योग के बहाने पीएम मोदी ने दी विरोधियों को नसीहत, जानिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों ही इशारों में विरोधियों को निशाने पर लिया। पीएम ने कहा कि 'अगर हमें हमारी शक्ति सामर्थ्य के प्रति भरोसा नहीं होगा, तो कोई स्वीकार नहीं करेगा।
देहरादून, [विकास धूलिया]: एक सामान्य साधक के रूप में लगभग 32 वर्ष पूर्व केदारधाम के निकट गरुड़चट्टी से साधना शुरू कर योग को विश्व पटल पर स्थापित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवभूमि से चौथे विश्व योग दिवस पर जो संदेश दिया, उसके गहरे निहितार्थ हैं। प्रधानमंत्री ने देश-दुनिया को एक बार फिर भारत की प्राचीन विरासत और उसकी ताकत का अहसास तो कराया ही, साथ ही उन्होंने देश के भीतर ही योग का विरोध करने वालों को इशारों में नसीहत देते हुए कहा कि यदि भारत को विश्व शक्ति बनाना है तो घर में ही इस तरह का विरोध जायज नहीं है।
उत्तराखंड से नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले से ही गहरा नाता रहा है। वर्ष 1985-86 में मोदी ने केदारनाथ धाम से दो किमी के फासले पर स्थित गरुड़चट्टी में करीब डेढ़ माह तक साधना की थी। इसके बाद तो उनका उत्तराखंड आना-जाना लगातार रहा। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी चार साल में मोदी का यह उत्तराखंड का आठवां दौरा रहा। विश्व योग दिवस पर अपने संबोधन की शुरुआत में ही उन्होंने देवभूमि के प्रति अपने लगाव को यह कहकर प्रदर्शित किया, 'मां गंगा की इस भूमि पर, जहां चार धाम स्थित हैं, जहां आदि शंकराचार्य आए, स्वामी विवेकानंद कई बार आए, वहां योग दिवस पर हम सभी का एकत्र होना किसी सौभाग्य से कम नहीं।' इसके माध्यम से उन्होंने योगभूमि उत्तराखंड की ब्रांडिंग भी की।
प्रधानमंत्री का पूरा संबोधन यूं तो योग पर ही केंद्रित रहा, मगर इसके जरिये उन्होंने इशारों में एक साथ कई विषयों पर विरोधियों को जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि जब तोड़ने वाली ताकतें हावी होती हैं तो बिखराव आता है। समाज में दीवारें खड़ी होती हैं। परिवार में कलह बढ़ता है। जीवन में तनाव बढ़ता है। इस बिखराव को जोड़ने का काम योग करता है। योग से परिवार, समाज, राष्ट्र की एकता के सूत्र बनते हैं और ऐसे राष्ट्र विश्व में शांति और सौहार्द लाते हैं। उन्होंने संकेतों में साफ कर दिया कि समाज और देश में सौहार्द कायम करने के लिए आपसी कटुता और वैमनस्य खत्म करना जरूरी है।
योग के बहाने अपने विरोधियों पर प्रहार करने से भी मोदी कतई नहीं चूके। उन्होंने कहा, 'अगर हमें हमारी शक्ति सामर्थ्य के प्रति भरोसा नहीं होगा, तो कोई स्वीकार नहीं करेगा। अगर परिवार में परिवार ही बच्चे को हमेशा नकारता रहे और अपेक्षा करे कि मोहल्ले वाले बच्चे का सम्मान करें तो यह संभव नहीं।' एक तरह से मोदी ने अपने राजनैतिक विरोधियों द्वारा योग दिवस पर उठाए जा रहे सवालों के जवाब में यह तंज कसा। उन्होंने योग का विरोध करने वालों को संदेश देते हुए कहा कि विश्व भर लोग योग को अपना मानने लगे हैं। यह हिंदुस्तान के लोगों के लिए बहुत बड़ा संदेश है।
प्रधानमंत्री ने यह संदेश भी दिया कि योग ही ऐसा माध्यम है, जिसके जरिये समूचे विश्व को एक सूत्र में पिरोकर शांति कायम की जा सकती है। योग का यह रास्ता स्वस्थ और खुशहाल समाज की ओर अग्रसर करता है। यही नहीं, तमाम रोगों के उपचार में सहायक सिद्ध होने की वजह से दुनियाभर में योग की स्वीकार्यता निरंतर बढ़ रही है। जब दुनिया के देश योग को अपना रहे हों तो हमें भी इसकी निरंतरता के लिए नियमित रूप से प्रयास करने होंगे। प्रधानमंत्री ने योग के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं की ओर भी इशारा किया और कहा कि जब योग सीखने वाले अधिक होंगे तो सिखाने वाले भी चाहिए। इस दिशा में तमाम लोग और संस्थान आगे आए हैं। यह क्रम निरंतर चलना चाहिए।
यह भी पढ़ें: 32 साल पहले पीएम मोदी को देवभूमि के इस स्थान से मिली थी योग की प्रेरणा
यह भी पढ़ें: योग से पहले प्रधानमंत्री मोदी देंगे देश-दुनिया को संदेश
यह भी पढ़ें: मोदी ने दून में किया योग, बोले देहरादून से डबलिन तक और शंघाई से शिकागो तक; योग ही योग