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अवैध वसूली की शिकायत पर प्रदूषण जांच केंद्रों पर छापे Dehradun News

प्रदूषण जांच केंद्रों पर मची मारामारी के बीच अवैध वसूली की शिकायत पर परिवहन विभाग की टीम ने बुधवार शाम छापेमारी की।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 05:23 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 05:23 PM (IST)
अवैध वसूली की शिकायत पर प्रदूषण जांच केंद्रों पर छापे Dehradun News
अवैध वसूली की शिकायत पर प्रदूषण जांच केंद्रों पर छापे Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। शहर में वाहनों के प्रदूषण जांच केंद्रों पर मची मारामारी के बीच अवैध वसूली की शिकायत पर परिवहन विभाग की टीम ने बुधवार शाम छापेमारी की। एआरटीओ अरविंद पांडे के निर्देशन में हुई कार्रवाई में अवैध वसूली तो नहीं मिली, लेकिन केंद्रों में अन्य खामियां मिलीं। कहीं भी शुल्क का बोर्ड नहीं लगा था, ना ही जांच केंद्र संचालक का नाम दर्ज था। एआरटीओ ने शुल्क का बोर्ड लगाना अनिवार्य करने के साथ ऐसा ना होने पर केंद्र का पंजीकरण निरस्त करने की चेतावनी दी है। बता दें कि नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद आजकल सबसे ज्यादा भीड़ प्रदूषण जांच केंद्रों पर है। इसका फायदा केंद्र संचालक जमकर उठा रहे हैं और चालकों से अवैध वसूली की जा रही है।

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शहर के ज्यादातर जांच केंद्रों पर यही स्थिति है। यहां 100 रुपये के बजाय 150 से 200 रुपये शुल्क वसूलने की शिकायतें हैं। बुधवार को एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि सभी केंद्र संचालकों के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं। अगर कहीं अवैध वसूली पाई गई तो जांच सेंटर का पंजीकरण निरस्त कर ऑनलाइन ब्लॉक कर दिया जाएगा। जांच केंद्रों की गोपनीय जांच बुधवार से शुरू कर दी गई है। रायपुर, बालावाला, हरिद्वार बाईपास पर औचक निरीक्षण कर जांच केंद्रों की पड़ताल की गई। संचालकों को खामियां दूर करने के निर्देश दिए गए हैं।

एक सितंबर से नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद सभी वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य हो गया है। पहले प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र न होने पर एक हजार रुपये जुर्माना लगता था, जो नए अधिनियम में दस गुना बढ़ाकर दस हजार रुपये कर दिया गया है। बीमा न होने पर पहले एक हजार रुपये जुर्माना था, जिसे दोगुना कर दो हजार रुपये किया गया है। लोग पुराने दुपहिया का प्रदूषण जांच कराने में रूचि नहीं लेते हैं। ऐसे लोगों की चिंता अब बढ़ गई है। भले उत्तराखंड में नया जुर्माना फिलहाल लागू नहीं हुआ है लेकिन लोग तगड़े जुर्माने से बचने के लिए अब बीमा व प्रदूषण जांच कराने लगे हैं। चूंकि, शहर में जांच केंद्र की संख्या सीमित है, लिहाजा इन केंद्रों पर भीड़ जुट रही। सरकार ने प्रदूषण जांच के लिए 100 रुपये शुल्क तय किया हुआ है, लेकिन आरोप है कि संचालक अवैध वसूली कर रहे।

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डीएल का राजस्व हुआ दोगुना पार

ड्राइविंग लाइसेंस के हो रहे हजारों आवेदनों से आरटीओ दफ्तर का राजस्व भी दोगुना से ज्यादा बढ़ गया है। एआरटीओ पांडे ने बताया कि पिछले साल एक से 17 सितंबर तक डीएल आवेदन का राजस्व 26 लाख रुपये था, जो इस साल एक से 17 सितंबर तक बढ़कर 56 लाख रुपये हो गया है। यह नए एमवी एक्ट के लागू होने के बाद डीएल बनाने को लेकर लोगों में आई जागरूकता के कारण है।

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