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निजी डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध किया काम, दी यह चेतावानी

शारीरिक दूरी का पालन न होने पर आहूजा पैथोलॉजी लैब पर दर्ज मुकदमे के खिलाफ शहरभर के निजी चिकित्सकों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:41 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 11:41 AM (IST)
निजी डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध किया काम, दी यह चेतावानी

देहरादून, जेएनएन। शारीरिक दूरी का पालन न होने पर आहूजा पैथोलॉजी लैब पर दर्ज मुकदमे के खिलाफ शहरभर के निजी चिकित्सकों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। बुधवार को डॉक्टर और स्टाफ ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। यह चेतावनी दी कि मुकदमा वापस नहीं हुआ तो आगे आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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आइएमए देहरादून की सचिव डॉ. रूपा हंसपाल ने कहा कि महामारी एक्ट के नाम पर निजी चिकित्सकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। लैब संचालक ने शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए पुलिस को पत्र लिखा था। लेकिन, कोई भी पुलिसकर्मी वहां तैनात नहीं किया गया। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है लैब परिसर में नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है। बाकायदा मरीजों के खड़े होने के लिए घेरे बनाए गए हैं और उन्हें शारीरिक दूरी का पालन करने को भी कहा जा रहा है।

बाहर सड़क पर भीड़ लगी है तो इसकी जिम्मेदारी लैब संचालक की नहीं है। डॉ. हंसपाल ने कहा कि पिछले कुछ वक्त में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी है और इस कारण अस्पतालों में बेड तक फुल हो हैं। यहीं नहीं कोरोना जांच कराने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इस आपात स्थिति में पुलिस-प्रशासन के सहयोग की आवश्यकता है। यदि किसी से कुछ गलती हो भी जाए तो उसमें सुधार का मौका दिया जाना चाहिए। आहूजा पैथोलॉजी लैब पर कार्रवाई से डॉक्टरों का मनोबल गिरा है। ऐसे में पुलिस-प्रशासन को इस ओर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

काली पट्टी बांध जताया रोष

लंबित मांगों पर शासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर आइटीआइ कर्मचारी संघ के बैनर तले बुधवार को निरंजनपुर आइटीआइ, गुजराड़ा, सर्वेचौक व राजपुर रोड स्थित आइटीआइ परिसरों में कर्मचारियों ने हाथों पर काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

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आइटीआइ कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद जोशी ने कहा कि आइटीआइ के कार्यदेशकों के 55 रिक्त पदों पर डेढ़ वर्ष से लंबित पदोन्नति के अधियाचन पर अमल हो। आइटीआइ कर्मचारियों के सेवाहितों पर शासन स्तर पर समीक्षा हो। विभाग के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप न हो। विभाग के कोई भी फैसले सीधे शासन स्तर पर न लिए जाएं। विभागीय स्तर पर कार्यदेशक के रिक्त पदों पर पदोन्नति की अतिशीघ्र कार्रवाई हो। कर्मचारियों को विभाग की वार्षिक गोपनीय चरित्र प्रविष्ठि (एसीआर) मान्य नहीं है।

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