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कांग्रेस में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर सख्ती के संकेत

कांग्रेस में अनुशासनहीनता के मामलों में केंद्रीय नेतृत्व का रुख कड़ा तो हो सकता है साथ ही बड़े नेताओं को एकजुट होकर पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की नसीहत मिल सकती है।

By Edited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 12:42 PM (IST)
कांग्रेस में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर सख्ती के संकेत
कांग्रेस में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर सख्ती के संकेत

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सबब बने पंचायत चुनाव में पार्टी एकजुट नजर आएगी या बिखराव हावी रहेगा, इसे लेकर ऊहापोह जल्द छंट सकता है। कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से बनी अनिश्चितता दूर होने और सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के साथ ही संगठन और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर इसका असर पड़ने लगा है। माना ये भी जा रहा है कि पार्टी में अनुशासनहीनता के मामलों में केंद्रीय नेतृत्व का रुख कड़ा तो हो ही सकता है, साथ में राज्य के सभी बड़े नेताओं को एकजुट होकर पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की नसीहत मिल सकती है। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खिलाफ बयानबाजी करने वाले अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष दर्शन लाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और तीन महीने के निलंबन की संस्तुति पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ा गया है। दर्शनलाल को तीन महीने तक निलंबित करने की संस्तुति के साथ प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने अपनी रिपोर्ट अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को सौंप दी है। 

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प्रदेश में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के विजय रथ को थामने की है। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव में पार्टी की जो बुरी गत हुई है, उससे सूबे की सियासत में पार्टी के मनोबल को बुरी तरह हिला कर रख दिया है। प्रदेश में पार्टी के तमाम दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद भाजपा को शिकस्त देने के मंसूबों को कामयाबी नहीं मिल रही है। इस सबके बीच वर्ष 2018 में नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा तो इसी महीने दो नगर निकाय चुनाव के नतीजे भी पार्टी के पक्ष में गए। ऐसे में पार्टी पंचायत चुनाव में भी बेहतर नतीजे मिलने की उम्मीदें संजो रही है। यह दीगर बात है कि पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य के तमाम दिग्गजों के बीच एका और गुटीय खींचतान को थामने की है। 

लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के चलते पार्टी के भीतर बरकरार ऊहापोह खत्म हो गया है। अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी की बागडोर एक बार फिर सोनिया गांधी के हाथों में आने से प्रदेश में पार्टी की सियासत पर इसका असर दिखना तय है। प्रदेश में पार्टी संगठन में भी बीते कई दिनों से छाई अनिश्चितता और इसके साये में फूल-फल रही गुटीय खींचतान पर भी अंकुश लगने के संकेत है। पंचायत चुनाव को लेकर भी पार्टी का मनोबल बढ़ा हुआ है। उधर, प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने भी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ टिप्पणी करने वाले अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष दर्शन लाल को तीन माह तक निलंबित करने की संस्तुति के साथ अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को सौंप दी है। 

प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दर्शनलाल को तीन माह तक निलंबित करने की अपनी संस्तुति के साथ इस मामले को केंद्रीय नेतृत्व के सुपुर्द कर दिया है। दर्शन लाल को प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता का समर्थक माना जाता है। चूंकि, दर्शन लाल की नियुक्ति एआइसीसी के स्तर से की गई है। लिहाजा इस पर फैसला भी एआइसीसी पर छोड़ा गया है। 

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