पार्किंग को सड़कों पर मारी-मारी फिर रही है पब्लिक, ये है बड़ी वजह
दून में आम जनता पार्किंग के लिए मारी मारी फिर रही है। इसकी बड़ी वजह ये है कि वाहनों की संख्या 300 फीसद से ज्यादा बढ़ गई है। वहीं पार्किंग स्थल सिर्फ दो ही विकसित किए गए हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: राज्य गठन से लेकर अब तक वाहनों की संख्या 300 फीसद से अधिक बढ़ गई है, जबकि पार्किंग स्थल महज दो ही विकसित किए जा सके हैं। ऐसे में लोग पार्किंग के लिए भटकते नजर आते हैं। पार्किंग के अभाव में ही लोग सड़क किनारे वाहन पार्क करने को मजबूर होते हैं, जिससे जाम की समस्या और बढ़ जाती है।
ऐसा नहीं है कि पार्किंग विकसित करने को लेकर प्लान तैयार नहीं किए गए हैं, बल्कि चार स्थानों पर पार्किंग बनाने के लिए लंबे समय से कसरत की जा रही है। धरातलीय प्रयासों के अभाव में शहर में जाम की समस्या लगातार विकट होती जा रही है। ऐसे में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
पिछले कुछ समय में शॉपिंग कॉम्पलेक्सों पर भी नकेल कसी गई और उनके बेसमेंट पार्किंग को खोलने के लिए अभियान तक चलाए गए। हालांकि, कुछ दिन बाद ही हालात पहले की तरह हो जाते हैं। जब तक पार्किंग की व्यवस्था के लिए ठोस इंतजाम नहीं कर दिए जाते, तब तक दून की राह को आसान बनाना संभव नहीं है।
यह पार्किंग स्थल ही आ पाए अस्तित्व में
घंटाघर: करीब 400 वाहनों की क्षमता वाली यह पार्किंग पहले लोगों के लिए निश्शुल्क थी, जबकि अब इस पर शुल्क लगा दिया गया है।
डिस्पेंसरी रोड: इस पार्किंग में भीतर करीब 120 वाहन खड़े किए जा सकते हैं और यहां वाहन पार्क करने के लिए लोगों को शुल्क देना होता है।
फाइलों में डंप यह पार्किंग प्लान
गांधी रोड: पुराने रोडवेज बस अड्डे को मल्टीस्टोरी पार्किंग के रूप में विकसित करना।
रेंजर्स कॉलेज: परिसर के एक भाग को अधिग्रहीत कर पार्किंग स्थल का निर्माण।
यूकेलिप्टस चौक: यहां एक हिस्सा पर खाली पड़ी भूमि पर मल्टीस्टोरी पार्किंग बनाना।
दिलाराम चौक: चौक के पास नगर निगम की भूमि पर मल्टीस्टोरी पार्किंग निर्माण।
मजबूर लोगों पर पुलिस का चालानी एक्शन
पार्किंग के अभाव में ही लोग सड़क किनारे वाहन खड़ा करते हैं। ऐसे में वह पुलिस की कार्रवाई का आसान शिकार भी हो जाते हैं। जब तक लोग वापस वाहन में आते हैं, तब तक उस पर चालानी पर्ची चस्पा हो जाती है। ऐसे में कई दफा पुलिस व पब्लिक के बीच अनावश्यक नोक-झोंक भी हो जाती है।
पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 61 हजार 744 हजार चालान किए गए हैं। इनमें से अकेले चस्पा चालानों की संख्या 35 हजार से अधिक है। आंकड़ों को देखकर लगता है कि दून के लोगों में पार्किंग को लेकर जरा भी समझ नहीं है। हकीकत में देखा जाए तो यह समझ नहीं मजबूरी का मामला है। आखिर बड़ा सवाल यह भी कि सिस्टम की अनदेखी का खामियाजा जनता क्यों भुगते।
यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि हकीकत में दून में वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर वाहन चलाना, रेड लाइट जंप करना, ओवरलोडिंग अधिक नजर आती है। इन सब को मिलाकर चालानों की संख्या 43.85 फीसद पर सिमटी है। जबकि दुर्घटना के लिहाज से इन मामलों पर अंकुश लगाना सबसे आवश्यक है। फिर भी पुलिस के लिए सबसे आसान शिकार सड़क किनारे खड़े वाहन ही रहते हैं और इस काम में अधिक मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती है।
ऐसे में शहर की सरकार की अहम जिम्मेदारी यह है कि विकट होते जा रहे पार्किंग के मसले को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाए। मगर, सार्वजनिक पार्किंग का मुद्दा हमेशा से हाशिए पर ही रहा है।
पार्किंग पर एकाधिकार जमाने वालों पर एक्शन नहीं
बात चाहे घंटाघर स्थित कॉम्पलेक्स की हो या डिस्पेंसरी के कॉम्पलेक्स की पार्किंग की, दोनों स्थलों पर ऐसे तमाम वाहन खड़े दिख जाएंगे, जो कई दिनों से यहीं खड़े रहते हैं। इन पर जमी धूल की मोटी परत से भी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि कई खराब वाहन भी यहीं पार्क रहते हैं। हालांकि ऐसे वाहन पुलिस को नजर नहीं आते हैं। घंटाघर पर जीपीओ की तरफ एक हिस्से पर पुलिस ने वाहन खड़े करने की छूट दे रखी है। हालांकि इसमें अधिकतर वाहन कारोबारियों के होते हैं, जो एक बार सुबह खड़े होने के बाद देर रात को ही यहां से हट पाते हैं। जबकि यह स्थान उन लोगों के लिए आरक्षित किया था, जो आसपास खरीदारी करने आते हैं और कुछ समय बाद ही उन्हें जाना भी होता है।
ऑन स्ट्रीट पार्किंग से उम्मीद, पर दायरा सीमित
वैसे तो सड़क किनारे वाहन खड़े करने पर पुलिस चालान कर देती है, मगर ऑन स्ट्रीट पार्किंग (स्मार्ट पार्किंग) बनाकर लोगों से शुल्क लेकर एमडीडीए कम से कम इस कार्रवाई पर विराम लगाने जा रहा है। इसके लिए घंटाघर से लेकर सिल्वर सिटी तक सड़क के दोनों तरफ 28 स्थलों पर 661 वाहनों की क्षमता वाली पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। इसके बेशक ही पार्किंग की समस्या पर कुछ हद तक अंकुश लग पाएगा।
हालांकि इसका लाभ शहर के विशेष हिस्से को ही मिल पाएगा। जबकि अन्य सड़कों पर भी पार्किंग की समस्या रहता है। लिहाजा, जब तक अन्य सड़कों पर भी इस तरह की शुरुआत नहीं की जाएगी, तब तक समस्या का पूरी तरह समाधान संभव नहीं। अच्छी बात यह भी कि दून में सड़कों पर से अतिक्रमण हटाए जाने के बाद काफी जगह मिल गई है और ऑन स्ट्रीट पार्किंग विकसित की जा सकती है।
इस तरह विकसित की जा रही पार्किंग
-कार के लिए सड़क की तरफ पांच मीटर लंबाई व 2.2 मीटर चौड़ाई प्रति कार के हिसाब से आरक्षित रहेगी।
-दोपहिया वाहनों के लिए यह स्थल दो मीटर लंबाई व 1.8 मीटर चौड़ाई में रहेगा।
जनता की जुबानी
अधिवक्ता प्रभात बिष्ट कहते हैं कि शहर में जिस तरह आबादी बढ़ रही है, उसी तरह वाहनों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। लेकिन, उसके अनुसार शहर में पार्किंग तक की सुविधा नहीं है। यही वजह है कि लोगों को हर मार्ग पर जाम से जूझना पड़ता है। पार्किंग सुविधा उपलब्ध न करा पाना सरकारों की सबसे बड़ी विफलता है।
सारथी विहार निवासी मीनाक्षी जायड़ा कहती हैं कि शहर में जाम बड़ी समस्या बन चुका है। वाहनों का दबाव बड़ रहा है, लेकिन वाहनों की पार्किंग के लिए स्थान तय नहीं है। इस वजह से लोग सड़क किनारे ही वाहन खड़े कर देते हैं और जाम की स्थिति बनती है। जब राजधानी का ही यह हाल है तो दूसरे शहरों में क्या उम्मीद करनी।
विजय रतूड़ी मार्ग निवासी बॉबी का कहना है कि दून शहर में पार्किंग एक बड़ी समस्या है। बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर उचित पार्किंग व्यवस्था न होने से अक्सर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। वहीं, लोगों के साथ ही पुलिस-प्रशासन को भी कई दिक्कतें झेलनी पड़ती है।
प्रत्याशियों के विचार
भाजपा के महापौर प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा ने बताया कि सुगम सफर के लिए पार्किंग स्थलों का विकास जरूरी है। इस चुनाव में यदि मैं महापौर पद पर निर्वाचित होता हूं तो मुख्य मार्गों से लगी खाली पड़ी निगम की भूमि पर प्रस्तावित पार्किंग के निर्माण की योजना पर प्राथमिकता के साथ काम करूंगा।
कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल ने कहा कि अब तक नगर निगम के स्तर से पार्किंग को लेकर कोई ठोस प्रयास किए ही नहीं गए हैं। जबकि शहर को बेहतर बनाने की पहली जिम्मेदारी नगर निकाय की होती है। मेरा प्रयास रहेगा कि जीतने के बाद पार्किंग स्थलों की संख्या आवश्यकतानुसार बढ़ाई जाए।
आम आदमी पार्टी की महापौर प्रत्याशी रजनी रावत ने कांग्रेस और भाजपा दोनों से सवाल किया है। उन्होंने पार्किंग के संसाधन बढ़ाने के लिए क्या किया है। यदि आम आदमी पार्टी को जनता का साथ मिलेगा तो वह पार्किंग की समस्या को दूर करके ही दम लेंगी।
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