घाटे का सौदा बने खाद प्लांट पर मंडी के हाथ खड़े, अब कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना
मंडी समिति ने घाटे का सौदा साबित हो रहे ऑर्गेनिक वेस्ट कनवर्टर (ओडब्ल्यूसी) प्लांट को पूर्ण से बंद करने की निर्णय लिया है।
देहरादून, जेएनएन। देहरादून जिले में मंडी समिति ने घाटे का सौदा साबित हो रहे ऑर्गेनिक वेस्ट कनवर्टर (ओडब्ल्यूसी) प्लांट को पूर्ण से बंद करने की निर्णय लिया है। अब यहां कोल्ड स्टोर बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा गया है।
निरंजनपुर मंडी परिसर में रोजाना पैदा होने वाले सड़े-गले फल-सब्जी के उचित निस्तारण को लाखों की लागत से वर्ष 2013 में ऑर्गेनिक वेस्ट कनवर्टर (ओडब्ल्यूसी) प्लांट स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य फल-सब्जी के कूड़े को उपयोग में लाकर किसानों को उत्तम गुणवत्ता की खाद मुहैया कराना था, साथ ही मंडी समिति की आय बढ़ने की भी उम्मीद थी। इससे किसानों को तो सस्ती और अच्छी खाद मिली, लेकिन मंडी समिति को जरूर घाटा होने लगा। दरअसल, शासन की गाइडलाइन के तहत मंडी समिति पांच रुपये प्रति किलो से अधिक दाम पर खाद नहीं बेच सकती थी।
वहीं, प्लांट के संचालन को आउटसोर्स पर तीन कर्मचारी रखे गए, जिनका वेतन और प्लांट के रख-रखाव खर्च भी खाद बेचकर नहीं निकाला जा सका। ऐसे में करीब सात साल से मंडी समिति इसे घाटे के सौदे का वहन कर रही थी। इसके साथ ही प्लांट के कारण परिसर में सांस लेना भी दूभर हो रहा था। मंडी सचिव विजय थपलियाल ने कहा कि मंडी में स्थापित खाद प्लांट से समिति को घाटा हो रहा था। वैसे भी पिछले चार माह से प्लांट बंद है। यहां अब कोल्ड स्टोर बनाने की योजना है। प्रस्ताव भेजा गया है।
कोल्ड स्टोर का भेजा प्रस्ताव
हाल ही में हुई मंडी समिति की बैठक में अध्यक्ष राजेश शर्मा और सचिव विजय प्रसाद थपलियाल ने खाद प्लांट को बंद कर कोल्ड स्टोर बनाने का प्रस्ताव रखा। जिसे शासन के पास भेज दिया गया है। अब अनुमति मिलने के बाद जल्द यहां कोल्ड स्टोर बनाने पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
20 दिन में बनती थी 20 टन खाद
मंडी के इस प्लांट में सड़ी हुई फल-सब्जी से खाद बनाने में करीब 20 दिन का समय लगता था। जबकि, इसकी क्षमता 20 टन थी। यानि 20 दिन में 20 टन खाद यहां तैयार कर ली जाती थी। जिसकी गुणवत्ता सामान्य खाद से बेहतर होती है।
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क्षमता बढ़ाने को भी किए प्रयास
कुछ साल पहले निरंजनपुर मंडी समिति ने प्लांट की क्षमता बढ़ाने को भी प्रयास किए थे। तत्कालीन मंडी अध्यक्ष ने नगर निगम के अधिकारियों के सामने एक प्रस्ताव रखा था। जिसके तहत शहर की तमाम फुटकर सब्जी मंडियों के जैविक कूड़े को मंडी समिति के प्लांट में पहुंचाया जाना था। जिस पर सहमति भी बन गई थी, लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ सकी।