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फर्जी आदेश वायरल के मामले में उप परिवहन आयुक्त से पूछताछ करेगी पुलिस Dehradun News

आरटीओ देहरादून के स्थानांतरण का फर्जी आदेश वायरल करने के मामले में पुलिस अब उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग से पूछताछ करने की तैयारी में जुट गई है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 10:39 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 10:39 AM (IST)
फर्जी आदेश वायरल के मामले में उप परिवहन आयुक्त से पूछताछ करेगी पुलिस Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। आरटीओ देहरादून के स्थानांतरण का फर्जी आदेश वायरल करने के मामले में पुलिस अब उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग से पूछताछ करने की तैयारी में जुट गई है। इससे पहले इस प्रकरण में गिरफ्तार किए गए आरोपित डालनवाला निवासी कुलवीर सिंह नेगी को पुलिस ने अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। 

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वहीं, उप परिवहन आयुक्त से पूछताछ से पहले पुलिस पूरा होम वर्क कर रही है। पुलिस इस बात की जानकारी जुटा रही है कि उप परिवहन आयुक्त गिरफ्तार किए गए आरोपित से फायदा ले सकते थे या नहीं। स्थानांतरण का फर्जी आदेश अधिकारी के संज्ञान में था या नहीं। 

बताया जा रहा है कि गिरफ्तार कुलवीर नेगी प्रॉपर्टी डीलिंग करता था। उसके पास काफी संपत्ति भी है। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि उप परिवहन आयुक्त से पूछताछ की जाएगी। इसके लिए पुलिस तैयारी कर रही है। 

26 जून को देहरादून के आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई के स्थानांतरण का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसकी सत्यता की प्रारंभिक जांच की गई तो पता चला कि आदेश फर्जी है। इस पर आरटीओ ने शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसकी जांच एसआइटी कर रही है।

प्रवेश द्वार पर नाम को लेकर महापौर कक्ष में भिड़े दो पक्ष

शहर के बंजारावाला वार्ड में कॉलोनी के प्रवेश द्वार पर गोरखा गांव के नाम का बोर्ड लगाने को लेकर दो पक्षों का विवाद महापौर कार्यालय जा पहुंचा। स्थिति ये हुई कि सुलह के लिए बुलाए गए दोनों पक्ष महापौर के सामने ही भिड़ पड़े। करीब एक घंटे जमकर बहस-बाजी हुई और नौबत धमकी तक आ गई। इस पर महापौर सुनील उनियाल गामा ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों को शांत कराया। हालांकि, दोनों पक्षों की सुलह वार्ता विफल हो गई एवं महापौर ने मामला जिलाधिकारी के समक्ष भेजने की संस्तुति की।

बंजारावाला वार्ड में नगर निगम में विलय से पहले तत्कालीन ग्राम पंचायत द्वारा एक क्षेत्र के लिए मुख्य मार्ग पर गोरखा गांव के नाम से बोर्ड लगा दिया गया था। वहां बड़ी संख्या में गढ़वाल के लोगों समेत इस वक्त मिश्रित आबादी रहती है। मिश्रित आबादी के चलते लोगों को क्षेत्र के नाम पर एतराज था। लिहाजा, इसे लेकर जिलाधिकारी के यहां अर्जी दी गई थी। आरोप यह भी था कि ग्राम पंचायत की ओर से सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए बोर्ड लगाया गया था।

जिलाधिकारी ने मामले में जांच कराने के बाद धन के दुरुपयोग को उचित मानते हुए तत्कालीन ग्राम प्रधान व ग्राम सभा के सक्षम अधिकारी के खिलाफ रिकवरी का आदेश दिया गया। नगर निगम की सीमा में उक्त क्षेत्र शामिल होने के बाद वार्ड पार्षद नीलम उनियाल वहां शहीद के नाम से बोर्ड लगवाना चाहती हैं। स्थानीय लोग भी साथ हैं, लेकिन गोरखा समुदाय वहां गोरखा गांव के नाम से ही बोर्ड लगाना चाहता है। बोर्ड को पिछले दिनों हटा दिया गया, जिसे लेकर दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति बनी हुई है।

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मामले का समाधान निकालने के लिए पार्षद नीलम उनियाल अपने पक्ष व गोरखा समुदाय के लोग अपने पक्ष के साथ महापौर के यहां पहुंचे। यहां दोनों पक्षों में जमकर विवाद हुआ और कोई हल नहीं निकलने पर महापौर ने सभी को बाहर कर मामला जिलाधिकारी के यहां भेज दिया। बतादें कि गोरखा गांव के बोर्ड को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। क्योंकि अब वहां मिश्रित आबादी बस चुकी है।

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