देवभूमि में शिखरों तक पहुंचे बाघ, होगी गणना
इस बार पूरे उत्तराखंड में बाघों की मतगणना की जाएगी। 12 से 14 हजार फुट की ऊंचाई तक बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिलने से वहां भी कैमरा ट्रैप से बाघ गिने जाएंगे।
देहरादून, [केदार दत्त]: राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण में लगातार कुलांचे भर रहे उत्तराखंड में इस मर्तबा संपूर्ण राज्य में बाघों की गणना की जाएगी। 12 से 14 हजार फुट की ऊंचाई तक बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिलने के मद्देनजर वहां भी कैमरा ट्रैप के जरिए बाघ गिने जाएंगे। बाघ गणना अगले साल जनवरी के दूसरे पखवाड़े में प्रस्तावित है। वन विभाग इस कार्य में विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) का सहयोग लेगा।
यह बाघ संरक्षण के प्रयासों का ही नतीजा है कि 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में बाघ शिखरों तक पहुंचे हैं। बीते तीन वर्षों में 12500 फुट की ऊंचाई पर पिथौरागढ़ के अस्कोट अभयारण्य में लगे कैमरों में बाघों की तीन बार तस्वीर कैद हुई तो केदारनाथ सेंचुरी के मदमहेश्वर में 14 हजार फुट की ऊंचाई पर हिम तेंदुओं के वासस्थल में भी बाघ की मौजूदगी पाई गई। यही नहीं, 12139 फुट की ऊंचाई वाले खतलिंग ग्लेश्यिर में भी बाघों की तस्वीरें कैमरा ट्रैप में आई हैं। इन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बाघों की वास्तविक संख्या क्या है, अब यह अगले साल होने वाली गणना में सामने आ जाएगी।
दरअसल, वन महकमे ने इस मर्तबा संपूर्ण राज्य में बाघों की गिनती करने का फैसला लिया है। अभी तक यह कार्बेट और राजाजी लैंडस्केप और इनसे लगे वन प्रभागों तक ही सिमटी हुई थी। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती के मुताबिक बाघ गणना अगले साल जनवरी मध्य में प्रस्तावित है। यह राज्य के उन सभी क्षेत्रों में होगी, जहां बाघों की मौजूदगी मिली है या फिर इसकी संभावना है। गंगोत्री, अस्कोट, खतलिंग, मद्म्हेश्वर जैसे स्थल भी इनमें शामिल हैं।इन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लगे कैमरा ट्रैप में बाघों की तस्वीरें कैद होती आई हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में बाघों की संख्या 361 है, जिसके आगामी गणना में 400 पार करने की संभावना है। बताया कि सभी क्षेत्रों में बाघों की संख्या पता चलने पर इनके संरक्षण के लिए उसी हिसाब से कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि वन विभाग इस बार खुद गणना करेगा और इसमें विश्व प्रकृति निधि का सहयोग लिया जाएगा।
26 दिसंबर से बिहार में प्रशिक्षण
राज्य में होने वाली बाघ गणना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उत्तराखंड वन महकमे के अफसरों व कार्मिकों का प्रशिक्षण 26 से 28 दिसंबर तक बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन की अगुआई में टीम बिहार रवाना हो रही है।
74 साल पहले चकराता में भी थी मौजूदगी
राज्य में शिखरों पर बाघों की मौजूदगी पहली बार नहीं हुई है। वन विभाग के अभिलेख खंगालें तो 1943 में चकराता के खंडबा में 6948 फुट की ऊंचाई पर बाघ की मौजूदगी मिली थी। यह भी तब पता चला, जब बाघ के हमले हुए। इसके बाद 2015 से प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बाघों की मौजूदगी के लगातार प्रमाण मिल रहे हैं।
उत्तराखंड में बाघ
गणना वर्ष संख्या
2003 245
2005 241
2008 179
2010 199
2011 227
2014 340
2017 361
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