Move to Jagran APP

रिस्पना को जीवित रखने के लिए लगे पौधे नहीं बचे जीवित

रिस्पना नदी के पुनर्जीवन के लिए इसके तट पर लगाए गए हजारों पौधे खुद ही जीवित नहीं बचे। दो साल पूर्व रिस्पना के तट पर लगाए गए पौधों में 80 फीसद का अस्तित्व नहीं बचा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 05:37 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 05:37 PM (IST)
रिस्पना को जीवित रखने के लिए लगे पौधे नहीं बचे जीवित
रिस्पना को जीवित रखने के लिए लगे पौधे नहीं बचे जीवित

देहरादून, जेएनएन। रिस्पना नदी के पुनर्जीवन के लिए इसके तट पर लगाए गए हजारों पौधे खुद ही जीवित नहीं बचे। मुख्यमंत्री के आह्वान पर दो साल पूर्व रिस्पना के तट पर लगाए गए पौधों में करीब 80 फीसद का अस्तित्व नहीं बचा है। हालांकि, पिछले साल रोपे गए पौधों का सर्वाइवल रेट सुधरा है। उम्मीद है कि इस साल हरेला के दौरान किए जाने वाले पौधरोपण अभियान को और गंभीरता से लिया जाएगा।

loksabha election banner

दो साल पहले रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के तहत शिखर फॉल स्थित कैरवान गांव से मोथरोवाला तक करीब 30 किलोमीटर क्षेत्र में 50 से अधिक सेक्टर पौधरोपण के लिए बनाए गए थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के साथ विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने इस क्षेत्र में करीब ढाई लाख पौधे रोपे। जिसमें मुख्य रूप से शीशम, हरड़, बहेड़ा, बेलपत्र, महल, तेजपात, अमलतास, कनजी, कंजू, कचनार, बांस, आंवला, कटहल, टिकोमा, पिलन, अर्जुन, अमरूद, आम, जामुन, नींबू आदि के पौधे शामिल थे।

सभी ने इन पौधों के रखरखाव का संकल्प लिया था, लेकिन कैरवान गांव में करीब 40 प्रतिशत पौधे सूख गए हैैं, जबकि मोथरोवाला में करीब 80 प्रतिशत पौधों ने दम तोड़ दिया है। जबकि इन पौधों की देखरेख के लिए बाकायदा इको टास्क फोर्स को जिम्मेदारी दी गई थी। जिसमें 200 पूर्व सैनिकों की भर्ती की गई थी। जबकि वन विभाग ने छोटे से क्षेत्र में लगाए गए पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी ली थी। वहां पौधे अच्छी स्थिति में हैैं। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने बताया कि पौधों के किनारे घेरबाड़ नहीं बनी।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में कागजों में है हरियाली, धरातल पर गायब

पिछले साल से आने लगा सुधार

पिछले साल मोथरोवाला में रिस्पना के किनारे 10 हजार पौधे रोपे गए। पूर्व में रोपे पौधों के मृत हो जाने के बाद वन विभाग ने नए पौधों के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया। डीएफओ राजीव धीमान ने बताया कि 10 हजार में से करीब पांच हजार पौधे सर्वाइव कर चुके हैैं। इस बार यहां खाली भूमि पर और पौधे रोपे जाएंगे।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में हरियाली के लिहाज से कुछ सुकून, तो चिंताएं भी बढ़ीं; जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.