यहां स्पीड लिमिट बोर्ड का पता नहीं और काट जा रहे हैं चालान; जानिए
दून पुलिस को शायद राजमार्गों पर वाहनों की निर्धारित रफ्तार की जानकारी ही नहीं है। न ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तय नियमों की समझ है।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। अपनी दून पुलिस को शायद राजमार्गों पर वाहनों की निर्धारित रफ्तार की जानकारी ही नहीं है। न ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तय नियमों की समझ है। वजह है कि पुलिस शहर में मुख्य सड़क से लेकर शहर से सटे राजमार्गों पर वाहनों की रफ्तार का मनमर्जी से चालान कर रही है।
मनमर्जी भी ऐसी कि जहां चाहे वहां छुपकर खड़े हो जाएं और अचानक से आगे आकर डंडे के बल पर गाड़ी रोक ले। वो भी तब जब पूरे शहर में निर्धारित गति-सीमा के साइन बोर्ड ही नहीं लगे हुए हैं। ऐसे में कोई कैसे पता लगाए कि जिस सड़क पर वाहन दौड़ा रहे, वहां निर्धारित गति-सीमा क्या है। सर्वाधिक शिकायतें पुलिस की सिटी पेट्रोल यूनिट को लेकर हैं। सीपीयू शहर या राजमार्ग पर ऐसी जगह खड़ी मिलती है जहां सड़क पूरी तरह सुनसान होती है। इनकी मनमर्जी पर्यटकों व आमजन के उत्पीड़न का सबब बन गई है।
देश में जिन फोर लेन सड़कों पर परिवहन मंत्रालय वाहनों की गति-सीमा 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित कर चुका है, उन सड़कों पर दून पुलिस 80 किमी की रफ्तार पर भी चालान काट रही। यहां गंभीर बात यह भी कि शहर के जिन भीतरी इलाकों में बेलगाम रफ्तार के कारण सर्वाधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं, उस तरफ ध्यान देने की जगह पुलिस व सिटी पेट्रोल यूनिट शहर के बाहरी इलाकों पर अधिक मुस्तैद दिखती है।
यहां बता दें कि, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने छह अप्रैल 18 को वाहनों की अधिकतम गति के नए मानक तय किए थे। यह मानक एक्सप्रेस-वे, फोर लेन, शहर की सड़कों और अन्य तरह की सड़कों को लेकर थे। नियम में अधिकतम सीमा के बाद भी पांच फीसद की अतिरिक्त छूट दी गई थी।...लेकिन दून में पुलिस का अपना ही 'राग' चल रहा।
इन सड़कों पर सीपीयू की मनमर्जी
दून पुलिस स्पीड मापने वाले इंटरसेप्टर वाहन, रडार गन को लेकर अधिकतर समय कुछ खास सड़कों पर सुनसान जगह दिखाई देती है। इनमें प्रमुख रूप से प्रेमनगर-पांवटा साहिब मार्ग पर धूलकोट के जंगल, झाझरा और आसन पुल के नजदीक सीपीयू रोजाना दिखती है। आइएसबीटी से आगे सहारनपुर रोड पर आशारोड़ी के जंगल जबकि हरिद्वार रोड पर मोहकमपुर और जौलीग्रांट एयरपोर्ट वाले मार्ग पर।
यह सभी सड़कें चौड़ाई के लिहाज से फोर लेन हैं और इसके विभिन्न मानकों को भी पूरा भी करती हैं। अब यदि मंत्रालय के गति-सीमा के नए मानकों को देखें तो यहां 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से वाहन चलाने पर भी पुलिस चालान नहीं कर सकती। लेकिन, यहां सभी सड़कों पर पुलिस 80 किमी की रफ्तार होने पर भी चालान कर रही है।
यह हैं गतिसीमा के नए मानक
वाहन प्रकार, एक्सप्रेस-वे, फोर लेन, शहरी सड़क
चालक समेत नौ सीटर तक, 120, 100, 70
नौ से अधिक सीटर वाहन, 100, 90, 60
माल वाहक वाहन, 80, 80, 60
दुपहिया वाहन, 100, 90, 60
साइकिल, निल, 60, 50
तिपहिया वाहन, निल, 50, 50
पर्यटन प्रदेश में पर्यटकों को परेशानी
एक तरफ प्रदेश सरकार पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रही है और दूसरी तरफ पुलिस उनका स्वागत चालान की पर्ची थमाकर कर रही है। ऐसे में पुलिस की यह कार्रवाई पर्यटकों को अनावश्यक परेशान करने से अधिक कुछ भी नहीं। सबसे अधिक परेशानी बाहर से आने वाले पर्यटकों को तब होती है, जब उनके डीएल या आरसी को पुलिस जब्त कर लेती है।
लग्जरी वाहनों में एक्सीलेटर पर पांव रखते ही 80-90 की स्पीड
जिन सड़कों पर पुलिस अधिकतर वाहनों का चालान कर रही है, वह घनी आबादी से दूर के इलाके हैं व यहां सड़कें भी खुली हैं। ऐसे मार्गों पर वाहन चालक अमूमन 80 से 90 किमी प्रतिघंटा की गति पर वाहन चला देते हैं। क्योंकि लग्जरी वाहन कुछ सेकेंड में ही इतनी स्पीड पकड़ लेते हैं। ऐसे में इसका मतलब ये नहीं कि पूरे समय वाहन चालक अधिक स्पीड पर ही चल रहे हैं, मगर एक बार स्पीड पकड़ लेने पर भी यदि वह रडार गन के दायरे में आ रहे हैं तो पुलिस उनका चालान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
शहर में ओवरस्पीड और सिटी बसों की मनमानी पर ध्यान नहीं
शहर के बाहर की जो सड़कें फोर लेन हैं और कम यातायात वाली हैं, वहां तो पुलिस मानक से आगे बढ़कर चालान कर रही है। मगर, शहर के भीतर जहां वाहन रेलम-पेल मची रहती है, वहां ध्यान नहीं दिया जाता। सिटी बसों की रेस शहर में तांडव मचाने के बराबर दिखती है व इनकी चपेट में आकर कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके साथ ही इन बसों से हर समय दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। इसके अलावा तमाम कार या दुपहिया चालक भी ओवरस्पीड में दिखते हैं। पुलिस इन पर अंकुश लगा पाने में पुलिस विफल है जबकि यहां रफ्तार की अधिकतम सीमा अलग-अलग वाहनों के हिसाब से 60 व 70 किलोमीटर प्रति घंटा ही है।
सर्वाधिक चालान ओवरस्पीड के
पुलिस कार्रवाई पर नजर डालें तो पिछले सवा माह में जितने चालान किए गए उनमें ओवरस्पीड के चालान पहले नंबर पर हैं। इनमें भी अधिकतर चालान शहर के बाहर की फोर-लेन सड़कों पर नियमों से आगे बढ़कर किए गए हैं। यह स्थिति बताती है कि खाली पड़ी सड़कों पर व्यहारिकता पर ध्यान देने से अधिक पुलिस सिर्फ चालान करने में दिलचस्पी दिखाती है। पुलिस के डर से चालक चुपचाप रहकर उत्पीड़न का शिकार होते रहते हैं।
चालान की स्थिति (पुलिस रिकॉर्ड में एक अगस्त से छह सितंबर तक)
प्रकृति, संख्या
ओवरस्पीड, 713
मोबाइल प्रयोग, 214
शराब के नशे में, 52
रेड लाइट जंप, 29
ओवर लोडिंग, 31
माल वाहन में यात्री, 10
बिना डीएल, 234
बिना हेलमेट, 277
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एसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि पुलिस द्वारा ओवरस्पीड में चालान करने का मकसद किसी को परेशान करना नहीं है। ओवरस्पीड में सिर्फ उन्हीं सड़कों पर चालान किए जा रहे, जहां दुर्घटना होने की आशंका रहती है। नियमों की अवहेलना कर अगर चालान किए जा रहे हैं तो इस पर कार्रवाई की जाएगी। जहां तक साइन बोर्ड लगाने की बात है तो इस पर संबंधित अन्य विभागों के साथ मिलकर उचित कदम उठाए जाएंगे।
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