Move to Jagran APP

भाजपा सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से अब नए समीकरण

भाजपा सरकार ने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर जो मास्टर स्ट्रोक चला उसने अब इस मुद्दे पर सियासत का अंदाज बदल दिया है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 12:43 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 12:43 PM (IST)
भाजपा सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से अब नए समीकरण
भाजपा सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से अब नए समीकरण

देहरादून, विकास धूलिया। भाजपा सरकार ने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर जो मास्टर स्ट्रोक चला, उसने अब इस मुद्दे पर सियासत का अंदाज बदल दिया है। अब तक गैरसैंण को लेकर कोई कदम न उठाने पर सरकार को कठघरे में खड़ा करती रही कांग्रेस मुद्दे को अपने हाथों से फिसलता देख गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की हिमायत में उतर आई है। राज्य आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाला उत्तराखंड क्रांति दल हालांकि इन दिनों हाशिये पर है, लेकिन गैरसैंण ने उसमें भी जान फूक दी है।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बुधवार को विधानसभा में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा से सियासी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। दरअसल, बदली हुई परिस्थितियों में यह तय है कि वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है। हालांकि यह भी सच है कि उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा और चार लोकसभा चुनावों में गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने का मुद्दा कभी भी असरकारक नहीं रहा। 

यहां तक कि उक्रांद जैसा दल, जिसका जन्म ही अलग राज्य की मांग के साथ हुआ था, वर्तमान में सियासी परिदृश्य से पूरी तरह गायब हो चुका है।राज्य बनने के बाद के शुरुआती बारह सालों में किसी भी सियासी पार्टी ने गैरसैंण की सुध तक नहीं ली। राज्य की पहली अंतरिम भाजपा सरकार ने स्थायी राजधानी तय करने के लिए जरूर एकल सदस्यीय आयोग बनाया।

ग्यारह बार कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद आयोग ने वर्ष 2008 में जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी, वह जुलाई 2009 में विधानसभा के पटल पर रखी गई। इस पर आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने के बाद कांग्रेस ने इस मामले में पहली दफा कदम बढ़ाए गैरसैंण में कैबिनेट बैठक आयोजित कर। साथ ही गैरसैंण में विधानसभा का सत्र आयोजित करने की शुरुआत की। इस परंपरा को भाजपा सरकार ने भी आगे बढ़ाया। हालांकि पिछले साल यह क्रम टूटा।

इस बार गैरसैंण में बजट सत्र का कार्यक्रम तय हुआ तो एक बार फिर इसे राजधानी बनाए जाने की मांग उठी। कांग्रेस ने भी इसमें सुर मिलाए, लेकिन शायद यह किसी को अंदाजा नहीं था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सत्र के दौरान ही इतना बढ़ा एलान कर देंगे। साफ तौर पर गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा कर भाजपा ने कांग्रेस समेत अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों पर इस मामले में बढ़त बना ली। 

यही कांग्रेस को नागवार गुजरा। जो पहल कांग्रेस ने की थी, उसे अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय भाजपा ले गई। यानी गैरसैंण मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस को बुरी तरह पटखनी दे दी। यही वजह है कि अब कांग्रेस एक कदम आगे बढ़कर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की पैरवी में उतर आई है।

यह भी पढ़ें: विशेषज्ञों की मदद से जल्द तैयार होगा गैरसैंण के विकास का ब्ल्यू प्रिंट: त्रिवेंद्र

दिलचस्प बात यह कि उत्तराखंड क्रांति दल, जो राज्य गठन के बाद अपना वजूद लगभग खो चुका है, गैरसैंण मुद्दे पर मुखर हो गया है। उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट, जो वर्ष 2007 में भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, का आरोप है कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भाजपा ने जनभावनाओं का अनादर किया है। स्पष्ट है कि कई टूट से गुजर चुके उक्रांद को भी अब गैरसैंण मुद्दे पर अपना भविष्य दिखाई दे रहा है। 

यह भी पढ़ें: माला पहलकर सदन में आए सीएम तो विपक्ष ने उठाया सवाल, पढ़िए पूरी खबर 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.