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नवीन चकराता का सपना आज भी नहीं हुआ पूरा, अब डगमगाने लगी 23 पुरानी उम्मीद

यूपी सरकार के समय 23 वर्ष पहले विधिवत शिलान्यास होने के बाद भी नवीन चकराता पुरोड़ी अस्तित्व में नहीं आ पाया। जब राज्य बना लोगों में विश्वास जगा कि अब पुरोड़ी में नवीन चकराता तेजी से बसेगा लेकिन यूपी के समय जन्मी उम्मीद 23 साल बाद डगमगाने लगी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 05:53 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 05:53 PM (IST)
नवीन चकराता का सपना आज भी नहीं हुआ पूरा।

चकराता(देहरादून), जेएनएन। बच्चे जवान हो गए, जवान बूढ़े और कुछ सपना आंखों में लेकर ही चले गए, लेकिन जौनसार बावर के नवीन चकराता बसाने का ख्वाब पूरा नहीं हो पाया। लोगों के दिलों में जन्मा सुंदर सपना अब पूरी तरह धुंधला होने लगा है। यूपी सरकार के समय 23 वर्ष पहले विधिवत शिलान्यास होने के बाद भी नवीन चकराता पुरोड़ी अस्तित्व में नहीं आ पाया। जब राज्य बना लोगों में विश्वास जगा कि अब पुरोड़ी में नवीन चकराता तेजी से बसेगा, लेकिन यूपी के समय जन्मी उम्मीद 23 साल बाद डगमगाने लगी है। 

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यूपी सरकार के शासनकाल में विधिवत गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भी नवीन चकराता के नहीं बसने से क्षेत्र के लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ रोष व्याप्त है। आलम यह है कि 23 वर्षों पहले शिलान्यास के दौरान लगाया गया पत्थर भी अब गायब हो गया है। जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर का केंद्रीय स्थल चकराता सैनिक अधिपत्य में होने के चलते तत्कालीन यूपी सरकार ने जौनसार बावर के लोगों को एक नए टाउन बसाने का तोहफा दिया था, लेकिन वह पिछले 23 वर्षो से सरकारी मकड़जाल में फंस कर रह गया है। 

छह नवंबर 1997 को तत्कालीन मंडलायुक्त बीएम बोहरा और जिला पंचायत अध्यक्ष रहे रामशरण नौटियाल ने छावनी बाजार से छह किमी दूर पुरोड़ी नामक स्थल पर नए टाउन का विधिवत शिलान्यास करके जौनसार बावर के लोगों के दिलों में एक सपना जगा दिया था। आलम यह रहा कि नवीन चकराता बसाने के लिए सरकार ने विधिवत गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया, साथ ही आसपास के गांव टुंगरा, छुटऊ, बिरमौ, ठाणा, क्यावा आदि गांवों के ग्रामीणों की 472 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया। पर 23 साल का समय बीतने के बाद भी पुरोड़ी में नवीन चकराता निर्माण की दिशा में एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया, जिससे लोगों में अब नवीन चकराता बसाने की आस टूट सी गई है। ग्रामीण जितेंद्र चौहान, वीरेंद्र सिंह, अर्जुन दत्त, युद्धवीर सिंह, सरदार सिंह आदि का कहना है कि नवीन चकराता का गवाह शिलान्यास का पत्थर भी अब गायब हो गया है। 

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लोगों ने पुरोड़ी में बसने के लिए जो भूमि ली थी, वह भी बेचनी शुरू कर दी है। 23 साल में कई सरकारें आई वह चली गई, लेकिन नया चकराता नहीं बस पाया। क्षेत्र के लोगों ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद खंडूरी सरकार के दौरान नवीन चकराता प्राधिकरण की घोषणा भी हुई थी, एसडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई थी, लेकिन वह भी हवाई साबित हुई है। पुरोड़ी में संचालित सरकारी कार्यालय भी धीरे धीरे मैदानी क्षेत्रों में शिफ्ट होने लगे हैं। 

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