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उत्तराखंड: ऊर्जा निगमों में सेवा नियमावली में संशोधन की मांग, ये पांच बिंदु हैं शामिल

पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने ऊर्जा के तीनों निगमों में अवर अभियंता की सेवा नियमावली में संशोधन की मांग की है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:35 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:35 AM (IST)
उत्तराखंड: ऊर्जा निगमों में सेवा नियमावली में संशोधन की मांग, ये पांच बिंदु हैं शामिल

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने ऊर्जा के तीनों निगमों में अवर अभियंता की सेवा नियमावली में संशोधन की मांग की है। एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने पत्र के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं पर प्रबंध निदेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।

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एसोसिएशन के महासचिव पवन रावत ने बताया कि पत्र में पांच बिंदु शामिल हैं। अवर अभियंता को उत्तराखंड का मूल निवासी-स्थाई निवासी होना आवश्यक किया जाए। अगर सहायक अभियंता सेवा नियमावली में एक वर्ष प्रशिक्षण अवधि को समाप्त किया जाता है तो अवर अभियंता को भी समानता देते हुए एक वर्ष प्रशिक्षण अवधि को समाप्त कर सीधे अवर अभियंता के पद पर मौलिक नियुक्ति दी जाए। अवर अभियंता और सहायक अभियंता की परिवीक्षा अवधि अलग-अलग न रखी जाए। वरिष्ठता का निर्धारण वरिष्ठता नियमावली-1998 के अनुसार मौलिक नियुक्ति की तिथि से ही होना चाहिए और प्रोन्नत को वरिष्ठता क्रम में सीधी भर्ती के अभ्यर्थी से ऊपर प्रथम स्थान पर होना चाहिए। 

अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति के लिए बीटेक, एएमआइई डिग्री अनिवार्य की गई है, जो अवर अभियंता, सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता के पद पर अर्जित अनुभव की उपेक्षा है। उत्तराखंड राज्य सरकार के अंतर्गत ऐसा कोई प्रविधान नहीं है। डिप्लोमा इंजीनियर को अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति से वंचित रखना न्याय विरुद्ध होगा, जबकि शासन और सरकार ने प्रत्येक कर्मचारी को तीन समयबद्ध वेतनमान के साथ ही तीन प्रोन्नति की व्यवस्था प्रदान की है।

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केंद्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने तीनों निगमों के प्रबंधन से अनुरोध किया कि अवर अभियंता की नियुक्ति की आयु सीमा 42 वर्ष है, ऐसे में तृतीय प्रोन्नति पाना संभव नहीं है। इसे परिवर्तित किया जाए। साथ ही सेवा विनियमावली में संशोधन करते हुए नौ वर्ष, 14 वर्ष और 19 वर्ष की अवधि में एसीपी की व्यवस्था प्रदान की जाए।

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