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सचिवालय समिति को रेरा से झटका, नक्शा लौटाया; जानिए वजह

सहकारी समिति को रेरा ने झटका दिया है। प्रशासन की जांच रिपोर्ट और अपने स्तर पर प्रकरण का विधिक परीक्षण कराने के बाद रेरा ने समिति के भूखंडों के पुराने नक्शे को लौटा दिया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 01:13 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 01:13 PM (IST)
सचिवालय समिति को रेरा से झटका, नक्शा लौटाया; जानिए वजह
सचिवालय समिति को रेरा से झटका, नक्शा लौटाया; जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। सचिवालय आवासीय सहकारी समिति को रेरा ने झटका दिया है। प्रशासन की जांच रिपोर्ट और अपने स्तर पर प्रकरण का विधिक परीक्षण कराने के बाद रेरा ने समिति के भूखंडों के पुराने नक्शे को लौटा दिया है। समिति को नए सिरे से नक्शा दाखिल करने को कहा है, जिसमें एमडीडीए और सिंचाई विभाग से एनओसी प्राप्त करने की शर्त भी जोड़ी गई है। 

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कारगी से लगे भारूवाला ग्रांट में समिति की करीब 350 बीघा क्षेत्रफल पर कॉलोनी का निर्माण प्रस्तावित है। इसके तहत अब तक 100 बीघा से अधिक भूमि की खरीद कर ली गई है। इस खरीद-फरोख्त को लेकर शासन व उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में शिकायत की गई थी। इसके बाद से रेरा ने यहां प्लॉटिंग पर रोक लगा रखी है। वहीं, प्रकरण में अप्रैल 2017 में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति भी अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। 

रेरा ने इस रिपोर्ट का विधिक परीक्षण कराने के बाद पाया कि न सिर्फ भूखंड के रास्ते के स्वामित्व को लेकर विवाद है, बल्कि प्रस्तावित कॉलोनी के क्षेत्रफल में नदी श्रेणी की भूमि भी आ रही है और भूमि के स्पष्ट स्वामित्व को लेकर भी सवाल हैं। 

उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि समिति के भूखंड को तीन हिस्सों में बांटा गया है और दो भाग पर क्लेमेनटाउन ने ले-आउट पास किया है, जबकि एक भाग का ले-आउट पास कराना शेष है। यह ले-आउट एमडीडीए के स्वामित्व वाली भूमि को समिति ने अपना मार्ग बताकर पास कराई है। एमडीडीए इस पर आपत्ति जता चुका है और उनकी तरफ से क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड को अपनी आपत्ति भी भेजी गई थी। 

ऐसे में समिति से दोबारा नक्शा दाखिल करने को कहा गया है, जिसमें एमडीडीए से एनओसी प्राप्त करनी आवश्यक होगी। नदी श्रेणी की भूमि और नदी से सटे भूखंडों को देखते हुए सिंचाई विभाग से भी एनओसी प्राप्त करने को कहा गया है। जांच रिपोर्ट में शिकायतकर्ता के हवाला से यह भी कहा गया था कि भूमि का स्वामित्व स्पष्ट नहीं किया गया है और ऐसे में समिति को वास्तविक भूस्वामियों से किया गया समझौता भी दाखिल करना होगा। इसके बाद तय किया जाएगा कि समिति को प्लॉटिंग की अनुमति देनी है या नहीं। 

स्टांप चोरी के केस दर्ज 

प्रशासन की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि भूखंडों की रजिस्ट्री में 85 लाख रुपये से अधिक की स्टांप चोरी की गई है और इसके एक करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल ने स्टांप चोरी को लेकर संबंधित सब रजिस्ट्रारों से रिपोर्ट मांगी थी। अपर जिलाधिकारी बुदियाल ने बताया कि स्टांप चोरी को लेकर उनकी कोर्ट में कुछ वाद पंजीकृत कर लिए गए हैं, जल्द कुछ और वाद पंजीकृत किए जाएंगे। इसके बाद वसूली की कार्रवाई की जाएगी। 

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