उत्तराखंड में राजस्व क्षेत्रों में थाने खोलने पर ठिठके कदम
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में नए थाने खोलने की मुहिम फिर थम गई है। मामला एक वर्ष से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में नए थाने खोलने की मुहिम फिर थम गई है। हाईकोर्ट द्वारा राजस्व कर्मियों से पुलिस का काम न लेने के आदेश के मामले में राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देने के बाद यह स्थिति आई है। मामला एक वर्ष से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। यहां तक कि बजट में भी इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
उत्तराखंड का तकरीबन 60 फीसद हिस्सा पटवारी, यानी राजस्व पुलिस के अंतर्गत है तो शेष 40 फीसद में सिविल पुलिस कानून-व्यवस्था देखने का काम करती है। कहने को तो यहां एक हजार से अधिक पटवारी सर्किल हैं, लेकिन इनमें सात सौ से कुछ अधिक में ही पटवारी तैनात हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ रहे अपराधों के मद्देनजर बीते कुछ वर्षों से कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी सिविल पुलिस को देने की मांग उठने लगी है। इसके लिए इन क्षेत्रों में नए थाने भी खोले गए हैं। इनकी संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा था।
इस बीच हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्व कर्मियों से पुलिस का काम न लेने का निर्णय दिया था। इससे दशकों से चली आ रही पटवारी पुलिस परंपरा के समाप्त होने की स्थिति आ गई थी। उत्तराखंड में ही जारी इस अनूठी पुलिसिंग को बरकरार रखने के लिए प्रदेश सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर अभी तक सुनवाई जारी है। इसका असर राजस्व क्षेत्रों में खुलने वाले थानों पर पड़ा है। स्थिति यह बनी कि मौजूदा बजट में राजस्व क्षेत्र में नए थाने खोलने को प्रावधान ही नहीं किया गया है। सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद ही इस दिशा में कोई कदम उठाया जाएगा।
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