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इथेनॉल के टैक्स पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हस्तक्षेप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपेय इथेनॉल यानी अल्कोहल के ट्रांसपोर्ट में लगे टैक्स पर अब खुद हस्तक्षेप किया है।

By Edited By: Published: Fri, 25 May 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 05:34 PM (IST)
इथेनॉल के टैक्स पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हस्तक्षेप
इथेनॉल के टैक्स पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हस्तक्षेप

देहरादून, [विकास गुसाईं]: देहरादून प्रदेश में अपेय इथेनॉल (अल्कोहल) के ट्रांसपोर्ट में लगे टैक्स पर अब स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर अपेय इथेनॉल के ट्रांसपोर्ट पर अभी तक लगी पाबंदी के विषय में उपयुक्त कदम उठाने को कहा है ताकि इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल को बढ़ावा दिया जा सके। 

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केंद्र सरकार की ओर से इस समय इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल पर जोर दिया जा रहा है। यह राष्ट्रीय बायोफ्यूल कार्यक्रम का भी अहम हिस्सा है। इसे लागू करने के पीछे मंशा ऊर्जा सुरक्षा के साथ ही जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता को दूर करना है। इथेनॉल ब्लेंडेट पेट्रोल में पेट्रोल के साथ ही पांच से दस प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जाता है।

दरअसल, डिस्टलरी में शीरे से जो इथेनॉल बनता है उसमें दस से पंद्रह प्रतिशत की शराब बनती है। शेष अपेय इथेनॉल होता है। इसका इस्तेमाल अब इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल में किया जा रहा है। दरअसल, इथेनॉल के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर पहले हर राज्य सरकार की ओर से कुछ शर्ते लगाई गई थी। इसे देखते हुए मई, 2016 में इंडस्ट्रीज (डेवलपमेंट एंड रेग्युलेशन्स) एक्ट, 1951 में संशोधन किया गया।

इस संशोधित एक्ट के अनुसार पेय के अलावा अन्य अल्कोहल केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेगा। इसलिए राज्य सरकारें केवल पेय अल्कोहल पर ही टैक्स व अन्य कर लगा सकती हैं। बावजूद इसके उत्तराखंड में अभी तक अपेय अल्कोहल पर टैक्स लिया जा रहा है। प्रदेश में अभी इसके लिए 1.15 पैसे बल्क लीटर शुल्क लिया जा रहा है। चूंकि प्रदेश में इथेनॉल कम मिलती है और इसे अन्य प्रदेशों से आयात करना पड़ता है इस कारण प्रदेश में इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल बनाने वाली तेल कंपनियों को खासी परेशानी हो रही है।

इस संबंध में इन कंपनियों ने केंद्र में दस्तक दी थी। प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में केंद्र द्वारा संशोधित किए गए एक्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि उत्तराखंड में अभी भी अपेय इथेनॉल पर टैक्स लिया जा रहा है। ऐसे में संशोधित एक्ट के अनुसार सही कदम उठाए जाएं। प्रधानमंत्री का पत्र मिलने के बाद आबकारी महकमे में हलचल है और अब इथेनॉल के ट्रांसपोर्ट से यह कर हटाने की तैयारी चल रही है।

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