आठ लाख किसान और पीएमकेएमवाई में पंजीकरण 1700 का, पढ़िए पूरी खबर
राज्यभर में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या आठ लाख से ज्यादा होने के बावजूद पीएमकेएमवाई जैसी पेंशन स्कीम के लिए सिर्फ 1688 किसानों का ही पंजीकरण हो पाया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्र एवं राज्य सरकारों का फोकस भले ही खेती-किसानी पर हो, लेकिन विभिन्न योजनाओं के प्रति किसानों को जागरूक करने के मामले में वह तेजी नजर नहीं आ रही जिसकी दरकार है। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएमकेएमवाई) को लेकर तो यही तस्वीर नुमायां हो रही है। राज्यभर में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या आठ लाख से ज्यादा होने के बावजूद पीएमकेएमवाई जैसी पेंशन स्कीम के लिए सिर्फ 1688 किसानों का ही पंजीकरण हो पाया है। ऐसे में सिस्टम की नीयत पर भी सवाल उठना लाजिमी है। हालांकि, अब सरकार ने अगले माह से इस योजना को लेकर जनजागरण का निश्चय किया है, ताकि ज्यादा किसान इससे लाभान्वित हो सकें।
लघु एवं सीमांत किसानों को सामाजिक सुरक्षा कवच देने के मकसद से केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष नौ अगस्त को पीएमकेएमवाई नाम से वृद्धावस्था पेंशन योजना प्रारंभ की। यह एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें शामिल होने की आयु 18 से 40 वर्ष है।
असल में खेती-बाड़ी के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है और वृद्धावस्था में यह संभव नहीं हो पाता। यह समस्या लघु एवं सीमांत किसानों के लिए और भी बड़ी होती है, क्योंकि उनके पास बुढापे में मामूली बचत होती है। इस योजना में शामिल किसानों को 60 साल की आयु होने पर तीन हजार रुपये की मासिक पेंशन देने की व्यवस्था है। इसमें प्रीमियम भी 50 फीसद केंद्र और इतना ही किसान को देना होता है।
किसानों के लिए बेहतर योजना होने के बावजूद यह उत्तराखंड में गति नहीं पकड़ पा रही है। स्थिति ये है कि राज्य में सीमांत एवं लघु किसानों की संख्या 807877 होने के बावजूद पीएमकेएमवाई में अभी तक सिर्फ 1688 किसानों का पंजीकरण ही हो पाया है। सूरतेहाल, योजना को लेकर प्रचार-प्रसार और इससे किसानों को जोड़ने के मामले में सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, अब सरकार ने इस योजना को गंभीरता से लेने की ठानी है।
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सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री, उत्तराखंड सरकार) का कहना है कि पीएमकेएमवाई योजना का ज्यादा से ज्यादा किसान लाभ उठा सकें, इसे देखते हुए अगले माह से जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। योजना में अब तक किसानों के कम पंजीकरण के कारणों की पडताल की जाएगी। यदि कहीं कोई दिक्कत है तो उसे दूर कराया जाएगा।
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