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एनएच मुआवजा घोटालाः एसआइटी ने शासन को सौंपी फाइनल रिपोर्ट

एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी की अंतिम रिपोर्ट शासन में पहुंच चुकी है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 09:40 AM (IST)
एनएच मुआवजा घोटालाः एसआइटी ने शासन को सौंपी फाइनल रिपोर्ट

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी की अंतिम रिपोर्ट शासन में पहुंच चुकी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एसआइटी ने आइएएस अधिकारियों के बयान लेने के बाद इनमें से एक अधिकारी के खिलाफ अभियोजन दर्ज करने की अनुमति मांगी है। 

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एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले की एसआइटी ने एक बार फिर जांच पूरी कर ली है। एक बार फिर इसलिए, क्योंकि एसआइटी ने इसी वर्ष जुलाई में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में आइएएस पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव पर जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर के पद पर रहते हुए आर्बिट्रेटर के रूप में लिए गए निर्णयों पर सवाल उठाए गए थे। 

इस रिपोर्ट से शासन में हड़कंप मच गया था। शासन ने दोनों अधिकारियों को आरोपपत्र देने के साथ ही एसआइटी को फिर से रिपोर्ट वापस भेज दी थी। शासन ने इस दौरान दोनों आइएएस से पूछताछ के बाद अंतिम रिपोर्ट बनाने को कहा था। एसआइटी पहले ही दोनों अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। वहीं सरकार एसआइटी की पहली रिपोर्ट के आधार पर दोनों अधिकारियों को निलंबित भी कर चुकी है। 

सूत्रों की मानें तो अब एसआइटी ने दोनों अधिकारियों से की गई पूछताछ के बाद अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है। इस रिपोर्ट में पूरे प्रकरण से जुड़े कई अहम तथ्य सामने रखे गए हैं। 

इस रिपोर्ट में सबसे अहम बात यह है कि इसमें पूछताछ के बाद सिर्फ एक अधिकारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि एक अधिकारी को एसआइटी ने संदेह के दायरे से बाहर कर दिया है। इस संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि विधानसभा सत्र में व्यस्तता के चलते फिलहाल उन्हें इस रिपोर्ट के संबंध में जानकारी नहीं है।

18 किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट

नैनीताल के जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने ऊधमसिंह नगर जिले के बहुचर्चित एनएच मुआवजा घोटाला मामले में फरार 18 किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है, जबकि तीन किसानों के खिलाफ कुर्की नोटिस व संपत्ति कुर्क करने का नोटिस जारी किया गया है।

कोर्ट ने मुआवजा घोटाले में गिरफ्तार दो आरोपित किसानों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है, जबकि इसी घोटाले की साजिश में शामिल बिल्डर प्रिया शर्मा व उसकी कंपनी के निदेशक सुधीर चावला पर बुधवार को अदालत आरोप तय करेगी। इस घोटाले में अब तक 24 आरोपित सलाखों के पीछे जा चुके हैं। 

एसआइटी प्रमुख व अपर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार व अन्य इस घोटाले में गिरफ्तार किसान दिलबाग सिंह पुत्र कश्मीर सिंह निवासी मुडिय़ाअनी, थाना बाजपुर व हीरालाल पुत्र बनारसी दास निवासी ग्राम महेशपुरा थाना बाजपुर जिला ऊधमसिंह नगर को नैनीताल लाए और अदालत में पेश किया। 

अभियोजन पक्ष की ओर से डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने कोर्ट को बताया कि बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि में बदलकर दिलबाग सिंह पर डेढ़ करोड़ व हीरालाल पर दस करोड़ मुआवजा लेने का आरोप है। कोर्ट ने भी सवाल जवाब किए तो किसानों ने आरोपों से इन्कार किया। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश पारित किए। 

डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया कि विवेचना के दौरान दिलबाग के साथ ही विक्रमजीत सिंह पुत्र सकत्तर सिंह निवासी गिन्नीखेड़ा, थाना आइटीआइ ऊधमसिंह नगर, दिलबाग सिंह पुत्र रतन सिंह निवासी लालपुर, थाना कुंडा, मनदीप सिंह पुत्र जयपाल सिंह निवासी गिन्नीखेड़ा थाना आइटीआइ ऊधमसिंह नगर के नाम भी प्रकाश में आए हैं। 

तीनों की गिरफ्तारी को दबिश दी गई मगर अब तक फरार हैं, साथ ही संपत्ति खुदबुर्द करने करने की फिराक में हैं। कोर्ट ने इसके अलावा 18 अन्य किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं।

रुद्रपुर पहुंची प्रवर्तन निदेशालय की टीम

एनएच-74 मुआवजा घोटाले में मनी लॉड्रिंग की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने रुद्रपुर पहुंचकर किसानों के संबंध में जानकारी जुटाई। चर्चा है कि इस दौरान ईडी ने निलंबित आइएएस अफसरों की भूमिका के संबंध में भी अधिकारियों से जानकारी हासिल की। 

उधमसिंह नगर के चर्चित एनएच घोटाले में 211 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि हुई है। घोटाले की जांच में मनी लॉङ्क्षड्रग का मामला भी सामने आया था। इस पर देहरादून से पहुंची प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने यहां पहुंचकर आवश्यक जानकारी जुटाई थी। बाद में देहरादून में मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। 

इसके लिए जुलाई माह में ईडी की चार सदस्यीय टीम रुद्रपुर पहुंची और किसानों के साथ ही गिरफ्तार पीसीएस अफसरों और कर्मचारियों के संपत्ति का ब्यौरा जुटाया था।

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