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पलायन की पीड़ा को भूल उन्नत गांव की कल्पना करनी होगी साकार

प्रदेश के लिए कोविड-19 का यह दौर ऐसा अवसर है जब हम पलायन की पीड़ा को भूल उन्नत गांव की कल्पना को साकार कर सकते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 07:47 PM (IST)
पलायन की पीड़ा को भूल उन्नत गांव की कल्पना करनी होगी साकार
पलायन की पीड़ा को भूल उन्नत गांव की कल्पना करनी होगी साकार

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के लिए कोविड-19 का यह दौर ऐसा अवसर है, जब हम पलायन की पीड़ा को भूल उन्नत गांव की कल्पना को साकार कर सकते हैं। इसके लिए सरकार विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासियों का पंजीकरण कर रही है। जिससे प्रदेश के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। यह बातें शुक्रवार को उत्तराखंड राज्य पलायन एवं ग्राम्य विकास आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने ‘कोविड-19 के दौर में पलायन कर गांव लौटे मानव संसाधन विकास के लिए चुनौतियां एवं अवसर’ विषय पर हुए राष्ट्रीय वेबिनार में कहीं।

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इससे पहले दून विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी की ओर से आयोजित इस वेबिनार का डॉ. नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन किया। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड लौटे अधिकांश कामगार मजदूर वर्ग से नहीं हैं। इनमें बड़ी संख्या हॉस्पिटेलिटी और सेवा क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं की है। जिनको उनके कौशल के अनुसार अवसर उपलब्ध कराने पर मंथन किया जा रहा है। इस दौरान दून विवि के प्रबंधन विभागाध्यक्ष प्रो. एचसी पुरोहित ने भी रोजगार और अर्थव्यवस्था पर विचार रखे। प्रथम सत्र की अध्यक्षता वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर के प्रबंध संकाय के अध्यक्ष प्रो. अवीनाश डी. पार्थरडीकर और द्वितीय सत्र की अध्यक्षता गुरुकुल कांगड़ी विवि, हरिद्वार के डॉ. वीके सिंह ने की। इस अवसर पर डॉ. डीडी चौनियाल, डॉ. प्राची पाठक, डॉ. मधु बिष्ट आदि मौजूद रहे।

दीर्घकालीन योजना से रोकेंगे पलायन

वेबिनार में राज्य नियोजन विभाग के अधिकारी मनोज कुमार पंत ने कहा कि सरकार प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति गंभीर है और इसके लिए दीर्घकालीन योजना तैयार कर रही है। दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो विकास धूलिया ने कहा, आंकड़े बताते हैं कि राज्य से हुए पलायन में आधे से अधिक लोग रोजगार की तलाश में गए। इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य भी पलायन का बड़ा कारण है।

पांच राज्यों में एक करोड़ से ज्यादा ने किया पलायन

समापन सत्र के मुख्य अतिथि आइआइटी रुड़की के आचार्य एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. डीके नोरियाल के कहा कि इस महामारी के चलते देश के सिर्फ पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र में ही एक करोड़ से अधिक कामगारों ने पलायन किया है। इन मानव संसाधनों के रोजगार के लिए सरकार को ठोस कार्य योजना बनानी होगी।

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रिवर्स पलायन बनेगा प्रदेश के विकास का इंजन

उत्तराखंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि अगर हम सही एवं एकीकृत नीति का निर्माण व क्रियान्वयन करें तो रिवर्स पलायन राज्य के लिए विकास का इंजन सिद्ध हो सकता है। इसके लिए जनपद स्तर पर कौशल मापन के साथ लोगों को आवश्यकता अनुसार प्रशिक्षित करना होगा। प्रशिक्षित युवक खुद का भी उद्यम संचालित कर सकते हैं, जो स्वरोजगार के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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