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अशासकीय कॉलेज शिक्षकों ने सीएम से मांगा मिलने का समय, जानिए वजह

प्रदेशभर के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के तीन संगठनों ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र भेजकर उनसे मिलने का समय मांगा है। आग्रह किया है कि शिक्षकों व कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 08:06 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 08:06 PM (IST)
अशासकीय कॉलेज शिक्षकों ने सीएम से मांगा मिलने का समय, जानिए वजह।

जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेशभर के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के तीन संगठनों ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र भेजकर उनसे मिलने का समय मांगा है। आग्रह किया है कि शिक्षकों व कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके अलावा यूजीसी करियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ देने के सबंध में भी शिक्षक संगठन अपनी बात सीएम के समक्ष रखेंगे।

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रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत अध्यक्ष डॉ. कौशल कुमार, गढ़वाल विवि टीचर्स एसोसिएशन (ग्रूटा) के सचिव डॉ. डीके त्यागी व राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह व राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त वरिष्ठ सलाहकार डॉ. एचएस रंधावा ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। आग्रह किया कि सीएम उन्हें मिलने का समय दें। बताया कि कॉलेज व विवि से जुड़े शिक्षक संगठनों का आग्रह किया है कि यूजीसी कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ देते हुए 2001, 2010 व 2018 के अंतर्गत सभी पदोन्नतिओं पर लगी रोक हटाई जाए व पदोन्नति प्रक्रिया के लिए राज्य के उच्च शिक्षा निदेशालय को निर्देशित किया जाए। 

बताया कि सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति पर प्रदेश में रोक लगा रखी है। यह रोक सभी स्तरों जैसे चयन वेतनमान, एसोसिएट प्रोफेसर वेतनमान व प्रोफेसर पदनाम वेतनमान पर प्रभावी है। जिससे शिक्षकों को अत्यंत मानसिक वेदना व प्रोन्नति से जुड़े आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी के लंबे दौर ने इस वेदना को और ज्यादा बढ़ा दिया है।

उनका कहना है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशालय ने मार्च 2021 में महिला महाविद्यालय हरिद्वार में हुई पदोन्नतियों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की संस्तुति के पश्चात वेतन निर्धारण के संबंध में रोक लगा दी, जो कि सही नहीं है। मुख्यमंत्री सैकड़ों शिक्षकों के हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें।

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