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ज्ञान गंगा : उत्‍तराखंड में बच्चों के पोषण पर पीएम मोदी की नजरें

उत्‍तराखंड में स्कूलों के कक्षा एक से आठवीं तक करीब साढ़े छह लाख से ज्यादा बच्चों को करीब डेढ़ साल बाद मिड डे मील मिलेगा। स्कूलों में मिड डे मील बनाने के आदेश दिए गए हैं। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस योजना के क्रियान्वयन पर सीधी नजर रहेगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 10:34 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 10:34 AM (IST)
स्कूलों में करीब साढ़े छह लाख से ज्यादा बच्चों को करीब डेढ़ साल बाद मिड डे मील मिलेगा।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। राज्य के सरकारी और सहायताप्राप्त गैर सरकारी स्कूलों के कक्षा एक से आठवीं तक करीब साढ़े छह लाख से ज्यादा बच्चों को करीब डेढ़ साल बाद मिड डे मील मिलेगा। आगामी एक नवंबर से स्कूलों में मिड डे मील बनाने के आदेश दिए गए हैं। कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद रहे तो बच्चों को दोपहर में पका पकाया भोजन नहीं मिल सका। हालांकि इसके स्थान पर बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया गया। बच्चों को खाद्य सामग्री की कीमत के साथ ही भोजन पकाने में आने वाली लागत का भुगतान भी किया गया। केंद्र सरकार इस योजना का नाम बदल चुकी है। इसका नामकरण प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना किया जा चुका है। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस योजना के क्रियान्वयन पर सीधी नजर रहेगी। ऐसे में स्कूली बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाने में लापरवाही शिक्षा विभाग और अधिकारियों को भारी पड़ना तय है। विभाग सतर्क है।

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तो इंतजार का फल होता है मीठा

सरकार ने इंतजार तो कराया, लेकिन सहायताप्राप्त अशासकीय डिग्री कालेजों की मुराद पूरी कर दी। कालेजों के शिक्षक व शिक्षणेत्तर कार्मिकों के संगठन वेतन भुगतान नहीं होने के कारण आंदोलन कार्यक्रम तय कर चुके थे। चुनावी नजदीक होने से शिक्षकों व कर्मचारियों के आंदोलन को लेकर सरकार सतर्कता बरत रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन मामलों को तुरत-फुरत निस्तारित करने में जुटे हैं। वेतन नहीं मिलने की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर शासन तुरंत सक्रिय हुआ। इसके बाद वेतन मद की 52 करोड़ की राशि जारी कर दी गई। शिक्षक संगठन सरकार पर पदोन्नति का रास्ता रोकने का आरोप लगा रहे थे। तीन साल बाद सरकार ने यूजीसी के विनियम-2018 को लागू कर कैरियर एडवांसमेंट योजना पर हामी भर दी। पदोन्नति के लिए चयन समिति संशोधित की गई है। सरकारी कालेजों के शिक्षकों को भी यह लाभ मिलेगा। दीपावली से पहले यह दोहरी खुशी हासिल हो गई।

पदोन्नति को तरस रहे शिक्षा उप निदेशक

शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशकों को पदोन्नति का तोहफा मिल चुका है। अब उप निदेशकों की बारी है। उन्हें पदोन्नति का इंतजार हैं। संयुक्त निदेशकों को पदोन्नति के लिए खूब प्रतीक्षा करनी पड़ी थी। एक साल से ज्यादा का वक्त सिर्फ सेवा अभिलेखों को दुरुस्त करने में ही बीत गया था। लंबी कसरत के बाद यह काम पूरा हुआ तो कोरोना काल में काम ठप होने की वजह से और छह महीने की देरी हो गई। देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर विभाग ने नौ पदोन्नत अपर निदेशकों को नई तैनाती दी। पदोन्नति के बाद अब संयुक्त निदेशकों के पद रिक्त हो गए हैं। उपनिदेशक प्रभारी संयुक्त निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं। सिर्फ विधिवत पदोन्नति का इंतजार है। सरकार विभागों को पदोन्नति के लंबित प्रकरण तेजी से निपटाने की हिदायत दे चुकी है। इस संबंध में फाइल मूवमेंट शुरू हो चुका है। निगाहें डीपीसी पर हैं।

जमीन पर उतरी नए कालेजों की घोषणा

महज 15 दिन पहले खोले गए नए सरकारी डिग्री कालेज दाखिले को तैयार हैं। बात चौंकाने वाली है। ऐसा होता है तो यह किसी रिकार्ड से कम नहीं होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते महीने ही नए डिग्री कालेज खोलने की घोषणा की। घोषणा के बाद अब तक नौ नए डिग्री कालेजों को पदों समेत खोला जा चुका है। जुगाड़ से शिक्षकों की तैनाती नहीं होगी। प्रभारी प्राचार्यों की तैनाती हो चुकी है। उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले ही मुख्यमंत्री की घोषणा को जमीन पर उतारने का बीड़ा उठाए हुए हैं। वित्त और कार्मिक से नए कालेजों की पदों समेत मंजूरी लेने में खासा पसीना बहाना पड़ा है। नए कालेजों के पास अपने भवन नहीं हैं। कामचलाऊ व्यवस्था की गई है। नजदीकी सरकारी दफ्तरों और शिक्षण संस्थानों के भवनों के खाली पड़े कमरों का उपयोग किया जा रहा है।

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