लॉकडाउन में कम नहीं हुआ खेल के प्रति जुनून, घर पर रहकर कर रहे कड़ी मेहनत
नेशनल जूनियर बैडमिंटन खिलाड़ी अनुष्का जुयाल इन दिनों घर पर रहकर भी कड़ी मेहनत कर रही हैं जिससे उनके खेल का स्तर बना रहे।
देहरादून, जेएनएन। वैसे तो खिलाड़ी उड़ते परिंदे की तरह होते हैं, उनकी सोच हमेशा आसमान को छूने वाली होती है। लेकिन कोरोना वायरस ने इन दिनों खिलाड़ियों को घर पर रहने को मजबूर कर दिया है। हालांकि, कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनका लॉकडाउन में घर पर रहकर भी खेल के प्रति जुनून कम नहीं हुआ है। हम बात कर रहे हैं नेशनल जूनियर बैडमिंटन खिलाड़ी अनुष्का जुयाल की। अनुष्का इन दिनों घर पर रहकर भी कड़ी मेहनत कर रही हैं, जिससे उनके खेल का स्तर बना रहे। अनुष्का ने बताया कि इन दिनों एक्सरसाइज के साथ बेसिक पर ध्यान दिया जा रहा है।
पिता निभा रहे कोच की भूमिका
अनुष्का जुयाल हरियाणा के बहादुरगढ़ में चल रहे खेलों इंडिया स्कीम का हिस्सा थीं। लेकिन विश्वभर में फैल रहे कोरोना वायरस के चलते अनुष्का को घर लौटना पड़ा। यहां उनके पिता प्रवीण जुयाल ही कोच की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने घर पर ही नेट लगाया हुआ है, जहां वह बैडमिंटन के शॉट्स की प्रेक्टिस करवा रहे हैं।
घर में हो रही एक्सरसाइज
लॉकडाउन के दौरान अनुष्का घर में ही एक्सरसाइज कर रही हैं। घर के आंगन में दौड़ना, सीढ़ियों पर चढ़ना उतरना समेत अन्य एक्सरसाइज उन्होंने दिनचर्या में शामिल की हुई हैं। इसके अलावा दीवार पर शटल से प्रैक्टिस कर रही है।
खान-पान में हुआ बदलाव
अनुष्का जुयाल ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से खान-पान में बदलाव हुआ है। नॉनवेज तो पूरी तरह बंद कर दिया है। बताया कि लॉकडाउन से पहले सुबह फल के साथ दूध में प्रोटीन मिलाकर पीती थीं। दोपहर में चिकन या मटन के साथ खाना खाती थीं और रात को फिश या अंडे के साथ डिनर करती थीं। अब सिर्फ फल के साथ दूध पी रही हैं। दोपहर में साधारण दाल चावल और रात को दाल रोटी खा रही हैं।
वर्चुअल ओपन माइक से दिया प्रतिभा को मंच
लॉकडाउन के दौरान प्रतिभावान लोगों को मंच खोजने की जरूरत नहीं है। अब घर बैठे भी आप अपनी प्रतिभा से दुनिया को रूबरू करा सकते हैं। एटिट्यूडियस संस्था ने लॉकडाउन में लोगों की प्रतिभा को मंच प्रदान किया है। संस्था की ओर से ऑनलाइन (वचरुअल) ओपन माइक आयोजित किया जा रहा है। जिसमें साहित्य में रुचि रखने वाले किसी भी आयु वर्ग के लोग शामिल हो सकते हैं।
‘कुछ तुम्हारी कुछ हमारी बात करते हैं, इसी के साथ कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं’ इन पंक्तियों के साथ संस्था की संस्थापक खुशबू गैरोला और आयुष बगवाड़ी ने ओपन माइक का आगाज किया। खुशबू गैरोला ने कहा कि कार्यक्रम साहित्य को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। जिसमें लोगों को अपनी स्वरचित कविता और कहानियां सुनाने का मौका मिल रहा है।
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यह किसी शहर या राज्य तक भी सीमित नहीं है। इसमें देहरादून के अलावा फिरोजाबाद, जयपुर, श्रीनगर, नोएडा आदि से भी कवि और गीतकार जुड़ रहे हैं। सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए ऑनलाइन सर्टिफिकेट भी प्रदान किए जा रहे हैं। संस्था से जुड़े तनुज, ममता, ऐश्वर्या, नेहा, अंकित, शिंपी, नीतीश आदि ने श्रोता बनकर प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया।
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