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कोरोना संक्रमण से बिखरे छात्र संगठन, पढ़िए पूरी खबर

कोरोना महामारी से न केवल आर्थिकी को जोर का झटका लगा वहीं छात्र हितों के लिए काम करने वाले संगठन भी बिखराव की कगार पर हैं। प्रदेश के दो सबसे भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) एवं अखिल भारतीय छात्र संगठन (एबीवीपी) नौ महीने से आम बैठक नहीं करवा पाए।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 05:25 PM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 10:59 PM (IST)
छात्र संगठनों के करीब सत्तर फीसद कार्यकर्त्‍ता शहर में नहीं हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून : वैश्विक कोरोना महामारी से के केवल आर्थिकी को जोर का झटका लगा है वहीं ,वर्षों से छात्र हितों के लिए काम करने वाले संगठन भी बिखराव की कगार पर हैं। प्रदेश के दो सबसे भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) एवं अखिल भारतीय छात्र संगठन (एबीवीपी) पिछले नौ महीने से आम बैठक नहीं करवा पाए। छात्र संगठनों के करीब सत्तर फीसद कार्यकर्त्‍ता शहर में नहीं हैं।

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कोरोनाकाल में लॉकडाउन से लेकर आज तक दोनों संगठन के कोर कमेटी के सदस्य ही सक्रिय हैं। कॉलेज व विवि भी बंद होने के कारण दोनों छात्र संगठनों की इस बार सदस्यता ड्राइव नहीं चली। उत्तराखंड में अभाविप 69 हजार जबकि एनएसयूआइ 62 हजार सक्रिय सदस्य होने के दावे करते हैं। कॉलेज इकाई से लेकर प्रदेश स्तर पर इकाइयां छात्र हितों के मुद्दों को लेकर अक्सर धरना-प्रदर्शन का अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाती हैं। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण शारीरिक दूरी नियम का पालन किया जा रहा है जिससे दोनों संगठन बैठकें आयोजित नहीं कर पा रहे हैं।

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भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने बताया कि कोरोना लॉकडाउन में एनएसयूआइ ने जरूरतमंदों की सहायता की। गरीबों को खाद्य सामाग्री बांटीद। संगठन के मुख्य पदाधिकारी बैठकें करते हैं लेकिन फिलहाल सभी कार्यकर्त्‍ता एक स्थान पर एकत्रित नहीं हो सकते हैं। उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.कौशल कुमार ने कहा कि अभाविप का कोरोनाकाल में तीन सम्मेलन हो चुके हैं। जिसमें शारीरिक दूरी नियम का पूरा पालन किया गया। सम्मेलन में मास्क व सैनिटाइजर का प्रयोग किया गया। नये सदस्यों के लिए ऑनलाइन ड्राइव चलाई गई। करीब 20 हजार नये सदस्य जुड़े हैं। कोरोना संक्रमण के कारण अभी तक कोई बड़ा सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया।

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