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बैकफुट पर आया पैसिफिक मॉल, कमर्शियल प्रापर्टी टैक्स के जमा कराए 4.49 करोड़ Dehradun News

कमर्शियल प्रापर्टी टैक्स में करोड़ों रुपये की हेराफेरी मामले में पैसिफिक मॉल प्रबंधन को बैकफुट पर आना ही पड़ा। मॉल की ओर से कोर्ट में निगम को 4.49 करोड़ रुपये का ड्राफ्ट दिया गया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 12:43 PM (IST)
बैकफुट पर आया पैसिफिक मॉल, कमर्शियल प्रापर्टी टैक्स के जमा कराए 4.49 करोड़ Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। नगर निगम के कमर्शियल प्रापर्टी टैक्स में करोड़ों रुपये की हेराफेरी मामले में खुद पर सीलिंग की तलवार देख पैसिफिक मॉल प्रबंधन को बैकफुट पर आना ही पड़ा। सिविल कोर्ट के आदेश एवं नगर निगम के वारंट के बाद भी टैक्स न चुकाने पर नगर निगम की टीम जब शुक्रवार को मॉल की सीलिंग को पहुंची तो मॉल प्रबंधन के होश उड़ गए।

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टीम कार्रवाई कर ही रही थी कि मॉल के अधिकारियों ने सिविल कोर्ट पहुंचकर नगर निगम के विधि अधिकारी को 4.49 करोड़ रुपये का ड्राफ्ट थमा दिया। इसके बाद सीलिंग की कार्रवाई रोक दी गई। मॉल पर कुल 4.89 करोड़ का टैक्स था, जिसमें 40 लाख रुपये वह पहले ही दे चुका था।

प्रापर्टी टैक्स में हेराफेरी के मामले में बीते दो माह से मॉल प्रबंधन लगातार निगम को घुमा रहा था। 24 दिसंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन ने मॉल प्रबंधन को निगम में छह जनवरी तक धनराशि जमा करने का आदेश दिया था। मॉल प्रबंधन हाईकोर्ट तक गया लेकिन राहत नहीं मिली। जिस पर गत बीस जनवरी को नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने जुर्माना वसूली के लिए नगर निगम के सात अधिकारियों की टीम भी गठित कर दी थी।

निगम के पास जबरन वसूली करने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रह गया था। निगम ने 23 जनवरी को मॉल पर एक वारंट चस्पा किया, जिसमें चार फरवरी तक बकाया राशि जमा करने के आदेश दिए गए थे। ऐसा न करने पर मॉल सीलिंग की बात कही गई थी। इस पर मॉल प्रबंधन की ओर से तभी 40 लाख रुपये जमा करा दिए गए। 

इस पर नगर निगम ने 24 जनवरी को फिर संशोधित नोटिस जारी किया। इसमें बकाये की राशि 4.49 करोड़ रुपये शेष थी। निगम ने चेतावनी दी थी कि चार फरवरी तक यह रकम जमा न कराने पर मॉल की सभी चल संपत्तियों की नीलामी शुरू की जाएगी। यदि रकम पूरी न हुई तो मॉल सील होगा। इससे बचने के लिए मॉल प्रबंधन फिर हाईकोर्ट में जा पहुंचा, लेकिन याचिका के बावजूद वहां पिछले तीन दिन से कोई राहत नहीं मिली।

इधर, शुक्रवार को विधिक राय लेने के बाद नगर आयुक्त के आदेश पर निगम टीम मॉल की सीलिंग को निकल गई। टीम द्वारा वहां पहुंचते ही चल संपत्तियों का आंकलन शुरू किया गया तो मॉल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में माल अधिकारी सिविल कोर्ट पहुंचे एवं निगम के अधिवक्ता को पूरी राशि का बैंक ड्राफ्ट दिया। निगम ने ड्राफ्ट का सत्यापन कराया और उसके बाद सीलिंग की कार्रवाई रोक दी गई। 

यह है पूरा मामला

नगर निगम की ओर से शहर में आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों से सेल्फ असेसमेंट की प्रणाली के अंतर्गत प्रापर्टी टैक्स वसूला जाता है। इसमें व्यवसायिक प्रापर्टी टैक्स में तीन माह पूर्व बड़ी हेराफेरी पकड़ी गई थी। जांच में पाया गया कि प्रतिष्ठान संचालकों ने सेल्फ असेसमेंट में अपना एरिया काफी कम दर्शाया। 

असेसमेंट में हेराफेरी पर बीते माह नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने 50 बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की जांच की तो भारी अनियमितताएं मिलीं। अनियमितता के आरोपित पंद्रह प्रतिष्ठानों को निगम की ओर से चार गुना जुर्माने संग धनराशि जमा करने के नोटिस भेजे गए। पैसिफिक डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड को 48992031 रुपये जुर्माने का नोटिस भेजा गया था।

पैसेफिक डेवलपमेंट के मामले में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने खुद सुनवाई की थी, जबकि शेष मामलों में उपनगर आयुक्त सोनिया पंत ने सुनवाई की। सुनवाई में पैसेफिक मॉल में सेल्फ असेसमेंट में गड़बड़ी पाई गई थी एवं निगम की ओर से लगाया गया जुर्माना सही पाया गया था। नगर आयुक्त ने मॉल प्रबंधन को 48992031 रुपये निगम में जमा कराने के आदेश दिए थे। 

वसूली के लिए यह थी टीम

उप नगर आयुक्त सोनिया पंत, सहायक नगर आयुक्त विजलदास बागसान, कर एवं राजस्व अधीक्षक धर्मेश पैन्यूली, सहायक अभियंता जयप्रकाश रतूड़ी, अवर अभियंता सहेंद्र सिंह नेगी, कर एवं राजस्व निरीक्षक अनिरुद्ध चौधरी व सुधा यादव। 

निगम इतिहास में सबसे बड़ा टैक्स

नगर निगम देहरादून के इतिहास में किसी प्रतिष्ठान से वसूला गया यह अब तक का सबसे बड़ा प्रापर्टी टैक्स बताया जा रहा है। इससे पूर्व ओएनजीसी की ओर से लगभग दो करोड़ रुपये टैक्स दिया गया था। निगम का इस वित्तीय वर्ष 2019-20 का वसूली का लक्ष्य 75 करोड़ रुपये है। 

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हेराफेरी करने वाले सभी प्रतिष्ठानों के लिए सबक 

नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के अनुसार, यह उन सभी प्रतिष्ठानों के लिए सबक है, जो टैक्स चोरी या हेराफेरी कर रहे हैं। ऐसे प्रतिष्ठान बचाव के लिए कितने रास्ते क्यों न तलाश लें, लेकिन कानून इन सबसे बढ़कर है। अब निगम अन्य प्रतिष्ठानों से भी टैक्स की वसूली में तेजी लाएगा।

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