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आयुष्मान योजना में घोटालाः उपचार दिया नहीं और लगा दिया क्लेम

आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े पर लगाम नहीं लग पा रही है। अब तक इस योजना में मरीज के रेफरल के नाम पर गड़बड़झाला हुआ। इस बार दून के एक निजी अस्पताल ने और भी बड़ा खेल कर दिया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 02:03 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 02:03 PM (IST)
आयुष्मान योजना में घोटालाः उपचार दिया नहीं और लगा दिया क्लेम
आयुष्मान योजना में घोटालाः उपचार दिया नहीं और लगा दिया क्लेम

देहरादून, जेएनएन। आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े पर लगाम नहीं लग पा रही है। अब तक इस योजना में मरीज के रेफरल के नाम पर गड़बड़झाला हुआ। इस बार दून के एक निजी अस्पताल ने और भी बड़ा खेल कर दिया। ताज्जुब यह है कि मरीज को जो उपचार दिया ही नहीं गया, उसका भी क्लेम मांग लिया। केंद्रीय टीम ने दून पहुंचकर मामले की पड़ताल की। 

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योजना के तहत लाभार्थियों के उपचार व क्लेम को लेकर हो रही गड़बड़ी की पड़ताल करने के लिए केंद्रीय टीम ने दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय समेत तीन अस्पतालों का निरीक्षण किया। बताया जा रहा है कि टीम का असल उद्देश्य एक बड़े खेल पर से पर्दा उठाना था। 

दरअसल एक मामले में निजी अस्पताल ने मरीज के उपचार के लिए उस क्लेम को भी आवेदन कर दिया जो उपचार संबंधित अस्पताल में मरीज का हुआ ही नहीं था। बता दें, अप्रैल के दूसरे सप्ताह में एक मरीज दून अस्पताल में भर्ती हुआ था। मरीज के पांव में दिक्कत थी। उपचार के दौरान मरीज का दाहिना पांव सर्जरी कर काटना भी पड़ा था। 

सर्जरी के बाद कुछ अन्य उपचार होना था। इसकी सुविधा अस्पताल में उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में अस्पताल द्वारा मरीज को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि मरीज आगे के उपचार के लिए शहर के ही एक निजी अस्पताल में चला गया। जहां पर मरीज के कटे हुए पांव पर लिंब चढ़ाना आदि का उपचार हुआ। 

इस अस्पताल ने योजना के अंतर्गत मरीज के उपचार का जो क्लेम भेजा वह आंख खोलने वाला था। क्योंकि क्लेम में उस उपचार का शुल्क भी शामिल किया गया जो दून अस्पताल में मरीज का किया जा चुका था। मामला संज्ञान में आने के बाद केंद्रीय टीम ने इसकी पड़ताल की। न केवल दून चिकित्सालय बल्कि निजी अस्पताल में भी तमाम दस्तावेज खंगाले। 

तीन अस्पतालों का औचक निरीक्षण 

केंद्रीय टीम ने शहर के तीन बड़े अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया। दून अस्पताल में उन्होंने योजना के तहत भर्ती मरीजों से पूछताछ की। ओपीडी और वार्डों में भी निरीक्षण किया। उन्होंने योजना के संचालन में आ रही परेशानी के विषय में भी अस्पताल प्रशासन से पूछा। 

निरीक्षण के दौरान दो महिला डॉक्टर दिल्ली से जबकि तीन डॉक्टर उत्तराखंड के थे। सरकारी अस्पतालों में रेफरल और टेस्ट सबंधित परेशानियों को उन्हें बताया गया। डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि कई टेस्ट ऐसे है जो डॉक्टर लिख देते है पर वह सुविधा चिकित्सालय में मौजूद नहीं है। 

इससे पहले जब दून मेडिकल कॉलेज नहीं बना था तब एनआरएचएम के तहत चंदन डॉयनॉसिस में मरीजों को जांच के लिए भेज देते थे। अब यह सुविधा न होने से परेशानी बनी हुई है। टीम ने श्री मंहत इंन्दिरेश अस्पताल और बोहरा नर्सिंग होम में भी पहुंचकर मरीजों से पूछताछ की। 

रेफरल का खेल 

निरीक्षण के दौरान टीम को बताया गया कि कई निजी अस्पताल मरीज को सीधा भर्ती कर रहे हैं। जबकि नियम यह है कि सरकारी अस्पताल में सुविधा न होने पर मरीज को संबद्ध अस्पताल में रेफर किया जाए। पर इसका उल्टा हो रहा है। निजी अस्पताल बाद में रेफरल के लिए मरीज को दौड़ाते हैं। ऐसा न होने पर मरीज को परेशानी झेलनी पड़ती है। 

टीम को बताई गई समस्या 

दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी एमएस डॉ एनएस खत्री के अनुसार, योजना के छह माह पूरे होने पर टीम जांच के लिए पहुंची थी। जो समस्याएं थी वह हमने बता दी हैं। टीम ने इन समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया है। 

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