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अब प्रदूषणकारी इंडस्ट्री ही आएगी रेड कैटेगरी में, पढ़िए पूरी खबर

30 साल पुराने दून वैली नोटिफिकेशन की विदाई के बाद अब दून में उद्योगों के लिए नई संभावनाएं पैदा हो गई हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:37 PM (IST)
अब प्रदूषणकारी इंडस्ट्री ही आएगी रेड कैटेगरी में, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। वर्ष 1989 के 30 साल पुराने दून वैली नोटिफिकेशन की विदाई के बाद अब दून में उद्योगों के लिए नई संभावनाएं पैदा हो गई हैं। बेशक यहां अब भी रेड कैटेगरी के उद्योग नहीं लग पाएंगे, मगर उन उद्योगों को राहत मिलेगी, जो पुराने नोटिफिकेशन के चलते ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के बाद भी रेड में शामिल कर लिए जाते थे। इससे इनके लिए दूनघाटी के दरवाजे नहीं खुल पा रहे थे। 

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उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के मुताबिक दून वैली नोटिफिकेशन वर्ष 1989 में बना। तब यह माना जाता था कि जिस भी उद्योग में 500 से अधिक कार्मिक काम करेंगे, वह प्रदूषणकारी उद्योग ही होगा। लिहाजा, इस तरह के किसी भी उद्योग को रेड कैटेगरी में शामिल कर लिया जाता था और दून में ऐसे उद्योग नहीं लगाए जा सकते। इस असर यह पड़ रहा था कि बड़ी आइटी कंपनियों ने दूनघाटी से दूरी बनाए रखी। 

हालांकि वर्ष 1989 के नोटिफिकेशन के समाप्त हो जाने के बाद अब देश और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नियम लागू होंगे। दून वैली नोटिफिकेशन में उद्योगों का वर्गीकरण 30 साल पहले की परिस्थितियों के हिसाब से किया गया था, जबकि सीपीसीबी का वर्गीकरण 2016 की परिस्थितियों पर आधारित है। जो कि अधिक वैज्ञानिक है। सीपीसीबी के नियमों के उद्योगों का वर्गीकरण प्रदूषण के स्कोर के साथ तय किया गया है, लिहाजा 500 से अधिक कार्मिकों वाले गैर उत्पादक उद्योग तब रेड कैटेगरी में मान लिए जाते थे, वह अब ऑरेंज और ग्रीन कैटेगरी में आ जाएंगे। 

अब व्हाइट कैटेगरी में भी शामिल होंगे उद्योग 

दून वैली नोटिफिकेशन में व्हाइट कैटेगरी का वर्गीकरण नहीं था। ऐसे में व्हाइट कैटेगरी के उद्योग भी ग्रीन श्रेणी में दर्ज कर दिए जाते थे। इसके चलते व्हाइट कैटेगरी में काम करने के लिए भी इन्हें केंद्र सरकार से पर्यावरणीय प्रमाण पत्र प्राप्त करने की बाध्यता थी। अब न सिर्फ व्हाइट कैटेगरी में भी उद्योग शामिल हो सकेंगे, बल्कि वे राज्य स्तर पर ही अनुमति लेकर संचालित हो सकेंगे। 

रेड कैटेगरी में जाने का खतरा समाप्त 

नोटिफिकेशन समाप्त हो जाने के बाद ऑरेंज श्रेणी के वह उद्योग भी चलते रहेंगे, जो कुछ अधिक प्रदूषण के कारण रेड कैटेगरी में शामिल हो जाएंगे। सिर्फ उन्हें कारोबार को विस्तार करने की अनुमति नहीं होगी। 

इस स्कोर पर कैटेगरी होगी तय 

20 तक व्हाइट कैटेगरी 

21 से 40, ग्रीन कैटेगरी 

41 से 59 ऑरेंज कैटेगरी 

60 और अधिक रेड कैटेगरी 

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नोट-स्कोर (प्रदूषण पैरामीटर के अनुसार) 

उद्योग निदेशक एससी नौटियाल का कहना है कि दून वैली नोटिफिकेशन की समाप्ति के बाद 500 से अधिक कार्मिक क्षमता वाले कोई भी सामान्य उद्योग लग पाएंगे। इसमें बड़ी आइटी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इससे रोजगार के भी नए अवसर पैदा होंगे। साथ ही व्हाइट कैटेगरी के उद्योग लगाने वाले लोगों को भी अनावश्यक परेशान नहीं होना पड़ेगा। 

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