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पूर्वजों के सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध पक्ष कल से, इस बार नदी तट पर कर सकते हैं पिंडदान

Pitru Paksha 2021 श्राद्ध पक्ष कल पूर्णिमा के साथ शुरू होगा। इस दौरान पितरों के निमित ही कार्य होंगे। किसी तरह के शुभ कार्य विवाह मुंडन गृह प्रवेश आदि वर्जित रहेंगे। बीते वर्ष कोरोनाकाल में नदी में पिंडदान करना प्रतिबंध था।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 02:06 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 02:06 PM (IST)
पूर्वजों के सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध पक्ष कल से, इस बार नदी तट पर कर सकते हैं पिंडदान
पूर्वजों के सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध पक्ष कल से।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Pitru Paksha 2021 पूर्वजों के सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध पक्ष कल पूर्णिमा के साथ शुरू होगा। इस दौरान पितरों के निमित ही कार्य होंगे। किसी तरह के शुभ कार्य, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि वर्जित रहेंगे। वहीं, बीते वर्ष कोरोनाकाल में नदी में पिंडदान करना प्रतिबंध था, लेकिन इस बार नदी के तट पर पिंडदान किया जा सकता है।

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हिंदू धर्म में वैदिक परंपरा के अनुसार, वैसे तो प्रत्येक माह की अमावस्या को श्राद्ध कर्म किया जा सकता है, लेकिन भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक पूरे पखवाड़े में श्राद्ध कर्म करने का विधान है। इस बार 20 को पूर्णिमा का श्राद्ध रहेगा। जबकि 21 सितंबर से छह अक्टूबर तक तिथिवार श्राद्ध रहेंगे। आचार्य डा. सुशांत के मुताबिक, श्राद्ध का मतलब अपने कुल देवताओं व पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ पितृलोक से किसी न किसी रूप में अपने स्वजन से मिलने के लिए धरती पर आते हैं।

मान्यता है कि इस दौरान पिंडदान, तर्पण कर्म और ब्राह्मण को भोजन कराने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। पूर्णिमा को उन्हीं का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन पूर्णिमा पर हुआ हो। जबकि जिस व्यक्ति की मृत्यु किसी महीने के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की जिस तिथि को होती है उसका श्राद्ध पितृपक्ष की उसी तिथि को किया जाता है। किसी को अपने पूर्वजों के निधन की तिथि का पता न होने की स्थिति में वह पूर्वजों का श्राद्ध अश्विन अमावस्या को कर सकते हैं।

अनंत चतुर्दशी आज, घरों में विराजमान गणपति होंगे विदा

गणेश चतुर्थी पर घरों, मंदिरों और पांडालों में स्थापित गणपति आज अनंत चतुर्दशी पर विदा होंगे। टपकेश्वर और मालदेवता क्षेत्र में स्थित नदी में गणपति की मूर्ति विसर्जित की जाएगी। गणेश उत्सव समिति की ओर से पटेल नगर में चल रहे गणेश महोत्सव के नौवें दिन भजन संध्या पर भक्त खूब झूमे। हिमाचल से सतनान सागर ने गणपति आयो रे आज नाथ घर गणपति आयो रे... जैसे भजनों की प्रस्तुति दी। रविवार को कथा कीर्तन के बाद प्रतिमा को हरिद्वार विसर्जन के लिए रवाना किय जाएगा। 

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