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देश के पहले जैविक कृषि एक्ट को राजभवन की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर

उत्‍तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित जैविक कृषि विधेयक-2019 को राजभवन ने मंजूरी दे दी है।

By Edited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 10:53 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 02:17 PM (IST)
देश के पहले जैविक कृषि एक्ट को राजभवन की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर
देश के पहले जैविक कृषि एक्ट को राजभवन की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित जैविक कृषि विधेयक-2019 को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के एक्ट बनने से अब उत्तराखंड जैविक एक्ट लाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। हालांकि, सिक्किम पहला जैविक राज्य है, लेकिन वहां 'एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर इनपुट एंड लाइवस्टॉक फीड रेगुलेटरी एक्ट-2014' के तहत कदम उठाए गए। इस नजरिये से किसी राज्य में पहली बार विशुद्ध जैविक कृषि एक्ट लाया गया है।

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जैविक कृषि एक्ट के जरिए सरकार ने अब राज्य को आधिकारिक रूप से जैविक प्रदेश बनाने की दिशा में पहल की है। हालांकि, अभी राज्य के 10 विकासखंड जैविक हैं, लेकिन अब संपूर्ण राज्य को जैविक बनाने के मद्देनजर यह एक्ट लाया गया है। एक्ट के तहत जैविक कृषि उत्पादों के निर्यात, व्यापार एवं प्रसंस्करण में लगी निजी एजेंसियों, एनजीओ, ट्रेडर को विनियमित किया जाएगा। क्रेता संस्थाओं का निशुल्क पंजीकरण होगा। साथ ही रासायनिक उर्वरकों की बिक्री विनियमित की जाएगी। एक्ट में प्रतिबंधित पदार्थों की बिक्री पर दंड के प्रविधान किए गए हैं, जिसमें एक लाख तक जुर्माना और एक साल तक की सजा हो सकती है।

एक्ट के धरातल पर उतरने से अब प्रमाणीकरण प्रक्रिया होगी सरल, जो कृषि उत्पादों के जैविक प्रमाणीकरण में मददगार होगी। साथ ही जैविक उत्पादन प्रणाली को जैव निवेशों की उपलब्धता सुविधाजनक होगी। यही नहीं, 'जैविक उत्तराखंड' ब्रांड को प्रोत्साहन भी मिलेगा।

खराब फल-पौध पर जेल की सजा

प्रदेश में सरकारी व निजी क्षेत्र की सभी नर्सरियों को उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) अधिनियम यानी नर्सरी एक्ट के दायरे में लाया गया है। शीतकालीन सत्र में विस में पारित इससे संबंधित विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। एक्ट में नर्सरी स्वामी से लेकर कार्मिकों तक सभी की हर स्तर पर जवाबदेही तय की गई है। ये भी प्रविधान है कि यदि किसी नर्सरी से किसान को मुहैया कराई गई फल-पौध की गुणवत्ता खराब निकली तो नर्सरी स्वामी को जुर्माना अदा करने के साथ ही जेल की हवा खानी पड़ेगी। नर्सरियों को बढ़ावा देने को मानक सरल किए गए हैं। अब पहाड़ में पांच नाली (एक हेक्टेयर) और मैदानी क्षेत्र में दो हेक्टेयर भूमि में नर्सरी स्थापित हो सकेंगी।

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बिचौलियों से मिलेगी निजात

प्रदेश में अब किसानों को अपने कृषि उत्पाद औने-पौने दामों पर नहीं बेचने पड़ेगे। मंडी समितियां अब उनसे वाजिब दाम पर मंडुवा, झंगोरा, सोयाबीन, काला भट, राजमा समेत अन्य कृषि उत्पाद खरीदेंगी। उत्तराखंड कृषि उत्पाद बोर्ड में गठित होने वाले 10 करोड़ के रिवाल्विंग फंड से किसानों को इसका भुगतान किया जाएगा। इस सिलसिले में विस के शीतकालीन सत्र में पारित उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) (संशोधन) विधेयक को भी राजभवन ने मंजूरी दे दी है। अब मंडी बोर्ड में गठित होने वाले रिवाल्विंग फंड में मंडी समितियां 10 फीसद तक धनराशि जमा करा सकेंगी। इससे किसानों से पारंपरिक और जैविक कृषि उत्पादों का विपणन, क्रय-विक्रय और प्रसंस्करण किया जाएगा।

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