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चीन पर नजर रखने को 53 साल पहले की गई एक कोशिश आज गंगा के लिए बन सकती है खतरा

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पीएम मोदी से हुई मुलाकात के दौरान कहा कि नंदा देवी में 53 साल पहले बर्फ में दबा प्लूटोनियम पैक आज भी वहीं दफन है।

By Edited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 10:19 AM (IST)
चीन पर नजर रखने को 53 साल पहले की गई एक कोशिश आज गंगा के लिए बन सकती है खतरा
चीन पर नजर रखने को 53 साल पहले की गई एक कोशिश आज गंगा के लिए बन सकती है खतरा

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]। चीन सीमा से सटी उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटियों में शुमार नंदा देवी में 53 साल पहले बर्फ में दबा प्लूटोनियम पैक आज भी वहीं दफन है। इसके चलते वहां रेडिएशन होने से क्षेत्र के पर्यावरण के साथ ही गंगाजल पर असर पड़ सकता है।

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पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने हाल में ही दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान यह आशंका जताते हुए इसकी गहन जांच कराने पर जोर दिया, ताकि सही स्थिति सामने आ सके। पर्यटन मंत्री महाराज ने सोमवार को विधानसभा स्थित कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वर्ष 1965 में भारत ने अमेरिका के सहयोग से नंदादेवी चोटी पर राडार स्थापित करना था।

इसके लिए प्लूटोनियम पैक जब ले जाया जा रहा था, तभी बर्फीला तूफान आ गया। हिमस्खलन में यह पैक नंदादेवी में बर्फ में कहीं दब गया। हालांकि, 1967 में दूसरा प्लूटोनियम पैक ले जाकर राडार स्थापित किया गया, लेकिन पहले वाला पैक अब भी वहीं दफन है। उन्होंने कहा कि जब वह सांसद थे, तब दो बार संसद में मामला उठाया, मगर कोई जवाब नहीं मिल पाया।

उन्होंने बताया कि दो अगस्त को दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान यह मसला उनके समक्ष रखा गया। उन्होंने कहा कि प्लूटोनियम पैक रेडिएशन लीक कर सकता है। इस ग्लेशियर का पानी भी गंगा में मिलता है। ऐसे में गहन जांच कर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा। इसे लेकर तस्वीर जो भी हो, वह साफ होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने इसमें रुचि ली और कहा कि इसकी गहनता से जांच कराई जाएगी। 

गुजरात और उत्तराखंड का गहरा नाता
कैबिनेट मंत्री महाराज के मुताबिक उन्होंने प्रधानमंत्री को यह भी बताया कि उत्तराखंड और गुजरात का बड़ा पुराना रिश्ता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध व उषा के विवाह के बाद उषा जब द्वारिका पहुंची तो उसने मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। जब लोगों ने पूछा तो उसने बताया कि उत्तराखंड में यह नृत्य तब सीखा, जब वह माता के गर्भ में थी। इसलिए इस नृत्य का नाम गर्भा पड़ा, जो कालांतर में गरबा हो गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में खतलिंग, पंवालीकांठा, जखोल, सहस्रताल, देवक्यारा बुग्याल जैसे अनेक रमणीक स्थल हैं, जहां आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर ये पर्यटन मानचित्र में जगह बना सकते हैं। 

कैरावान के जरिये पर्यटन
पर्यटन मंत्री ने राज्य में तैयार होने वाले महाभारत सर्किट समेत अन्य योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें अब कैरावान के जरिये पर्यटन हो, इस पर फोकस है। इसके तहत विदेशों की तर्ज पर मोबाइल टूरिज्म होगा, जिसमें सैलानियों को सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसमें हर वर्ग का ख्याल रखा जाएगा। इसके साथ ही कैंचीधाम (नैनीताल), चौरासी कुटी (ऋषिकेश), जखोल पर भी सरकार का फोकस होगा। 

नीम करौली पर लघु
फिल्म महाराज ने कहा कि राज्य में बुद्धा सर्किट विकसित किया जा रहा है। इसके तहत कालसी के गोविषाण के साथ ही कैंचीधाम स्थित बाबा नीम करौली आश्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। नीम करौली पर लघु फिल्म का प्रस्ताव है। इस आश्रम में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और एप्पल, फेसबुक जैसी नामी कंपनियों के सीइओ इससे जुड़े रहे हैं।

ट्रैकिंग रूट पर लगेंगे साइनेज
पर्यटन मंत्री ने कहा कि राज्य में वन एवं पर्यटन के मध्य संबंध प्रगाढ़ हों, इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस कड़ी में जंगल से होकर गुजरने वाले ट्रैक (रास्तों) पर साइनेज लगाने का प्रस्ताव है।

परिषद लगाएगी प्रदर्शनी 
पर्यटन मंत्री के मुताबिक पर्यटन विकास परिषद की ओर से जल्द ही एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इसमें साहसिक उपकरणों के अलावा हस्तशिल्प, स्थानीय उत्पादों के प्रदर्शन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण समेत अन्य बिंदुओं पर जानकारी दी जाएगी। जिम्मेदार पर्यटन की दिशा में यह कदम अहम होगा। 

कहानियों के जरिये पर्यटन को बढ़ावा
पर्यटन मंत्री ने कहा कि राज्य के तमाम स्थलों से जुड़ी कहानियां प्रचलित हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को कहानी वाचन के जरिये इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए लोगों को ट्रेंड किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हरिद्वार में अखाड़ा दर्शन समेत जिलों में ऐसी योजनाएं जल्द प्रारंभ की जाएगी।

स्कूल-कॉलेजों में देंगे जानकारी
उन्होंने बताया कि नए पर्यटक गंतव्यों के विकास के मद्देनजर सरकार ने पं.दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना शुरू की है। इसके प्रचार-प्रसार को स्कूल-कॉलेजों में वर्कशॉप, सेमिनार के जरिये जानकारी दी जाएगी।

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