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प्रो. अनिल सहस्रबुद्धि बोले, औद्योगिक विकास से जुड़ें इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम

इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम उद्योगों की जरूरत के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है जिससे छात्रों को पढ़ाई के दौरान ही कौशल विकास में दक्ष किया जा सके।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 05:26 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 05:26 PM (IST)
प्रो. अनिल सहस्रबुद्धि बोले, औद्योगिक विकास से जुड़ें इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम
प्रो. अनिल सहस्रबुद्धि बोले, औद्योगिक विकास से जुड़ें इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम

देहरादून, जेएनएन। अब इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम उद्योगों की जरूरत के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है, जिससे छात्रों को पढ़ाई के दौरान ही कौशल विकास में दक्ष किया जा सके। यह बात अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धि ने कही। उन्होंने बताया कि एआइसीटीई ने इंडक्शन प्रोग्राम के जरिये इसकी शुरुआत भी कर दी है। हालांकि, भविष्य में इसे और अधिक उपयोगी बनने की जरूरत है। 

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प्रो. सहस्रबुद्धि शुक्रवार को यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड इनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) में नेक्स्ट जेनरेशन कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि शोध पुस्तकालयों में सजाने के लिए नहीं होते। उन्हें उपयोगी बनाने की जरूरत है, जिससे समाज का विकास हो सके। आने वाला कल पूरी तरह प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा, इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सतत विकास बेहद जरूरी है। तकनीकी शिक्षा में टेक्निकल डाटाबेस बेहद महत्वपूर्ण होता है। नवाचार में यह बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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उन्होंने कहा कि स्मार्ट इंडिया हेकाथॉन में देशभर में हजारों युवा एक छत के नीचे बैठकर राष्ट्रीय समस्याओं का हल तलाशते हैं। इसमें देश के नामी आइआइटी बंगलुरू, कानपुर, दिल्ली और रुड़की के अलावा लगभग सभी आइआइएम के छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। वर्ष 2017-18 स्मार्ट इंडिया हेकाथॉन संस्करण में उत्तराखंड के ग्राफिक एरा डीम्ड विवि व आइआइटी रुड़की में ग्रैंड फिनाले आयोजित किए गए थे। इस वर्ष भी इस प्रतियोगिता में लाखों युवाओं के प्रतिभाग करने की उम्मीद है।     

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संस्थान में करें पौधारोपण 

एआइसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धि ने उच्च शिक्षण संस्थानों में पौधारोपण पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि क्लीन कैंपस ग्रीन कैंपस योजना के तहत छात्र, फैकल्टी और स्टाफ संस्थानों में अधिक से अधिक पौधे लगाएं। उन्होंने सभी से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की अपील की। 

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