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मैक्सी-कैब के चक्काजाम से दूसरे दिन भी थमी रही रफ्तार, यात्रियों की फजीहत

उत्तराखंड में मैक्सी-कैब संचालकों की हड़ताल से दूसरे दिन भी आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा। यात्रियों की जमकर फजीहत हुुई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 07:50 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 05:13 PM (IST)
मैक्सी-कैब के चक्काजाम से दूसरे दिन भी थमी रही रफ्तार, यात्रियों की फजीहत
मैक्सी-कैब के चक्काजाम से दूसरे दिन भी थमी रही रफ्तार, यात्रियों की फजीहत

देहरादून, [जेएनएन]: राज्य में पुराने व्यावसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर की बाध्यता खत्म करने की मांग को लेकर प्रदेश के सभी टैक्सी व मैक्सी संचालक दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। जिससे लोगों को कर्इ तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हड़ताल की वजह से वाहनों का संचालन शुक्रवार को भी पूरी तरह से ठप रहा, जिससे समूचे पहाड़ की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ठप पड़ गई। 

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देहरादून से पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली लगभग 1500 टैक्सी, मैक्सी, ट्रैकर व जीप के पहिए शुक्रवार को भी पूरे दिन थमे रहेे। जिससे यात्रियों के साथ ही पर्यटकों को भी फजीहत झेलनी पड़ी। जग-जगह लोग सड़क किनारे बैठकर वाहनों में जगह मिलने का इंतजार करते रहे।

आपको बता दें कि पुराने वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के विरुद्ध प्रदेशभर के मैक्सी कैब संचालकों ने पूर्व में दी चेतावनी के तहत गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। इससे पूरे गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के पहाड़ी मार्गों की 'लाइफ-लाइन' थम गई। 

दरअसल, मुंबई में लोकल ट्रेनों की तर्ज पर प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर जीप-ट्रैकर को सार्वजनिक परिवहन की लाइफ-लाइन माना जाता है। पर्वतीय मार्गों पर निजी और रोडवेज बसें भी चलती हैं लेकिन एक तो इनकी संख्या बेहद कम है और दूसरा छोटे व संकरे मार्गों पर बसें नहीं जा पातीं। ऐसे में दैनिक सफर के लिए आमजन जीप और ट्रैकर का ही इस्तेमाल करता है। बीते दिनों परिवहन मुख्यालय ने इन वाहनों के लिए स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया है और इसके बिना वाहनों को फिटनेस नहीं दी जा रही। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि वे स्पीड गवर्नर के विरोध में नहीं हैं, लेकिन पहाड़ में वाहन पहले ही 30-35 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं। यहां स्पीड गवर्नर की बाध्यता नहीं होनी चाहिए।

यही नहीं, ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि जो नए वाहन आ रहे हैं, उनमें निर्माता कंपनी यह डिवाइस लगाकर दे। पुराने वाहनों में यह डिवाइस लगाना जुगाड़बाजी है, जो हादसे का कारण बन सकती है। परिवहन विभाग ने मनमानी कर नौ कंपनियों को डिवाइस लगाने का ठेका दिया हुआ है। डिवाइस दो से ढाई हजार रुपये की है लेकिन कंपनियां ट्रांसपोर्टरों से सात-आठ हजार रुपये तक वसूल रही हैं। फैसले के विरुद्ध ट्रांसपोर्टरों ने प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों में धरना-प्रदर्शन भी किया। 

टैक्सी हड़ताल से परेशान हुए यात्री, ग्राहक को तरसे दुकानदार

बागेश्वर में टैक्सी चालकों की हड़ताल से यात्रियों को काफी फजीहत झेलनी पड़ी। हड़ताल के बाद यात्री बस व भार वाहन के भरोसे दिन भर भटकते रहे। बाहर से आए पर्यटकों को सबसे ज्यादा मुसीबत हुई। टैक्सी चालकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से बाजार के हर वर्ग पर व्यापक भी असर पड़ा है। कई दुकानों पर ग्राहकों में 50 से 60 प्रतिशत तक कमी आई है। गांव से जिला मुख्यालय आने वाले लोग लगभग नगण्य हो गए हैं।

जिससे विभिन्न दुकानों व होटल व्यवसाइयों में मायूसी है। सवारी वाहन कम होने के कारण बस के इंतजार में लोग कई घंटों तक बस स्टेशन पर बैठे रहे। केमू बस स्टेशन पर दिन भर यात्रियों का जमावड़ा लगा रहा। बसों में क्षमता से तीन गुना यात्री सफर करने को मजबूर हैं। वहीं, भार वाहनों पर भी यात्री सफर कर रहे हैं। अल्मोड़ा, हल्द्वानी, कांडा आदि क्षेत्रों में जाने वाली ट्रकों में लोग यात्रा कर रहे हैं। 

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