साफ्टवेयर में अटकीं आरटीओ की दरें, लागू नहीं हुआ पेनाल्टी कम करने का आदेश
डीएल की वैधता खत्म होने के साथ ही वाहन की पंजीकरण अवधि खत्म होने के बाद लगने वाले विलंब शुल्क में पूर्व दी गई सरकारी राहत अब तक सिर्फ कागजों में ही कैद है।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। वाहनों की फिटनेस व चालक के डीएल की वैधता खत्म होने के साथ ही वाहन की पंजीकरण अवधि खत्म होने के बाद लगने वाले विलंब शुल्क में प्रदेशवासियों को एक हफ्ते पूर्व दी गई 'सरकारी राहत' अब तक सिर्फ कागजों में ही कैद है। वाहन चालक इस गफलत में हैं कि मौजूदा विलंब शुल्क जमा कर अपना काम कराएं या नए आदेश के धरातल पर आने का इंतजार करें। सबसे ज्यादा दिक्कत फिटनेस से जुड़े वाहनों को लेकर आ रही। आरटीओ में रोजाना दर्जनों लोग इसी काम से आ रहे और आदेश लागू न होने के चलते बैरंग लौट रहे। बताया जा रहा कि परिवहन मुख्यालय ने विलंब शुल्क कम करने के कागजी आदेश तो कर दिए हैं मगर इसे सॉफ्टवेयर में अपडेट नहीं किया। नया शुल्क अपडेट न होने से प्रदेश के सभी आरटीओ-एआरटीओ दफ्तरों में कंप्यूटर पर अभी पुराना शुल्क ही दर्शा रहा।
दिसंबर 2016 से पहले प्रदेश में वाहनों की फिटनेस, पंजीकरण या लाइसेंस से जुड़े विलंब शुल्क की दरें काफी कम थीं। इसमें हल्के मोटर वाहन पर 200 रुपये व मध्यम मोटर वाहन पर 400 रुपये और भारी वाहन पर 600 रुपये फिटनेस विलंब शुल्क लिया जाता था। यह विलंब शुल्क वाहन फिटनेस में एक दिन की देरी से शुरू होता था और इसके लिए कोई अवधि निर्धारित नहीं थी।
इसके अलावा वाहन की पंजीकरण अवधि खत्म होने और ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता समाप्त होने पर 100 रुपये सालाना जुर्माना लगता था। केंद्र सरकार 29 दिसंबर 2016 को एक अधिसूचना जारी कर जुर्माना राशि में काफी बदलाव कर दिए थे, जबकि पूर्व में यह अधिकार राज्य सरकार के पास था। केंद्र के नए आदेश में विलंब शुल्क की दरें काफी ज्यादा हो गईं। फिटनेस समाप्त होने पर वाहन पर प्रतिदिन 50 रुपये जुर्माना और वाहन का पंजीकरण खत्म होने पर तीन सौ रुपये प्रतिमाह जुर्माना लगने लगा। साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस वैधता खत्म होने पर एक हजार रुपये प्रति साल के हिसाब से जुर्माना वसूला जाने लगा।
चेन्नई व उत्तर प्रदेश के परिवहन व्यवसायियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। मद्रास व इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में केंद्र द्वारा विलंब शुल्क लगाने के निर्णय को सही नहीं बताया और इसे खत्म कर दिया। उत्तराखंड परिवहन विभाग द्वारा भी न्याय विभाग से राय के बाद बीती 21 नवंबर को यह व्यवस्था समाप्त कर पुरानी जुर्माना दरें लागू करने के आदेश दिए, मगर सॉफ्टवेयर अपडेट न होने से आदेश अभी तक मान्य ही नहीं हुए।
बोले अधिकारी
आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई का कहना है कि नए आदेश के बाद विलंब शुल्क की दरें अभी सॉफ्टवेयर में अपडेट नहीं हो पाई हैं। एनआइसी से यह अपडेट होना है। विभाग एनआइसी से संपर्क कर रहा है। नया शुल्क लागू न होने से कई लोग रोजाना आरटीओ दफ्तर आकर परेशान हो रहे। इस मामले में परिवहन मुख्यालय को पत्र भेजकर शीघ्र ही सॉफ्टवेयर अपडेट करने का आग्रह किया गया है।
निर्धारित समय में होगा आरटीओ में काम
आरटीओ में व्यवस्थाओं को सुधारने को लेकर चल रही कसरत में जल्द नई सुविधा लागू की जाएगी। नई सुविधा के तहत लोगों को एक काम के लिए कई दिन तक आरटीओ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। आवेदन करते वक्त ही उन्हें एक रसीद दी जाएगी, जिसमें काम पूरा होने की समय-सीमा और तारीख अंकित होगी। इस तारीख पर आप दफ्तर में जाकर अपने दस्तावेज ले सकेंगे।
आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि चंडीगढ़ में यह सुविधा काफी पहले से है। इस व्यवस्था में लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा और आरटीओ के कर्मियों को मालूम रहेगा कि उन्हें निर्धारित समय में यह काम निबटाना है। आरटीओ ने बताया कि मौजूदा समय में आरटीओ में स्टॉफ बेहद कम है। ऐसे में कई दफा लोग जिद पकड़कर बैठते हैं कि हाथों-हाथ काम किया जाए। वाहनों के लोन उतारने या ट्रांसफर संबंधी कार्य में वक्त लगता है। निर्धारित समय व्यवस्था के बाद वाहन स्वामी उसी दिन पहुंचेगा, जिस दिन की उसे रसीद मिलेगी। निर्धारित वक्त में काम न पूरा करने वाले कर्मी को दंडित भी किया जाएगा।
एजेंटों के आइकार्ड हो रहे चेक
दलालों की एंट्री बंद होने के बाद अब आरटीओ में वाहन शोरूम के एजेंटों की भी आइडी चेक की जा रही। इसमें नए वाहनों के पंजीकरण व फिटनेस कराने आ रहे हर एजेंट की वर्दी व आइडी कार्ड आरआइ को चेक करने के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद ही उनकी फाइल पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।
नियमों में कुछ व्यवहारिक दिक्कतें
कार्यालय परिसर में दलालों पर प्रतिबंध के बाद जो नियम अधिकारियों ने बनाए हैं उनमें कुछ व्यवहारिक दिक्कतें आ रही हैं। मसलन, यदि किसी व्यवसायिक वाहन का चालक टैक्स जमा करने आ रहा है तो उसे वापस लौटा दिया जा रहा। उसे बोला जा रहा कि मालिक खुद आएगा या उससे एक पत्र लेकर आओ। ऐसे में उन मालिकों के साथ परेशानी आ रही जो बाहर रहते है या जिनके बड़े व्यापार हैं। रजिस्ट्रेशन के वक्त भी वाहन मालिक का होना अनिवार्य किया गया है, जबकि पहले कोई नातेदार आकर रजिस्ट्रेशन करा ले जाता था। अगर वाहन स्वामी महिला है तब उसे भी खुद आकर काम कराना होगा। ऐसे में महिलाओं और बुजुर्गों के साथ व्यवहारिक परेशानियां आ रही हैं।
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16 दिसंबर को होगी आरटीए बैठक
दस साल पुराने वाहनों के संचालन पर रोक को लेकर नीति बनाने समेत कई अहम मामलों पर फैसलों को लेकर आरटीए की बैठक अब 16 दिसंबर को होगी। आरटीए बैठक पहले चार नवंबर को होनी थी, मगर पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने से यह टल गई थी। सार्वजनिक परिवहन में वृद्धि करते हुए परेड ग्राउंड और रायपुर से मालदेवता मार्ग पर सिटी बसों की संख्या बढ़ाने पर भी फैसला होना है। परेड ग्राउंड से शिमला बाइपास पर भी मिनी बसों की संख्या बढ़ाई जानी है। शहर में आंतरिक मार्गों पर टाटा मैजिक भी बढ़ाने पर फैसला होना है। इसके अलावा सीएनजी ऑटो के परमिट पर भी अहम निर्णय होना है।
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