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उत्तराखंड में ईको टूरिज्म के उपयोग में लाए जाएंगे वन विश्राम गृह, जानिए पूरी योजना

कोशिशें रंग लाईं तो प्रदेशभर में वन विभाग के अधीन 362 वन विश्राम भवनों का उपयोग ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकेगा। ईको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन इस सिलसिले में प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 07:15 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 07:15 AM (IST)
उत्तराखंड में ईको टूरिज्म के उपयोग में लाए जाएंगे वन विश्राम गृह।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोशिशें रंग लाईं तो प्रदेशभर में वन विभाग के अधीन 362 वन विश्राम भवनों का उपयोग ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकेगा। ईको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन इस सिलसिले में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके साथ ही वन विश्राम गृहों के आसपास के गांवों के निवासियों को टूरिस्ट गाइड, बर्ड वाचिंग आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि उनके लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित हो सकें।

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कोरोना संकट के चलते गांव लौटे प्रवासियों के साथ ही अन्य व्यक्तियों को रोजगार, स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने की कड़ी में सरकार मुस्तैदी से जुटी है। इसी क्रम में भौगोलिक लिहाज से राज्य के सबसे बड़े महकमे वन विभाग के माध्यम से 10 हजार व्यक्तियों को वन प्रहरी के रूप में नियुक्ति देने की तैयारी है। इसके साथ ही ईको टूरिज्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने पर भी फोकस किया गया है। इसके केंद्र में वन विश्राम गृहों को रखने की तैयारी है।असल में राज्य के वन क्षेत्रों में स्थापित वन विश्राम गृह अपने आप में ऐतिहासिक हैं। 

कुछ वन विश्राम गृह तो 1885 के आसपास के भी हैं। वन्यजीवों के दीदार के लिए उत्तराखंड आने वाले सैलानियों के लिए ये वन विश्राम भवन भी आकर्षण के केंद्र से कम नहीं हैं। कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे क्षेत्रों में स्थित वन विश्राम भवनों में ठहरने के लिए तो खासी मारामारी रहती है। इस सबको देखते हुए वन विभाग के अधीन गठित ईको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन वन विश्राम भवनों का उपयोग ईको टूरिज्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए करने पर जोर दे रहा है। 

कारपोरेशन के सूत्रों के अनुसार अभी तक की तय व्यवस्था के अनुरूप वन विश्राम भवनों का उपयोग केवल विभागीय अधिकारी व शोधार्थी ही कर सकते हैं। इसे देखते हुए यह रास्ता निकाला जा रहा है कि कार्बेट व राजाजी टाइगर को छोड़ अन्य संरक्षित व आरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित वन विश्राम गृहों का उपयोग ईको टूरिज्म के लिए किया जाए। इन्हें पीपीपी मोड में संचालित किया जाए या फिर कारपोरेशन के माध्यम से, इस बारे में प्रस्ताव तैयार हो रहा है। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद ही इस दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।

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