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    अब देहरादून में बनेगा टी-90 टैंक का फायरिंग कंट्रोल सिस्टम

    रक्षा अनुसंधान व निर्माण के क्षेत्र में आयुध निर्माणी बोर्ड की ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री ने बड़ी छलांग लगाई है। अब टी-90 टैंक के फायरिंग कंट्रोल सिस्टम का निर्माण दून में होगा।

    By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 11 Aug 2020 12:58 PM (IST)
    अब देहरादून में बनेगा टी-90 टैंक का फायरिंग कंट्रोल सिस्टम

    देहरादून, जेएनएन। रक्षा अनुसंधान व निर्माण के क्षेत्र में आयुध निर्माणी बोर्ड की ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ) ने बड़ी छलांग लगाई है। अब तक जिस टी-90 व टी-72 टैंक के फायरिंग कंट्रोल सिस्टम के निर्माण के लिए हम रूस व फ्रांस पर निर्भर थे, अब उसका निर्माण मेक इन इंडिया के तहत देहरादून में ही किया जा सकेगा। इन उत्पादों के निर्माण के लिए सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ओएलएफ में निर्मित थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन शॉप का ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन किया।

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    इस उपलब्धि को मीडिया से साझा करते हुए ओएलएफ के महाप्रबंधक शरद कुमार यादव ने कहा कि अब तक फैक्ट्री में टी-90 व टी-72 टैंक की सिर्फ डे-साइट का निर्माण किया जा रहा है। अब संस्थान परिसर में करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन शॉप का उद्घाटन हो जाने के बाद जल्द नाइट साइट भी तैयार की जाने लगेंगी। स्वदेशी तकनीक पर आधारित साइट की लागत भी आधी रह जाएगी। पत्रकार वार्ता में अपर महाप्रबंधक वीके राठी, संयुक्त महाप्रबंधक कमलेश कुमार और हरमनदीप सिंह उपस्थित थे।

    (फोटो: ओएलएफ के महाप्रबंधक शरद कुमार यादव)

    इस तरह काम करता है फायरिंग सिस्टम

    किसी भी टैंक के लिए उसका फायरिंग कंट्रोल सिस्टम सबसे अहम होता है। इसके माध्यम से हमारे जांबाज न सिर्फ दुश्मन की पहचान करते हैं, बल्कि उस पर अचूक वार भी करते हैं। यदि टैंक ऊबड़खाबड़ सतह पर चल रहा है या टारगेट लगातार हिल रहा है, तब भी यह सिस्टम उसका आकलन कर उसे मार गिराने में सक्षम होता है।

    उच्च और निम्न तापमान पर भी कारगर

    टी-90 व टी-70 टैंक की साइट 55 डिग्री सेल्सियस व माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में भी दुश्मन पर निगाह रख सकेगी। इसके साथ ही आठ किलोमीटर तक किसी भी हलचल को पकड़ा जा सकता है और तीन किलोमीटर तक यह दुश्मन की स्थिति का सटीक आकलन करने में सक्षम है।

    85 लाख रह जाएगी लागत, 464 यूनिट होंगी तैयार

    सेना को अगले पांच साल में 464 टी-90 टैंक की जरूरत है। इस लिहाज से ओएलएफ में इतनी फायरिंग साइट का निर्माण करना पड़ेगा। अब तक विदेश से आयात करने पर एक साइट (सेंसर युक्त कैमरा व बाहरी आवरण) पर 1.70 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। ओएलएफ में ही इनका निर्माण करने पर लागत 85.55 लाख रुपये के आसपास रह जाएगी।

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    नौसेना के बेड़े के लिए बनेंगे रिमोट कंट्रोल गन

    ओएलएफ के महाप्रबंधक शरद कुमार यादव ने बताया कि सोमवार को रक्षा मंत्री ने प्रोडक्शन शॉप के उद्घाटन के साथ स्टेबलाइज रिमोट कंट्रोल गन की तकनीक को भी लॉन्च किया। फैक्ट्री पहली पर नौसेना के लिए यह उपकरण तैयार करने जा रही है। यह उपकरण समुद्र की लहरों के उतार चढ़ाव के बीच भी सटीक निशाना लगाने में मदद करेगा। सालभर के भीतर इसका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।

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