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सीएस की घुड़की के बाद 150 बिल्डरों पर होगा मुकदमा

सीएस की घुड़की के बाद रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) से लुका-छिपी का खेल कर रहे 150 बिल्डरों के खिलाफ अब मुकदमा दर्ज होगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 08:06 PM (IST)
सीएस की घुड़की के बाद 150 बिल्डरों पर होगा मुकदमा
सीएस की घुड़की के बाद 150 बिल्डरों पर होगा मुकदमा

देहरादून, जेएनएन। मुख्य सचिव (सीएस) की घुड़की के बाद रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) से लुका-छिपी का खेल कर रहे 150 बिल्डरों के खिलाफ अब मुकदमा दर्ज होगा। ये वह बिल्डर हैं, जिन्हें मई 2017 में रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट लागू होने के बाद नोटिस भेजा गया था। जिसमें बिल्डरों को रेरा के तहत पंजीकरण कराने को कहा गया था, ताकि निवेशकों के अधिकार सुरक्षित किए जा सकें। तब से अब तक इन्होंने न तो नोटिस का जवाब दिया, न ही पंजीकरण कराया।

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दो साल पहले रियल एस्टेट एक्ट लागू होने के बाद करीब 300 बिल्डरों को नोटिस जारी किए गए थे। यह नोटिस पूर्व में रेरा के सचिवालय की जिम्मेदारी संभालने वाले उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) ने जारी किए थे। उसी दौरान बिल्डरों को पंजीकरण के लिए रिमाइंडर भी भेजा गया था और 80 के करीब बिल्डरों ने पंजीकरण करा लिया था, जबकि शेष का कुछ पता नहीं चल पाया। इसके बाद जब रेरा का ढांचा बना और अध्यक्ष से लेकर सदस्यों व अन्य स्टाफ की नियुक्ति की गई तो यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 25 अप्रैल को जब मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने रेरा की समीक्षा की तो नामरफानी करने वाले बिल्डरों को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे बिल्डरों को अंतिम नोटिस जारी किया जाए और इसके बाद मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की जाए। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि नोटिस भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं और फिर विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।

60 बिल्डरों के नोटिस वापस लौटे

रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि पूर्व में जिन 300 बिल्डरों को पंजीकरण कराने का नोटिस जारी किया गया था, उनमें से 60 के पते गलत होने के चलते नोटिस वापस आ गए थे। वहीं, 10 बिल्डरों के नक्शे निरस्त हो जाने की जानकारी मिली है। 80 के करीब बिल्डरों ने पंजीकरण करा लिया था और बचे लोगों पर अब कार्रवाई शुरू की जा रही है।

56 प्रोजेक्ट के आवेदन होंगे निरस्त

मुख्य सचिव ने काफी समय से लंबित रखे गए 56 बिल्डरों के प्रोजेक्ट के पंजीकरण आवेदनों पर भी नाराजगी जताई थी। इस पर रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार का कहना है कि पंजीकरण आवेदन के समय बिल्डरों के पास पूरा दस्तावेज नहीं थे। इनकी मांग की गई थी, मगर आज तक दस्तावेज जमा नहीं कराए जा सके हैं। अब इन आवेदनों को निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है।

ऑनलाइन चल रहा प्लॉटिंग का धंधा, रेरा पस्त

डबल इंजन की सरकार भी रेरा की रफ्तार नहीं बढ़ा पा रही है। दो साल की अवधि में ही रेरा पस्त नजर आने लगा है, जबकि उत्तराखंड छोटा प्रदेश है और इसमें भी देहरादून के अलावा सिर्फ हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर व थोड़ा बहुत नैनीताल के हल्द्वानी क्षेत्र में ही रियल एस्टेट का कारोबार जोर पकड़ रहा है। बावजूद इसके इन क्षेत्रों में भी जो प्रॉपर्टी डीलर/प्रमोटर भूखंड बेच रहे हैं, उन्हें भी रेरा पंजीकरण के दायरे में नहीं ला पा रहा है। क्योंकि कानूनी रूप से प्रदेश में महज 40 प्रॉपर्टी डीलर ही भूखंड बेच रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) की वेबसाइट कह रही है। जिसके मुताबिक रेरा में इतने ही प्रॉपर्टी डीलर पंजीकृत हैं, जबकि जमीनी हकीकत देखें तो राजधानी दून के बाहरी इलाकों में प्लॉटिंग का जमकर खेल चल रहा है। जाहिर है यह खेल अवैध तरीके से चल रहा है और भोले-भाले लोगों को कहीं विवादित तो कहीं कृषि प्लॉट तक बेच दिए जा रहे हैं। जब तक इस बात का पता चलता है, तब तक लोग अपने जीवनभर की खून-पसीने की कमाई लुटा बैठते हैं। 

रेरा के ताजा रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश में 235 प्रमोटर्स (बिल्डर व प्रॉपर्टी डीलर) पंजीकृत हैं और इनमें से प्रॉपर्टी डीलर को अलग कर दिया जाए तो संख्या महज 40 के करीब रह जाती है। वहीं, दून पर निगाह डालें तो कम से कम 200 स्थानों में बड़े पैमाने पर प्लॉटिंग चल रही है। 99 एकड़ डॉट कॉम, ओएलएक्स, मकान डॉट कॉम, रियल एस्टेट इंडिया डॉट कॉम पर ही धड़ल्ले से बताया जा रहा है कि तीन से चार हजार प्लॉट, बिल्डर फ्ïलैट आदि बिक्री को तैयार हैं। कायदे से 500 वर्गमीटर से अधिक की भूमि पर प्लॉटिंग के लिए रेरा से अनुमति लेना अनिवार्य है। ताकि खरीदारों का हित सुरक्षित किया जा सके और यह भी स्पष्ट हो सके कि जो संपत्ति बेची जा रही है, वह विवादित नहीं है।

एक मई 2017 को जब प्रदेश में रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलमेंट) एक्ट लागू हुआ तो जोर-शोर के साथ दावा किया गया था कि संपत्ति की खरीद-फरोख्त में निवेशकों के हितों की रक्षा की जाएगी और रेरा में पंजीकरण न करने वालों का शिकंजा कसा जाएगा। आवासीय परियोजनाओं के निर्माण में काफी हद तक पंजीकरण कराया भी जा रहा है, लेकिन भूखंडों की बिक्री में नियमों को खुलेआम धता बताया जा रहा है। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार भी इस बात को स्वीकार करते हैं और कहते हैं कि प्रॉपर्टी डीलरों पर जल्द नकेल कसी जाएगी। हालांकि, इसके साथ ही वह कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए यह भी कहते हैं कि इसके चलते रेरा अपने अधिकारों का समुचित प्रयोग नहीं कर पा रहा।

ऑनलाइन धंधे की स्थिति

  • वेबसाइट, प्रॉपर्टी का विवरण
  • 99 एकड़ डॉट कॉम, 3100 से अधिक प्रॉपर्टी व 400 नई परियोजनाएं।
  • ओएलएक्स, 200 से अधिक प्लॉट व बिल्डर फ्लैट्स।
  • मकान डॉट कॉम, 3445 प्रॉपर्टी बिक्री को तैयार।
  • रियल एस्टेट इंडिया डॉट कॉम, 2093 एजेंट्स सक्रिय और 7500 प्रॉपर्टी बिक्री को तैयार।

दून यहां चल रहा प्लॉटिंग का खेल

-बंजारावाला, दौड़वाला, दूधली, कारगी क्षेत्र, ब्रह्मणवाला, शिमला बाईपास रोड, पौंधा, कंडोली, बिधौली, सहस्रधारा रोड, जोगीवाला क्षेत्र, बद्रीपुर रोड, गूजरोंवाली, गूलर घाटी रोड, नकरौंदा, नवादा, रायपुर क्षेत्र आदि।

प्रॉपर्टी डीलर इसलिए बच रहे पंजीकरण से

जो प्रॉपर्टी डीलर रेरा में पंजीकरण कराएगा, उसे अपनी संपत्ति की पूरी जानकारी देने के साथ ही ले-आउट भी पास कराना होगा। ऐसे में सड़क, ग्रीन बेल्ट, नाली आदि के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। इन सबकी व्यवस्था करने में काफी भूखंड इसकी काम में प्रयुक्त हो जाएगा और मुनाफे में भी इसका असर पड़ेगा। यही वजह है कि डीलर मनमर्जी से प्लॉट काटकर उसे बेच देते हैं।

कृषि भूमि पर ले-आउट भी पास नहीं

दून में बड़े पैमाने पर कृषि भूमि पर भी प्लॉटिंग की जा रही है और ऐसी भूमि का ले-आउट भी पास नहीं किया जाता है। इसके चलते प्रॉपर्टी डीलर गुपचुप कृषि भूमि को भी भवन बनाने के लिए बेच डालते हैं। 

दून में 90 फीसद भूखंड 10 फीसद जुर्माने के दायरे में

जिन भूखंडों में प्लॉटिंग चल रही है, उन पर कार्रवाई की जाए तो वह कुल लागत के 10 फीसद जुर्माने के दायरे में आ जाएंगे। क्योंकि गतिमान परियोजनाओं में एक जून 2018 के बाद 10 फीसद जुर्माने की व्यवस्था लागू कर दी गई है।

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