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दून अस्पताल में अव्यवस्थाओं का मर्ज, मरीजों की जांच पर भी आंच

दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल को अव्यवस्थाओं का मर्ज लग गया है। अस्पताल की पैथोलॉजी में कई छोटी-छोटी जांच भी बंद हैं।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 09:55 AM (IST)
दून अस्पताल में अव्यवस्थाओं का मर्ज, मरीजों की जांच पर भी आंच

देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल को अव्यवस्थाओं का मर्ज लग गया है। यहा तक कि मरीजों की जांच पर भी आंच आ रही है। वर्तमान समय में अस्पताल की पैथोलॉजी में कई छोटी-छोटी जांच भी बंद हैं। इनमें हेपेटाइटिस से लेकर टायफाइड तक की जांच शामिल है। कारण यह कि अस्पताल में जांच के लिए इस्तेमाल में आने वाली किट नहीं है। 

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प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में शहर ही नहीं बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र व उप्र-हिमाचल के सीमावर्ती इलाकों से लोग इलाज के लिए आते हैं। जिन्हें डॉक्टर तमाम तरह की जांच लिखते हैं। राज्य के बीपीएल मरीजों के लिए जांच मुफ्त हैं। जबकि अन्य मरीजों के लिए न्यूनतम शुल्क पर जांच की जाती है। हद ये कि मरीज कई छोटी-छोटी जांच को भी तरस रहे हैं। 

अस्पताल में हेपेटाइटिस-सी जांच किट खत्म है। जिससे मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। इसके बावजूद डॉक्टर काफी मरीजों को यह जांच लिखते हैं। इसके अलावा विडाल व टाइफिडोट जांच की किट भी अस्पताल में नहीं है। यह टायफाइड की जांच हैं। वहीं सीआपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन की जांच भी अस्पताल में नहीं हो पा रही है। 

बताया गया कि किट काफी वक्त से खत्म है और अधिकारी मुंह मोड़ कर बैठे हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार किट खत्म होने की जानकारी उन्हें नहीं है। किट मंगवाकर जल्द ही जांच फिर शुरू कर दी जाएंगी।

108 के संचालन के लिए कंपनी को एक माह का एक्सटेंशन

प्रदेश में आपातकालीन सेवा 108 का संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआइ को एक माह का एक्सटेंशन और मिल गया है। अप्रैल में भी यही कंपनी 108 एंबुलेंस का संचालन करेगी। कारण यह कि जिस नई कंपनी कम्युनिटी एक्शन फॉर मोटिवेशनल प्रोग्राम (कैंप) को संचालन का जिम्मा मिला है, उसका संरचनात्मक ढांचा फिलहाल तैयार नहीं है। 

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रविंद्र थपलियाल का कहना है कि कंपनी के प्रतिनिधियों ने उनसे बात कर सेवा संचालन के लिए कुछ वक्त और मांगा है। क्योंकि कंपनी द्वारा वर्तमान में विभिन्न पदों पर नियुक्तियां व अन्य प्रक्रियाएं की जा रही हैं। ऐसे में अभी अप्रैल में पुरानी कंपनी ही 108 एंबुलेंस संचालित करेगी। 

आपात परिस्थिति में लाइफलाइन मानी जाने वाली यह सेवा मौजूदा दौर में दम तोड़ती नजर आ रही है। 108 का संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआइ का करार बीती सात मार्च को खत्म हो गया था। 

नई कंपनी यानी कैंप को इस सेवा के संचालन की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन हाल यह की अनुबंध के एक माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी तैयारियां अधूरी ही हैं। पुरानी कंपनी भी इसमें अब कम दिलचस्पी ले रही है। इससे मरीजों, घायलों एवं गर्भवती महिलाओं को दिक्कत उठानी पड़ रही है।

स्वास्थ्य विभाग ने जीवीके ईएमआरआई को 31 मार्च तक सेवा का संचालन जारी रखने के निर्देश दिए थे। अब जबकि कुछ ही दिन शेष बचे हैं, नई कंपनी की तैयारियां अधूरी हैं। लिहाजा स्वास्थ्य महकमे ने फिर आनन-फानन में एक बार फिर पुरानी कंपनी को एक माह का एक्सटेंशन दे दिया है।

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