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उत्तराखंड: 30 साल बाद दूनघाटी में रफ्तार पकड़ेंगे उद्योग, जानिए कैसे

आखिरकार 30 साल के लंबे इंतजार के बाद अब दूनघाटी औद्योगिक विकास की रफ्तार गति पकड़ पाएगी।

By Edited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 09:37 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 08:17 PM (IST)
उत्तराखंड: 30 साल बाद दूनघाटी में रफ्तार पकड़ेंगे उद्योग, जानिए कैसे
उत्तराखंड: 30 साल बाद दूनघाटी में रफ्तार पकड़ेंगे उद्योग, जानिए कैसे

देहरादून, जेएनएन। दूनघाटी में 30 साल के लंबे इंतजार के बाद अब औद्योगिक विकास की रफ्तार गति पकड़ेगी। पर्यावरणीय लिहाज से एक फरवरी 1989 को जारी दूनघाटी नोटिफिकेशन में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने बदलाव कर दिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

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अब दूनघाटी में व्हाइट, ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के उद्योग लग सकेंगे। पहले यहां व्हाइट श्रेणी नहीं थी, जिसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है। ऐसे में दूनघाटी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इंडस्ट्री में बूम की संभावना जताई जा रही है। अलबत्ता, रेड श्रेणी के उद्योगों को इस क्षेत्र में पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। यही नहीं, ऑरेंज श्रेणी के जो उद्योग रेड की श्रेणी में आ गए हैं, उनका किसी भी दशा में विस्तार नहीं किया जाएगा। 

बेहतरीन आबोहवा की पहचान रखने वाली दूनघाटी में वर्ष 1989 से पहले लाइम स्टोन के बेतहाशा खनन से यहां की पर्यावरणीय सेहत पर भी असर पड़ा। इसे देखते हुए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एक फरवरी 1989 को दूनघाटी नोटिफिकेशन जारी किया। इसके तहत ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध के साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी। हालांकि, कम प्रदूषणकारी उद्योगों, जिन्हें प्रदूषण सूचकांक के आधार पर ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी में रखा गया था, उन्हें यहां सशर्त अनुमति दी गई। इनके लिए भी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से मंजूरी लेना आवश्यक किया गया। 

इस बीच 2016 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने उद्योगों की श्रेणी में बदलाव किया और प्रदूषण सूचकांक के आधार पर इसमें नई श्रेणी व्हाइट भी जोड़ दी। इसमें कम प्रदूषण वाले उद्योग शामिल थे, लेकिन दूनघाटी नोटिफिकेशन में इस बारे में स्थिति स्पष्ट न होने के कारण ये यहां परवान नहीं चढ़ पाए। इस सबको देखते हुए उद्योग जगत की ओर से लगातार ये मांग उठ रही थी कि दूनघाटी नोटिफिकेशन के मानकों को शिथिल किया जाए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मसले को प्रमुखता से केंद्र के समक्ष रखा। 

सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर मंथन के बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने दूनघाटी नोटिफिकेशन में बदलाव कर दिया। इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन में साफ है कि दूनघाटी में रेड श्रेणी के उद्योग किसी भी दशा में नहीं लगेंगे। अन्य श्रेणी के उद्योगों के मामले में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के मानकों को अमल में लाया जाएगा। 

अब आसान होगी राह 

लागू होने के बाद से दूनघाटी नोटिफिकेशन का रिव्यू नहीं हो पाया था। इससे यहां उद्योग स्थापना में दिक्कतें आ रही थीं। कई उद्योग ऐसे थे, जो कम प्रदूषणकारी होने के बाद भी नोटिफिकेशन के तहत रेड और ऑरेंज श्रेणी में आ रहे थे। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग भी नहीं लग पा रहे थे। अब नोटिफिकेशन में बदलाव की अधिसूचना से इस तरह की दिक्कतें दूर होंगी। 

उद्योगों की श्रेणी प्रदूषण 

सूचकांक,  श्रेणी 

1 से 20, व्हाइट 

21 से 40, ग्रीन 

41 से 60, ऑरेंज 

61 से 100, रेड 

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प्रदूषण सूचकांक है श्रेणी का आधार 

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के अनुसार उद्योगों की श्रेणी को केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने पॉल्यूशन इंडेक्स (प्रदूषण सूचकांक) के आधार पर तय किया है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई होटल पांच से छह कमरों तक का है, उसे व्हाइट श्रेणी माना जाएगा। इसी प्रकार 20 कमरे तक को ग्रीन, 100 कमरों तक को ऑरेंज और 100 से ज्यादा कमरों को रेड श्रेणी में शामिल किया जाएगा।

उद्योग निदेशक एससी नौटियाल ने बताया दूनघाटी नोटिफिकेशन में बदलाव से अब यहां भी औद्योगिक इकाइयां तेजी से स्थापित हो सकेंगी। विशेषकर एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) सेक्टर को काफी फायदा होगा। औद्योगिक इकाइयां लगने से रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

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