सावधान! यहां धड़ल्ले से बिक रहा नकली सामान, पुलिस हुई सख्त; उपभोक्ता जान लें अपने अधिकार
बाजार में तमाम ब्रांडेड कंपनियों के नकली सामानों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। यह असली से इतने मिलते-जुलते हैं कि कंपनी का एक्सपर्ट भी धोखा खा जाए लेकिन बीते शुक्रवार को की गई पुलिस की कार्रवाई ने नक्कालों को साफ संदेश दे दिया है।
देहरादून, जेएनएन। नक्कालों से सावधान का स्लोगन भले ही सतर्क रहने का आभास कराता हो, लेकिन हकीकत यह है कि बाजार में तमाम ब्रांडेड कंपनियों के नकली सामानों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। यह असली से इतने मिलते-जुलते हैं कि कंपनी का एक्सपर्ट भी धोखा खा जाए, लेकिन बीते शुक्रवार को की गई पुलिस की कार्रवाई ने नक्कालों को साफ संदेश दे दिया है कि पुलिस अब उनका पीछा छोड़ने वाली नही है। इसके लिए डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने अन्य विभागों के साथ मिलकर अभियान छेड़ने की बात कही है। दरअसल, खाद्य सामग्रियों के नकली होने के मामले अक्सर ही सामने आते रहते हैं। लेकिन हाल के दिनों में नकली जींस, टीशर्ट, टीवी समेत अन्य कीमती सामानों के पकड़े जाने से साबित होने लगा है कि बाजार में नक्कालों का गिरोह गहरी पैठ बना चुका है।
खरीदारी से पहले करें जांच-पड़ताल
अक्सर ब्रांडेड सामान की खरीदारी करते समय कम कीमत या छूट उपभोक्ता को आकर्षित करती है। ऐसे में जरूरी है कि प्रलोभन वाले सामानों की असलियत परखें। जरूरत हो तो कंपनी के टोल फ्री नंबर पर बात कर तस्दीक कर सकते हैं। यह आपको धोखा खाने से बचाएगा। इन सब के बाद भी अगर ठगी के शिकार हो गए तो उपभोक्ता संरक्षण कानून की मदद ले सकते हैं।
उपभोक्ता हितों की अनदेखी पर सजा
- अगर मिलावटी और नकली सामान से उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होता है तो सामान बनाने वाले को छह माह की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- अगर उपभोक्ता को उस मिलावटी सामान के इस्तेमाल से मामूली नुकसान होता है तो एक साल की जेल और तीन लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
- नकली सामान के इस्तेमाल से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है तो निर्माता को सात साल की जेल और पांच लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा।
- अगर मिलावटी या नकली सामान के इस्तेमाल से उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो सामान बनाने वाले को उम्रकैद की सजा भी मिल सकती है और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा।
- इस प्रकार के मैन्यूफैक्चरर्स के लाइसेंस को भी रद करने का प्रविधान किया गया है। बिना नुकसान वाली स्थिति में मैन्यूफैक्चरर्स के लाइसेंस को निलंबित किया जाएगा।
- अगर कोई मैन्यूफैक्चरर्स अपने उत्पाद की बिक्री के लिए भ्रामक या तथ्य से हटकर विज्ञापन देता है तो भी मैन्यूफैक्चरर्स को जेल जाना होगा। पहली बार भ्रामक विज्ञापन देने पर दो साल तक की कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना और फिर ऐसा करने पर पांच साल की कैद और 50 लाख का जुर्माना होगा।
बेहद आसान है शिकायत की प्रकिया
उपभोक्ता फोरम के मामलों के जानकार अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल ने बताया कि सामान्य सुविधाओं में कमी होने से लेकर अन्य किसी तरह की असुविधा का सामना करने पर उपभोक्ता फोरम में दावा किया जा सकता है। इसके लिए संबंधित को सादे कागज पर पूरा विवरण लिखकर उसके साथ बिल की छाया प्रति लगानी होती है। इसके लिए आवेदक संबंधित कंपनी या उसके अधिकारी को पार्टी बना सकता है। इसके साथ ही जितने हर्जाने का दावा पेश करना है उसके अनुसार आवेदक को मामूली शुल्क उपभोक्ता फोरम में जमा करना होता है। इसके बाद उपभोक्ता फोरम दावा स्वीकार करता है और संबंधित पक्ष को समन जारी कर फोरम में पेश होने का आदेश देता है। पक्ष के कोर्ट में पेश होने और सुनवाई पूरी होने के बाद आमतौर पर छह महीने में मामले के निस्तारण की संभावना होती है।
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केस एक: 27 जून 2018 को पटेलनगर में लंबे समय से चल रही नकली चिप्स बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई। फैक्ट्री में पेप्सिको कंपनी के ब्रांड लेज के नाम से नकली चिप्स के पैकेट और स्नैक्स बनाए जा रहे थे। पुलिस को फैक्ट्री से सवा सात हजार नकली चिप्स के पैकेट और इसके निर्माण में लगने वाली सामग्री बरामद हुई।
केस दो: 25 सितंबर 2019 को पटेलनगर के देवऋषि एन्क्लेव में चल रही नकली पान मसाला बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया। फैक्ट्री से एक कंपनी के पान मसाला के 3105 पाउच और तंबाकू के तीन बड़े रोल के साथ निर्माण में लगने वाले उपकरण आदि बरामद किए गए।
केस तीन: 19 सितंबर 2020 को नेहरू कॉलोनी क्षेत्र की एक दुकान से ब्रांडेड कंपनियों के 2206 नकली जींस और अन्य कपड़े बरामद किए गए। पुलिस ने सामान जब्त करते हुए दुकान के मालिक के खिलाफ कॉपीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
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