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नौसेना के गोताखोर मापेंगे झील की गहराई, आज जोशीमठ से होंगे रवाना

चमोली जिले में हैंगिंग ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आए उफान के बाद ऋषिगंगा नदी पर मलबे से बनी झील की गहराई कितनी है इससे अब जल्द ही पर्दा उठ जाएगा। नौसेना के गोताखोर शनिवार को मौके के लिए रवाना होंगे।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 04:40 AM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 04:40 AM (IST)
ऋषिगंगा नदी पर मलबे से बनी झील की गहराई कितनी है, इससे अब जल्द ही पर्दा उठ जाएगा।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: चमोली जिले में हैंगिंग ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आए उफान के बाद ऋषिगंगा नदी पर मलबे से बनी झील की गहराई कितनी है, इससे अब जल्द ही पर्दा उठ जाएगा। नौसेना के गोताखोर शनिवार को मौके के लिए रवाना होंगे। एसडीआरएफ की डीआइजी रिद्धिम अग्रवाल के अनुसार नौसेना के गोताखोर झील में उतरकर इसकी गहराई मापेंगे।

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सात फरवरी को ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आए उफान से रैणी से लेकर तपोवन तक के क्षेत्र में भारी तबाही मची थी। घटना के बाद सेना, वायु सेना, नौसेना, आइटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ समेत अन्य एजेंसियां वहां राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। अब जबकि यह बात भी साफ हुई है कि ऋषिगंगा नदी पर मलबे से करीब 300 मीटर लंबी झील बनी है। वैज्ञानिकों के दल इसका निरीक्षण कर झील से उत्पन्न खतरों आदि को लेकर अध्ययन में जुटे हैं। बावजूद इसके अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह झील आखिर कितनी गहरी है।

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एसडीआरएफ की डीआइजी एवं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि शनिवार को नौसेना के दल को झील की गहराई मापने के लिए भेजा जा रहा है। यह दल जोशीमठ से रवाना होगा। नौसेना के गोताखोर झील में उतरकर ये पता लगाएंगे कि यह कितनी गहरी है। इसके बाद वैज्ञानिकों की अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर आगे कदम उठाने का निर्णय लिया जाएगा।

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