डॉ. रविंद्र थपलियाल बने डीजी हेल्थ, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दवा
डॉ. रविंद्र थपलियाल को नया डीजी हेल्थ बनाया गया है। उन्होंने दावा किया है कि स्वास्थ्य सेवाओं को और भी बेहतर बनाया जाएगा।
देहरादून, जेएनएन। राज्य के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. ताराचंद पंत सेवानिवृत्त हो गए हैं। शासन ने डॉ. रविंद्र थपलियाल को नया महानिदेशक बनाया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारियों ने महानिदेशक डॉ. पंत को भावभीनी विदाई दी। उनके कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में हुए महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करते हुए डॉ. पंत को एक सरल स्वभाव, लेकिन स्पष्ट निर्णय लेने वाला अधिकारी बताया।
नवनियुक्त महानिदेशक डॉ. रविंद्र थपलियाल का स्वागत करते हुए डॉ. पंत ने उन्हें शुभकामनाएं दी। डॉ. रविंद्र थपलियाल ने गुरुवार को पदभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा किया है। डॉ. थपलियाल वर्ष 1985 से प्रांतीय चिकित्सा सेवा के अधिकारी हैं। वह मुख्य चिकित्साधीक्षक जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी, अधीक्षक संयुक्त चिकित्सालय रुड़की के साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार का उत्तरदायित्व संभाल चुके हैं। वर्तमान समय में वह स्वास्थ्य महानिदेशालय में निदेशक गढ़वाल मंडल के रूप में तैनात हैं।
मशीन की तरह नहीं, स्नेह के साथ सेवाएं दें
राज्य में गर्भवती माताओं की देखभाल एवं टीकाकरण में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक प्रशिक्षण कार्यशाला चंदर नगर स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित की गई। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने व 2020 तक निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने की सरकार की रणनीति के तहत यह गतिविधि आयोजित की गई।
एनएचएम निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल ने कहा कि हमें गर्भवती माता की प्रसव पूर्व देखभाल के दौरान मशीन की तरह कार्य करने के स्थान पर भावनात्मक स्नेह के साथ सेवाएं देनी चाहिए। तभी स्वास्थ्य सेवाएं पूर्ण मनोयोग के साथ कारगर साबित होंगी। अपर निदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम डॉ. सरोज नैथानी ने कहा कि गर्भस्थ शिशु की देखभाल के दौरान गर्भवती माता के साथ एएनएम के अच्छे व्यवहार के साथ टीकाकरण आदि सेवाओं को गुणात्मक रूप से देने की आवश्यकता है।
उन्होंने शांतिकुंज हरिद्वार के देश एवं प्रदेश में गर्भ संस्कार जैसे महत्वपूर्ण गतिविधियों की जागरूकता किए जाने को सराहनीय प्रयास बताया। उन्होंने इस विषय पर विभागीय स्तर पर एक रणनीति बनाने की बात कही तथा गायत्री परिवार के इस जागरूकता अभियान को प्रत्येक जनपद तक कराए जाने का अनुरोध किया।
गायत्री परिवार शातिकुंज की ओर से 'आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी' के संदेश को लेकर चर्चा की गई। इसमें बताया कि शिशु के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं नैतिक व्यक्तित्व के निर्माण के लिए गर्भसंस्कार जैसी गतिविधिया वैज्ञानिक हैं। मुख्य वक्ता डॉ. गायत्री शर्मा ने बताया कि मां के गर्भ में ही शिशु के सर्वागीण विकास की रचना होती है, जिसे गर्भोत्सव प्रजनन विज्ञान की मदद से सुदृढ़ किया जा सकता है। यदि हमें शरीर से स्वस्थ, मन से संतुलित एवं भावनात्मक रूप से सक्षम भावी पीढ़ी चाहिए, तो हमें गर्भवती माता के शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक वातावरण को गर्भावस्था के पूर्णकाल में अच्छा बनाए रखना होगा।
गायत्री परिवार के डॉ. ओपी शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत कार्य करने वाले प्रत्येक कर्मचारी एवं अधिकारी को सेवा प्रदान करते समय अच्छा व्यवहार रखना अनिवार्य है, तभी हम एक अच्छे एवं स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। बता दें, शांतिकुंज हरिद्वार ने गर्भावस्था के दौरान शिशु को एक स्वस्थ, प्रतिभासाली, प्रखर तेजस्वी बुद्धिमान एवं मानवीय मूल्यों से सम्पन्न नागरिक के रूप में जन्म देने की प्रक्रिया के लिए मुहिम चलाई है, जिसके अंतर्गत आगनबाड़ी, आशा एवं एएनएम को प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यशाला में सीएमओ देहरादून डॉ. एसके गुप्ता, प्रशिक्षण केंद्र की प्रधानाचार्य डॉ. मीनाक्षी उनियाल आदि उपस्थित थे।
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