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प्रकृति से प्रेम, स्वाध्याय और योग साधना का समय: श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज

श्री दरबार साहिब देहरादून के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज का कहना है कि यह समय प्रकृति से प्रेम स्वाध्याय और योग साधना का है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 02:11 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 02:11 PM (IST)
प्रकृति से प्रेम, स्वाध्याय और योग साधना का समय: श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज
प्रकृति से प्रेम, स्वाध्याय और योग साधना का समय: श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज

देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए लॉकडाउन का पालन करना देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है। लेकिन, इस कालखंड का सदुपयोग भी किया जाए तो सोने पे सुहागा। मैं स्वयं इस अतिरिक्त समय का उपयोग प्रकृति प्रेम से जुड़े कार्यों, स्वाध्याय और योग साधना में कर रहा हूं। मेरे पास आध्यात्मिक एवं मॉडर्न मेडिकल साइंस की पुस्तकों के अध्ययन और स्वयं की खोज एवं आत्ममंथन का यह सुनहरा मौका है। जीवन की तमाम व्यस्तताओं के चलते जिन रुचियों को पूरा करने के लिए आप वक्त नहीं निकल पाते, उनके लिए लॉकडाउन की यह अवधि किसी वरदान से कम नहीं। यह कहना है श्री दरबार साहिब देहरादून के सज्जादानशीन एवं श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज का।

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सुबह गोशाला में गायों को देते हैं आहार

श्रीमहंत देवेंद्र दास दिनचर्या की शुरुआत सूर्योदय से पहले कर देते हैं। यह समय योग, ध्यान व प्राणायाम के लिए सवरेत्तम माना गया है। श्रीमहंत बताते हैं कि योग, ध्यान, साधना और श्री झंडेजी व श्री दरबार साहिब में पूजा-अर्चना के बाद वह गोशाला में गायों को आहार देते हैं। फिर नाश्ते में गोशाला की गाय का दूध, मौसमी फल, अंकुरित मूंग व चने का सेवन करते हैं। उनके आहार में तुलसी, अदरक, हल्दी व गिलोय भी शामिल होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए यह सर्वोत्‍तम आहार है। श्री दरबार साहिब की टी-स्टेट की ग्रीन-टी का भी वह नियमित सेवन करते हैं। दोपहर के भोजन में वह रोटी-दाल व सब्जी लेते हैं। कहते हैं, जैविक उत्पादों को दैनिक आहार में अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे बीमारियां दूर भागती हैं। रात्रि भोजन में वह हल्का एवं सुपाच्य भोजन लेकर तीन घंटे बाद सोने चले जाते हैं। 

लोगों से नियमित संवाद

श्रीमहंत देवेंद्र दास कहते हैं कि उनके लिए यह एकांत पठन-पाठन व आत्मचिंतन का समय है। वह नियमित रूप से श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, विभाध्यक्षों व जिम्मेदार अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं व तैयारियों के बारे में जानकारी लेते हैं। एसजीआरआर पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्यों से बच्चों की पढ़ाई, स्कूलों के रखरखाव, जैविक खेती की उन्नति व टी-स्टेट में चाय उत्पादन की रिपोर्ट लेना और आवश्यक दिशा-निर्देश देना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों से भी वह फोन पर नियमित संवाद करते हैं।

एकांत को बनाया वैयक्तिक शोध का विषय

बकौल देवेंद्र दास, 'मेरे गुरु ब्रह्मलीन श्रीमहंत इंदिरेश चरण दास महाराज कहा करते थे कि एकाकी समय को वैयक्तिक शोध का विषय बना लेना चाहिए। एकांत में रहकर शोधार्थियों ने बड़े-बड़े शोध किए। विज्ञान की नई खोज को बल मिला और जेल में रहते हुए कई महापुरुषों ने अमर पुस्तकें लिख डालीं। एकांत शून्य भी है, शांत भी है और आनंद भी है। यह आप पर निर्भर है कि आप एकांत को किस रूप में लेते हैं। मेरे लिए तो यह पठन-पाठन व आत्मचिंतन का सवरेत्तम समय है।'

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सहयोग के भाव से दूर होगा संकट

श्रीमहंत बताते हैं कि उन्होंने श्री दरबार साहिब से जुड़ी सभी संगतों, श्रद्धालुओं व नागरिकों से अगले सरकारी आदेशों तक घरों से बाहर न निकलने की अपील की है। मैं स्वयं भी सरकार के साथ हूं। हमारा यही धैर्य और सहयोग की भावना देश को संकट से बाहर निकालेगी।

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