भारतीय सेना में सिपाही बन निभाई सैन्य परंपरा, अफसर बन बढ़ाया मान; जानिए इस युवा के बारे में
मन में जोश जज्बा और जुनून हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं। देहरादून के बालावाला निवासी युवा भरत सिंह ने ऐसा ही कुछ करके दिखाया है। वह भारतीय सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए। इसके बाद वह सेना में अफसर बने। उनके दादा और पिता भी सेना में थे।
जागरण संवाददाता, देहरादून: 'पीढ़ी दर पीढ़ी सैन्य वर्दी की शान और सितारे लगाकर बढ़ाया मान'। यह पंक्ति देहरादून के भरत सिंह पर सटीक बैठती है। होश संभालने के बाद से दून के भरत सिंह अपने घर में सैन्य परंपरा और देशभक्ति के जज्बे को जीने लगे। दादा के बाद जब पिता और ताऊ सेना में रहकर देश सेवा कर रहे थे, तो भरत के बड़े भाई ने भी सेना को करियर के रूप में चुना।
जवान होते-होते भरत के रगों में भी देशभक्ति का जुनून दौड़ने लगा और वह 12 मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हो गए। अपनी नेतृत्व क्षमता भान होने के कारण भरत को हमेशा से सैन्य अफसर बनने की ललक थी। फिर क्या था बतौर सिपाही सात साल तक निष्ठा से ड्यूटी के बाद उन्हें आर्मी कैडेट कालेज ने सैन्य अफसर बनने का अवसर प्रदान किया। यहीं से उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी का मार्ग मिला और कठिन परिश्रम के बाद आज वे भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हो गए हैं।
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परिवार में सभी सैनिक हों, तो देशभक्ति का जज्बा दिल में जागना स्वाभाविक है। यही साबित कर दिखाया देहरादून के बालावाला निवासी भरत सिंह ने। भरत सिंह के दादा सेना से बतौर सिपाही सेवानिवृत्त हैं। इसके बाद पिता बलवंत सिंह नायक और ताऊ हवलदार रैंक से रिटायर्ड हैं। जबकि, भाई खिलाफ सिंह वर्तमान में 12 मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट में हवलदार हैं। भरत करीब सात साल पहले 12 मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट में ही सिपाही भर्ती हुए थे, लेकिन अब वे अफसर बन गए हैं। उनके पिता ने उन्हें सैल्यूट करते हुए कहा 'मेरा बेटा साहब बन गया।' भरत ने सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने परिवार का मान बढ़ाया है।
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