है कि राज्य की त्रिवेंद्र सिंह सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों के उत्थान के लिए जो समग्र विकास योजना बनाई है उसे अगर उत्तराखंड में नौकरीशाह, सरकारी के साथ ही निजी क्षेत्र के बैंक और धरातल पर काम करने वाली एजेंसियां इसे गंभीरता से लेती हैं तो उत्तराखंड के सात पहाड़ी जिलों में अगले दो साल के एमएसएमई उद्योग का कारोबार दोगुना हो जाएगा। इससे करीब 50 हजार ग्रामीण युवाओं को घर के समीप ही स्वरोजगार मिल सकता है। यह युवा प्राइवेट नौकरी के लिए पहाड़ से पलायन नहीं करेंगे। प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार भी एमएसएमई सेक्टर को भारी प्रोत्साहन दे रही है। बिना गारंटी के ऋण सुविधा और लघु उद्योगों को सीधे ई-मार्केट से जोड़ने की योजना लगभग तैयार हो चुकी है।

उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार ने एमएसएमई उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान एमएसएमई सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित रहा, लेकिन केंद्र सरकार ने राहत पैकेज देकर एमएसएमई को घाटे से उभरने में बड़ी मदद की है। उत्तराखंड में एमएसएमई सेक्टर की समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में राज्य के एमएसएमई उद्योग सरकार के सहयोग से अपने कारोबार को और अधिक बढ़ाएंगे।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ 10 स्टार्टअप को मिलेगा 50 हजार का पुरस्कार, पढ़िए पूरी खबर

राज्य महासचिव लघु उद्योग भारती के राज्य महासचिव विजय सिंह तोमर का कहना है कि कोविड-19 महामारी से जो नुकसान उद्योगों को हुआ है उसकी भरपाई की केंद्र सरकार ने एक बेहतर पहल की है। राज्य में एमएसएमई उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए नौकरशाही को अधिक रुचि लेनी होगी। अगर केंद्र ने बीमार एमएसएमई को दोबारा चालू करने के लिए 20 हजार करोड़ का प्रविधान किया है तो ऐसे समय चंपावत और रुद्रप्रयाग जैसे दूरस्थ पहाड़ी जिलों में आर्थिक तंगी से बंद पड़े एमएसएमई उद्योगों में फिर से चालू करने के प्रयास होने चाहिए। केंद्र की इस योजना का सही मायने में पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।

यह भी पढ़ें: लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का कारोबार टॉप पर, समझिए आंकड़ों में


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.