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Uttarakhand Lockdown: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड घर में काट रहा मौज, नहीं जुटाए जा रहे ताजा आंकड़े

राज्य में लॉकडाउन है और जरूरी कामकाज से संबंधित कार्यालयों को छोड़कर बाकी बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास प्रदूषण के अंतिम आंकड़े 14 मार्च तक के हैं।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 11:23 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 11:23 AM (IST)
Uttarakhand Lockdown: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड घर में काट रहा मौज, नहीं जुटाए जा रहे ताजा आंकड़े
Uttarakhand Lockdown: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड घर में काट रहा मौज, नहीं जुटाए जा रहे ताजा आंकड़े

देहरादून, सुमन सेमवाल। बेशक इस समय राज्य में लॉकडाउन है और जरूरी कामकाज से संबंधित कार्यालयों को छोड़कर बाकी बंद कर दिए गए हैं। हालांकि, जिनमें संभव है, उनमें वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) की व्यवस्था लागू है। अब उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कौन समझाए कि वायु प्रदूषण का निदान दून के लिए कितने मायने रखता है। इस समय जब वाहनों की आवाजाही न्यूनतम है व कारखानों में काम बंद है तो वायु प्रदूषण भी निम्न स्तर पर आ गया है। 

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ऐसे में यदि प्रदूषण के आंकड़े लिए जाते तो हम आंकड़ों के साथ कह सकते थे कि वायु प्रदूषण में वाहनों व कारखानों के धुएं की स्थिति कितनी है। यह तो तब हो पाता, जब बोर्ड के कार्मिक यह आंकड़े जुटाते। यह कोई ऐसा काम भी नहीं कि जिससे कोरोना वायरस का खतरा हो। सिर्फ एक दिन छोड़कर स्टेशन से आंकड़े ही तो जुटाने हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास प्रदूषण के अंतिम आंकड़े 14 मार्च तक के हैं। उस समय तक पीएम-2.5 का औसत स्तर आइएसबीटी स्टेशन पर 97.69 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। यानी, 14 मार्च तक भी वायु प्रदूषण 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के मानक से 62.81 फीसद अधिक था। उस समय तक भी वाहनों की आवाजाही में कुछ हद तक अंकुश लग चुका था, क्योंकि सामान्य दिनों में यह आंकड़ा मानक से दोगुना रहता है। 

ऐसे में यदि हमारे अधिकारी 22 मार्च के जनता कर्फ्यू व अब के लॉकडाउन में आंकड़े जुटाते रहते तो वायु प्रदूषण में वाहनों के धुएं की हिस्सेदारी स्पष्ट कर ली जाती। इन आंकड़ों का प्रयोग हम भविष्य में वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपायों में कर सकते थे। जनता कर्फ्यू को भी 14 दिन बीत गए हैं और बोर्ड अधिकारी अभी भी वर्क फ्रॉम होम के नाम पर प्रदूषण तक की रीडिंग लेने से कतरा रहे हैं।

विंडी की साइट पर 15 से 19 के बीच दिखा 2.5 का स्तर

मौसम की भविष्यवाणी समेत प्रदूषण (2.5 आदि) के स्तर को सेटेलाइट के जरिये मापने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की साइट विंडी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जिस दून में वायु प्रदूषण हमेशा ही विकट समस्या के रूप में दिखता है, वहां शनिवार को पीएम 2.5 की स्थिति 19 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर सिमटी दिखी। 

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दून के बाहरी क्षेत्र रायपुर, कौलागढ़ व पटेलनगर क्षेत्र में यह स्तर 17 पाया गया। 28 मार्च को यह आंकड़ा और भी कम 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया था। यानी कि इसी दून में वायु प्रदूषण का स्तर मानक (60) से 75 फीसद से नीचे पहुंच रहा है। हम यह नहीं कह रहे कि वाहनों की इसी तरह आवाजाही रहनी चाहिए, बल्कि मकसद यह है कि सामान्य दिनों में भी हम वाहनों के प्रयोग को नियंत्रित करें तो दूर के हालात बदल सकते हैं।

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