फीस के लिए वाट्सएप ग्रुप पर भेज रहे नाम काटने का नोटिस
मनमानी पर उतारू निजी स्कूल अब फीस के लिए अभिभावकों को बच्चे का नाम काटने का नोटिस भेजकर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। मनमानी पर उतारू निजी स्कूल अब फीस के लिए अभिभावकों को बच्चे का नाम काटने का नोटिस भेजकर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। गंभीर बात यह है कि नोटिस उसी वाट्सएप ग्रुप पर भेजा जा रहा है, जिसके जरिये बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ग्रुप से कक्षा के अन्य बच्चे और उनके अभिभावक भी जुड़े हैं। ऐसे में फीस जमा नहीं कर पा रहे बच्चे व उनके अभिभावक मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, शिक्षा सचिव और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। एसोसिएशन ने ऐसे स्कूलों की जांच कराकर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
उत्तराखंड में लॉकडाउन लागू होने के बाद हाईकोर्ट के साथ ही राज्य सरकार ने निजी स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी पर रोक लगाने के साथ निर्देश दिया था कि इस सत्र में केवल ट्यूशन फीस ही ली जाए। इसके लिए भी स्कूलों को सख्त निर्देश दिया गया था कि वह किसी अभिभावक को फीस देने के लिए बाध्य नहीं करेंगे और न ही फीस जमा नहीं होने की स्थिति में बच्चे को पढ़ाई से वंचित किया जाएगा। लेकिन, निरंकुश हो चुके निजी स्कूल हाईकोर्ट और राज्य सरकार के निर्देशों का रत्ती भर पालन नहीं कर रहे। पहले दूसरे शुल्कों को ट्यूशन फीस में ही जोड़कर वसूलने के साथ फीस के लिए दबाव बनाने का मामला सामने आया था। अब शिकायत मिली है कि कुछ स्कूल अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाने के लिए उन्हें नोटिस भेज रहे हैं कि जल्द शुल्क जमा नहीं किया तो बच्चे का नाम काट दिया जाएगा।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि स्कूल ऐसे बच्चों के नाम की लिस्ट बनाकर उस वाट्सएप ग्रुप में डाल रहे हैं, जिसके माध्यम से बच्चों को पढ़ाई कराई जा रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि अभिभावकों पर मानसिक दबाव बनाया जा सके। स्कूलों की इस हरकत से अभिभावकों के साथ छात्र-छात्राएं भी परेशान हैं। एसोसिएशन ने यह भी मांग की है कि निजी स्कूल अभिभावकों को बताएं कि किस मद मे कितनी फीस ली जा रही है। साथ ही फीस न मिलने पर छात्र-छात्राओं को पढ़ाई से वंचित न किया जाए।
अवकाश में भी कक्षाएं जारी
कहने को तो प्रदेश के तकरीबन सभी निजी स्कूल ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन, अवकाश में भी बच्चों का पढ़ाई से पीछा नहीं छूटा है। कुछ स्कूल अवकाश के दिनों में भी अतिरिक्त कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। इससे बच्चे तो छुट्टीं का लुत्फ उठा नहीं पा रहे, अभिभावक परेशान हैं सो अलग। अभिभावकों का कहना है कि इससे छोटे बच्चों पर मानसिक बोझ बढ़ रहा है। सुबह से शाम तक मोबाइल और लैपटॉप पर काम करने से उनकी आखों में दर्द के साथ व्यवहार में चिड़चिड़ापन भी आ रहा है।