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गरमी के साथ ही बढ़ रहे डायरिया के मरीज, इन बातों का रखें ख्याल

मौसम की तपिश बढ़ते ही डायरिया डीहाइड्रेशन जल जनित रोगों के मरीज बढ़े हैं। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 11 May 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 07:58 PM (IST)
गरमी के साथ ही बढ़ रहे डायरिया के मरीज, इन बातों का रखें ख्याल
गरमी के साथ ही बढ़ रहे डायरिया के मरीज, इन बातों का रखें ख्याल

देहरादून, जेएनएन। मौसम की तपिश बढ़ते ही डायरिया, डीहाइड्रेशन, जल जनित रोगों के मरीज बढ़े हैं। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि अस्पतालों में बेड फुल हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए शहर के दूसरे बड़े राजकीय चिकित्सालय, कोरोनेशन अस्पताल में दस अतिरिक्त बेड बढ़ाए गए हैं। 

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भीषण गर्मी में जरा सी भी लापरवाही लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। अस्पतालों में आ रहे मरीजों में उल्टी, दस्त, वायरल, पीलिया, गले में संक्रमण, चेस्ट संक्रमण से पीड़ित मरीजों की संख्या अधिक है। बासी भोजन व दूषित पानी के कारण भी लोगों का स्वास्थ्य गड़बड़ा रहा है। ऐसे में निजी व सरकारी अस्पतालों में एकाएक मरीजों की तादाद बढ़ गई है। 

मरीजों के इस बढ़ते दबाव को देखते हुए अस्पतालों में अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि शहर के प्रमुख राजकीय चिकित्सालयों में शुमार कोरोनेशन अस्पताल में अतिरिक्त बेड लगाए गए हैं। 

बता दें, यहां कुल 120 बेड स्वीकृत हैं। पर अस्पताल का आधा हिस्सा पीपीपी मोड पर संचालित हृदय व डायलिसिस यूनिट को दिया गया है। ऐसे में वर्तमान समय में यहां 60 ही बेड रह गए हैं। बेड सीमित होने से अस्पताल प्रशासन को व्यवस्था बनाने में भी दिक्कत आ रही है। 

ऐसे में दस अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। सीएमएस डॉ. बीसी रमोला का कहना है कि गर्मी के मौसम में होने वाली अधिकाश बीमारिया संक्रामक होती हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए सावधानी बरतने की जरुरत है। बढ़ती समस्या को देखते हुए अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। 

उन्होंने बताया कि अत्याधिक गर्मी के कारण इस वक्त डायरिया, डीहाइड्रेशन,जल जनित रोगों से पीड़ित काफी ज्यादा मरीज आ रहे हैं। ऐसे में वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट की तरफ से बेड बढ़ाने का सुझाव आया था। जिस पर नेत्र चिकित्सालय से दस बेड की व्यवस्था की है। भविष्य में यदि और जरूरत पड़ती है तो उसी अनुरूप इंतजाम किए जाएंगे। 

बचाव के तरीके 

- कड़ी धूप में बाहर निकलने से बचें। 

-सुबह-शाम ही घूमें। 

-दोपहर में निकलें तो सिर और कान को कपड़े से ढक लें। 

-धूप में छाते-टोपी का इस्तेमाल करें। 

-सफर में खूब पानी पिएं, ध्यान रहे पानी प्रदूषित न हो। 

-नमक-चीनी का घोल साथ रखें और बीच-बीच में सेवन करें। 

-यात्रा में खाने-पीने का समय सही रखें। 

-तरल पेय व फल अधिक लें। 

पानी का अधिक इस्तेमाल 

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट बताते हैं कि डायरिया में बेहतर होगा कि ठोस आहार जैसे रोटी, दाल, चावल खाने की बजाय तरल चीजों का सेवन ज्यादा किया जाए। कम तेल-मसाले वाली सब्जिया खाई जाएं। एक साथ पेट भरकर खाना खाने की जगह थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाएं। दही-छाछ में भुना हुआ जीरा-हींग और काला नमक डाल कर उसका सेवन करें। 

इससे पाचन क्षमता सही रहेगी। आम का पना और नींबू पानी भी ले सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन-सी आतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। रात में भारी खाना कतई नहीं खाएं। हो सके तो सूप और जूस पिएं। कटे हुए फलों में संक्रमण का खतरा रहता है। ताजे फल-सब्जी को धोकर ही खाएं।

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