आइजी संजय गुंज्याल करेंगे छात्रवृत्ति घोटाले की जांच
समाज कल्याण विभाग में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आइजी संजय गुंज्याल को सौंप दी गई है। उनके नेतृत्व में छह सदस्यीय एसआइटी का गठन किया गया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। समाज कल्याण विभाग में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आइजी संजय गुंज्याल को सौंप दी गई है। उनके नेतृत्व में छह सदस्यीय एसआइटी का गठन किया गया है। इसमें एसटीएफ, देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल में तैनात डीआइजी से लेकर सीओ स्तर के अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। एसआइटी तीन माह में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपेगी।
प्रदेश में वर्ष 2012 से लेकर 2015 तक समाज कल्याण विभाग में भारी छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया था। तब इस बात का खुलासा हुआ कि उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में निजी शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों के नाम पर समाज कल्याण विभाग से छात्रों के प्रवेश व पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी गई, जबकि इन निजी संस्थाओं में प्रदेश के किसी भी छात्र ने पढ़ाई नहीं की। आरोप लगाया गया कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे लोगों को छात्रवृत्ति दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। पूरे मामले में दो सौ करोड़ से अधिक घोटाले का अंदेशा जताया गया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसका संज्ञान लेते हुए विभाग को इस पर जांच करने को कहा था। कांग्रेस सरकार ने मामले की जांच कराई तो इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई। इस पर मामले की जांच विजिलेंस से कराने की बात भी हुई लेकिन बाद में यह मामला दब गया। अब इस मामले की जांच आगे बढ़ी है। इसकी जांच अभी तक पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी कर रहे थे।
उनके तबादले के बाद अब पुलिस मुख्यालय ने आइजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में एसआइटी का गठन कर दिया गया है। इसमें डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल, एसपी सिटी देहरादून श्वेता चौबे, एसपी सिटी हरिद्वार ममता वोहरा, एसपी क्राइम ऊधमसिंह नगर कमलेश उपाध्याय व सीओ रामनगर लोकजीत सिंह को शामिल किया गया है। लगातार बदल रहे हैं अधिकारी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू होने के बाद यह देखा गया कि जिस भी अधिकारी ने इसकी जांच की वह बहुत अधिक समय तक विभाग में नहीं रहा। इन अधिकारियों में अपर सचिव वी षणमुगम, अपर सचिव मनोज चंद्रन और हाल ही में हटाए गए निदेशक योगेंद्र यादव शामिल हैं। अब एसआइटी के जांच अधिकारी के तबादले के बाद जांच को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
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