उत्तराखंड में कई मंत्रियों के महकमों में फेरबदल की तैयारी
उत्तराखंड में देर से बने दो नए मंत्रियों नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी को महकमे थमाने के साथ ही मौजूदा मंत्रियों के महकमों में भी फेरबदल की तैयारी चल रही है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड में देर से बने दो नए मंत्रियों के लिए अब पोर्टफोलियो का इंतजार भी लंबा करना पड़ सकता है। नए मंत्रियों नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी को महकमे थमाने के साथ ही मौजूदा मंत्रियों के महकमों में भी फेरबदल की तैयारी चल रही है।
हालांकि, महकमों में फेरबदल की चर्चाओं से मंत्रियों में बेचैनी बनी हुई है। मनमाफिक महकमे हटने की सूरत में ये बेचैनी असंतोष की शक्ल लेती नजर आ सकती है।
पढ़ें-जिस संजीवनी बूटी ने लक्ष्मण के प्राण बचाए थे, उसे खोजेगी रावत सरकार
राज्य में अगले विधानसभा चुनाव में अब अधिक वक्त शेष नहीं है। लंबे सियासी झंझावत से गुजरने के बाद चुनाव से महज कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दो नए मंत्री बना तो दिए, लेकिन उन्हें महकमे आवंटित करने को लेकर ऊहापोह बना हुआ है।
पढ़ें-उत्तराखंड: रावत मंत्रिमंडल का विस्तार, नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी बने मंत्री
बीते रोज मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद माना जा रहा था कि कुछ घंटों में ही उन्हें महकमे भी दे दिए जाएंगे, लेकिन एक दिन गुजरने के बाद भी यह कवायद परवान नहीं चढ़ पाई।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री नए मंत्रियों को जिम्मेदारी देने के साथ पुराने मंत्रियों को दिए गए महकमों की प्रगति की समीक्षा में जुटे हैं। महकमों की सुस्त प्रगति राज्य सरकार के लिए एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर का काम कर सकती है।
पढ़ें-मंत्रीमंडल विस्तार से संतुलन बनाने में कामयाब रहे सीएम
लिहाजा मुख्यमंत्री परफारमेंस को आधार बनाकर पुराने मंत्रियों पर महकमों के बोझ को कुछ कम कर सकते हैं। हालांकि, महकमे हटाए जाने के कयासों से मंत्रियों में हड़कंप भी है। यह कवायद परवान चढ़े, इससे पहले ही कुछ मंत्रियों ने नाराजगी दिखानी शुरू कर दी है। दरअसल, पहले सियासी संकट और फिर लेखानुदान के चलते मंत्रियों की हसरत भी अधूरी हैं।
अब जब राज्य सरकार नए सिरे से अपना बजट पारित कर चुकी है तो उनमें महकमेवार विभिन्न योजनाओं के लिए बजट के उपयोग को लेकर दिलचस्पी बनी हुई है। ऐसे में महकमों में फेरबदल से उनके हाथ मायूसी लग सकती है।
पढ़ें-उत्तराखंड स्टिंग को लेकर विवादों में रहे यादव की ऊर्जा निगम में फिर ताजपोशी
बहरहाल, मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने अपनी रणनीति को अंजाम देने की राह में अड़चनें हैं। मुख्यमंत्री ने बीजापुर अतिथि गृह में वरिष्ठ मंत्री और सियासी संकट के दौरान सरकार की संकटमोचक साबित हुईं डॉ इंदिरा हृदयेश के साथ मंत्रिमंडल के अपने कई सहयोगियों से काफी देर तक बातचीत की।
सूत्रों की मानें तो बैठक में मंत्रियों के महकमों में फेरबदल को लेकर भी चर्चा हुई, लेकिन बातचीत निर्णायक रूप नहीं ले पाई। नतीजतन, शुक्रवार को नए मंत्रियों को महकमे आवंटित नहीं किए जा सके।
पढ़ें:-सीएम हरीश रावत ने गृहमंत्री राजनाथ से मांगे 5.62 करोड़ रुपये